For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(ਪੰਜਾਬੀ ਘਨਾਛਰੀ) 


ਮੈਲੀ ਅਖ ਨਾਲ ਜਿਨ੍ਹੇ, ਤੱਕੀ ਹੈ ਜ਼ਮੀਨ ਤੇਰੀ
ਮਾਰ ਮਾਰ ਕੀਤੇ ਸਾਰੇ, ਢੇਰ ਤੂੰ ਪੰਜਾਬੀਆ !

ਜਾਨ ਵਾਰੀ ਹੱਸ ਹੱਸ, ਜਦੋਂ ਜਦੋਂ ਲੋੜ ਪਈ,
ਕੌਣ ਤੇਰੀ ਰੀਸ ਕਰੇ, ਸ਼ੇਰ ਤੂੰ ਪੰਜਾਬੀਆ ! 
       
ਰੱਤ ਮੰਗ ਲਿਆ ਜਦੋਂ, ਮਾਤ ਭੂਮੀ ਤੇਥੋਂ ਤੇਰਾ
ਭੋਰਾ ਵੀ ਨਾ ਲਈ ਉਦੋਂ, ਦੇਰ ਤੂੰ ਪੰਜਾਬੀਆ !

ਵੈਰੀਆਂ ਸੇ ਆਣ ਤੇਰੀ, ਫੇਰ ਲਲਕਾਰ ਛੱਡੀ
ਚਲ ਉਠ ਅੱਗੇ ਵਧ, ਫੇਰ ਤੂੰ ਪੰਜਾਬੀਆ !
--------------------------------------------------------
(देवनागरी रूपांतरण)
(पंजाबी घनाक्षरी)

मैली अक्ख नाल जेन्हे, तक्की है ज़मीन तेरी,      
मार मार कीते सारे, ढेर तूँ पंजाबिया !
 
जान वारी हस्स हस्स, जदों जदों लोड़ पई,
कौण तेरी रीस करे, शेर तूँ
पंजाबिया  !
 
रत्त मंगे लेया जदों, मात भूमी तैथों तेरा
भोरा वी ना लाई उदों,
देर तूँ पंजाबिया !   

वैरीआँ ने आण तेरी, फेर ललकार छड्डी
चल उट्ठ अग्गे वध, फेर
तूँ पंजाबिया !  
-----------------------------------------------
सरलार्थ:
मैली अक्ख नाल जेन्हे, = जिसने बुरी नज़र से
तक्की है ज़मीन तेरी = तेरी धरती को देखा ,      
मार मार कीते सारे = सब को मार मार कर ,
ढेर तूँ पंजाबिया  = तुमने ढेर लगा दिए हे पंजाबी !  
   
जान वारी हस्स हस्स = हँस हँस कर जान न्योछावर करदी ,
जदों जदों लोड़ पई = जब जब ज़रुरत पडी ,
कौण तेरी रीस करे = तेरा मुकाबला कौन कर सकता है ,
 शेर तूँ
पंजाबिया  = हे पंजाबी तू शेर है !

रत्त मंगे लेया जदों = जब तुम्हारा लहू माँगा है
मात भूमी तैथों तेरा = भारत भूमि ने तुम से
भोरा वी ना लाई उदों = तब तुम ने ज़रा भी
देर तूँ पंजाबिया = ज़रा भी देर नहीं लगाई हे पंजाबी !   

वैरीआँ ने आण तेरी = दुश्मन ने तुम्हारी गैरत को
फेर ललकार छड्डी = फिर ललकारा है
चल उट्ठ अग्गे वध = उठो और आगे बढ़ो
फेर
तूँ पंजाबिया  = फिर से हे पंजाबी !  
-----------------------------------------------

(हरियाणवी घनाक्षरी)

घणा सोचेया बी मन्ने, कदीं ब्योरा पाटेया ना,  
अपणे ही बच्चे नैं तौं, खुद मरवावे
क्यूँ ?

देबी के बरत राखै, कंजकां बठावै सदा  
घराँ जामे छोकरी तो, दुख
तौं मनावै क्यूँ  ?

दस छोरेयां के पाछे, सात छोरियाँ बची सें,      
छोटी सी यो बात थारी, समझ ना आवै क्यूँ ?

पाप यो कमाके घणा, अजन्मे के गेल यूँ,     
अपणे
अगंत धोरे, जिंदा क्यूँ लगावे तौं ?  
-------------------------------------------------
सरलार्थ:
घणा सोचेया बी मन्ने = मैंने बहुत सोचा
कदीं ब्योरा पाटेया ना = पर कभी समझ नहीं पाया ,  
अपणे ही बच्चे नैं तौं = कि तू अपने ही बच्चे को
खुद मरवावे
क्यूँ = खुद ही क्यों मरवा देता है ?

देबी के बरत राखै = देवी के व्रत रखता है
कंजकां बठावै सदा = दुर्गा पूजन भी करता है   
घराँ जामे छोकरी तो = घर में अगर बेटी पैदा हो जाए
दुख
तौं मनावै क्यूँ  = तू दुःख क्यों मनाता है ?

दस छोरेयां के पाछे = दस लड़कों के अनुपात में
सात छोरियाँ बची सें = सात लडकियां बची हैं ,      
छोटी सी यो बात थारी = ये छोटी सी बात तेरी
समझ ना आवै क्यूँ = समझ में क्यों नहीं आ रही ?

पाप यो कमाके घणा = इतना बड़ा महापाप करके
अजन्मे के गैल यूँ = अजन्मे से साथ यूँ ,     
अपणे
अगंत धोरे = अपनी आईंदा जन्मों पर,
जिंदा क्यूँ लगावे तौं = ताला क्यों लगा रहा है ?  
-------------------------------------------------
((हिमाचली घनाक्षरी)


भुल्ली के वी कदीं कोई, दिल नहियों तोडना 
रुस्सयाँ नूँ
हत्थ पैर, फड़ी के मनौणा जी !

मत्ती देया मारेया वे, गल्ल कीहाँ भुल्ली तींजो
जाणा ओनू पैणा एथों, जेने इथे औणा जी      

कच्ची मिट्टी दा है बावा, इक्क दिन खुरी जाणा
चार दिनां दा ही बंदा, इथे है परौणा जी  !     .

रुक्खी सुक्की खाईके ते, पाणीए दा घुट्ट पीके,
बद्दलाँ दी खेसी लैणी,
भोईं दा बछौणा जी !
----------------------------------------------------
सरलार्थ :
भुल्ली के वी कदीं कोई = भूल कर भी कोई
दिल नहियों तोडना = दिल नहीं तोडना
रुस्सयाँ नूँ
हत्थ पैर = रूठे हुयों को हाथ पाँव 
फड़ी के मनौणा जी = जोड़ कर मना लेना !

मत्ती देया मारेया वे = अरे मंद्बुधि
गल्ल कीहाँ भुल्ली तींजो = ये बात कैसे भूल गया
जाणा ओनू पैणा एथों = उसको यहाँ से जाणा होगा
जेने इथे औणा जी = जो यहाँ आया है      

कच्ची मिट्टी दा है बावा = कच्ची मिट्टी का खिलौना है
इक्क दिन खुरी जाणा = एक दिन गल जाएगा
चार दिनां दा ही बंदा = इन्सान चार दिन का
इथे है परौणा जी = महमान है यहाँ  !    
.

रुक्खी सुक्की खाईके ते = रूखी सूखी खाकर
पाणीए दा घुट्ट पीके = पानी का घूँट भरकर ,
बद्दलाँ दी खेसी लैणी = बादलों की चादर ओढ़ ले
भोईं दा बछौणा जी = धरती को बिस्तर बना ले !
------------------------------------------------------

सराईकी घनाक्षरी) 

नीत कूँ मुराद लग्गे, चंगा भला पता तेकूँ ,
फेर बावजूद हुँदै, नीत हे बुरी क्यऊँ !

मेंडे हमसाये तेकूँ, चिढ़ हिस गल्ल कोलूँ

तेंडे घर भौख़ बड़ी, मेंडे घर ख़ुशी क्यऊँ !

असां ते उड़ान्दे रहे, चिटड़े कबूतराँ कूँ    
तेंडी आसतीने सदा, लुक्की हे छुरी क्यऊँ ! 

याद रक्खीं हेक्क दे डू, पैलां तेंडे थी वंजे ने ,          
बीया टोटे थीसी तेंडे, जिद्द हे फड़ी
क्यऊँ !
---------------------------------------------------
सरलार्थ :
नीत कूँ मुराद लग्गे = जैसी नीयत वैसी मुराद होती है
चंगा भला पता तेकूँ = याह बात तुम भली भांति जानते हो  ,
फेर बावजूद हुँदै = पर उसके बावजूद भी
नीत हे बुरी
क्यऊँ = तुम्हारी नीयत में खोट क्यों है ?

मेंडे हमसाये तेकूँ = मेरे पडोसी तुझको

चिढ़ हिस गल्ल कोलूँ = इस बात की ईर्ष्या है 
तेंडे घर भौख़ बड़ी = कि तुम्हारे घर में तो भूख है 
मेंडे घर ख़ुशी क्यऊँ = मेरे घर में ख़ुशी क्यों है


असां ते उड़ान्दे रहे = हम तो उड़ाते रहे
चिट
ड़े कबूतराँ कूँ = सफ़ेद कबूतर    
तेंडी आसतीने सदा = मगर तेरी आस्तीन में
लुक्की हे छुरी
क्यऊँ = खंजर क्यों छुपा रहा 

याद रक्खीं हेक्क दे डू = याद रख तुम्हारे दो टुकड़े 
पैलां तेंडे थी वंजे ने = पहले ही हो चुके हैं         
बीया टोटे थीसी तेंडे = अब और टुकड़े हो जायेंगे
जिद्द हे फड़ी
क्यऊँ = ये जिद्द क्यों पकड़ी है ?
---------------------------------------------------

Views: 1031

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय योगराजभाई साहब, आपकी मानसिक और भाषाई प्रौढ़ता तथा दत्त-चित्त संलग्नता को मेरा सादर अभिनन्दन.

कमाल की बात यह है कि प्रत्येक कवित्त अपनी भाषा की तासीर के अनुरूप विस्तारित हुआ है. ..
जहाँ पंजाबी घनाक्षरी से पंजाब की मिट्टी का ओज छलक-छलक पड़ रहा है, तो, हरियाणवी घनाक्षरी उस समाज के विद्रुप व्यवहार और वहाँ की हृदयद्रावक विड़ंबना पर खूब मुखर है. हिमाचली घनाक्षरी उस मिट्टी-समाज में व्यापे परस्पर सम्बन्ध पर सुझावभरे बोल कहती दीख रही है तो आखिरी घनाक्षरी ने जिस तेवर को अपनाया है उसमें अपने राष्ट्र की आवाज़ अनुगुँजित हो रही है.

आपकी सफल साधना पर मुझे अतिशय गर्व की अनुभूति हो रही है. पुनश्च बधाई.

 

पुछल्ला - अब हम समझे आपके चुप होने का मतलब..  आपकी चुप तो बेहिसाब कमाल करती है..

प्रभाकर जी!
सादर वन्दे मातरम.
आपकी घंक्षारियां अपनी मिसाल आप हैं. हम कलमकारों को इसी तरह एकता की मशाल जलानी है. हिंदी, बुन्देली, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, निमाड़ी, राजस्थानी में मैंने भी कुछ कोशिश की है. देखिएगा. आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. हिंदी का हर रूप मिलकर इसे विश्व भाषा बनाएगा.

//हम कलमकारों को इसी तरह एकता की मशाल जलानी है. हिंदी, बुन्देली, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, निमाड़ी, राजस्थानी में मैंने भी कुछ कोशिश की है. देखिएगा. आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. हिंदी का हर रूप मिलकर इसे विश्व भाषा बनाएगा.//

 

आचार्यवर, आपके इस कथन को मेरा हार्दिक अनुमोदन है.

आदरणीय योगराज सर,

इस प्रकार चार भाषाओं में एक से बढ़कर घनाक्षरी छंद प्रस्तुत करना, विभिन्न भाषाओं पर आपकी सामान पकड़ को परिलक्षित करता है. (वस्तुतः 'सराईकी' तो मैंने पहली बार सुना). बाकी, जहां आपकी कोई रचना हो वहाँ गुणवत्ता तो स्वतः ही आ जाती है. उदाहरणार्थ-

//रुक्खी सुक्की खाईके ते, पाणीए दा घुट्ट पीके,
बद्दलाँ दी खेसी लैणी, भोईं दा बछौणा जी !// - एकदम सीधी-सादी बात और वो भी इतने सरल शब्दों में.

कुल मिलाकर यही कहूँगा... "आनंद आ गया..!!"

सादर

extremely well written Yograj ji...delighting and true, too!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service