आदरणीय साथिओ,
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लघुकथा- मुसाफिर हूं यारों
खाली बोतल को देख कर साहब ने आंखें मली. फिर जोर से चिल्लाए ,‘‘ रामू ! वह लड़की कहां गई ?’’
‘‘ जी साहब !’’ रामू ने कमरे में आते ही कहा तो साहब ने अपने खाली अंगुली और गले पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘ और मेरी सोने की अंगुठी और चैन कहां गई ?’’
‘‘ जी साहब !’’ रामू को सहसा विश्वास नहीं हुआ. यहां का परिदृश्य बिलकुल बदला हुआ था. ‘‘ साहब ! आप के कमरे से लड़किया रोती हुई निकलती है. इसलिए हम ने ध्यान नहीं दिया.’’
‘‘ क्या कह रहे हो ?’’ साहब ने आंखे तरैर कर पूछा, ‘‘ वह कब और कहां गई ?’’
‘‘ साहब ! सुबह बहुत जल्दी चली गई थी,’’ रामू ने कहा, ‘‘ जाते वक्त कह गई थी. साहब से कहना कि जग के नीचे एक चिट्ठ पड़ी है. उसे पढ़ लें.’’
‘‘ क्या ! ’’ साहब ने झट से जग उठाया. उस के नीचे से चिट्ठ निकाली और पढ़ी. फिर माथे पर हाथ रख कर धम्म से पलंग पर बैठ गए.
रामू ने साहब के हाथ में पकड़ी चिट्ठ पर निगाहे डाली, उस पर बड़ीबड़ी लिखावट में लिखा था, ‘‘ मेरे हम सफर ! पैसे ले कर जा रही हूं. एक रात मुसाफिर थी ! तुम जैसे नामर्द बलात्कारियों को एड्स बांटती हूं.’’
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मौलिक और अप्रकाशित
बहुत सुंदर और सटीक रचना प्रस्तुत की है भाई ओम प्रकाश जी, रहस्य अंत तक बना रहा और अंत में दिया गया संवाद एक जबर्दस्त चोट देता है, पात्र की और ऐसी सोच रखने वालो की मानसिकता पर.. हार्दिक बधाई भाई जी इस रचना के लिए
आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी आप की इस प्रोत्साहन भरी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार.
आदाब। सत्यकथाओं का प्रतिनिधित्व करती विषयांतर्गत चेताती, चुनौती व चेतावनी देती बहुत बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई जनाब ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब।
आदरणीय शेख शहजाद उसमानी जी आप की इस प्रोत्साहन भरी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार. आप को यह सत्यकथा के नजदीक लगी. पढ़ कर आनंद आ गया.
जनाब ओमप्रकाश क्षत्रिय जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।
कुछ टंकण त्रुटियाँ देख लें ।
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी । आप की अमूल्य प्रतिक्रिया मेरी धरोहर हैं । गलतियों का निवारण बाद में ही हो सकेगा ।
मजा आ गया पढ़ कर की, नारी नारी ही नही चिंगारी भी हैं। हार्दिक बधाई आपको आ. ओमप्रकाश क्षत्रिय जी टंकण की त्रुटियों का भी संज्ञान लीजिये। सादर
आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी आप को मेरी लघुकथा पसंद आई । यह जानकर अच्छा लगा। आप का हार्दिक आभार ।
हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश जी।बेहतरीन लघुकथा।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपकी इस अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार
बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय ओमप्रकाश सरजी ।
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