For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राईट टू रिकॉल-राईट टू रिजेक्ट

अन्ना हजारे की एक जबरदस्त मांगों में से एक है: राईट टू रिकॉल. यह एक ऐसी जनवादी मांग है जिसके खिलाफ सारे सांसद, विधायक और उनके लग्गू-भग्गुओं, दलालों का एक तांता लगा हुआ है. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके आन्दोलन ने यह तो दिखा ही दिया है कि शासक वर्ग भ्रष्टाचार जैसे सर्वव्यापी कुव्यवस्था के खिलाफ लड़ने में किस कदर उनपर हमला सा बोल दिया था. सारे के सारे एक जुट थे, हलांकि भारी जनदबाव के कारण कुछेक उनके बीच के लोग भी अन्ना हजारे के साथ हो लिये थे. परन्तु अब उन्होंने जो एक नई मांग के साथ आन्दोलन का बिगुल फूंका है, वो जबरर्दस्त क्रांतिकारी सोच है, जिसके खिलाफ सारे के सारे शासक वर्ग एक जुट है. कहना न होगा राईट टू रिकॉल एक ऐसा नियम है जो सारे सांसदों और विधायकों के मन में एक डर पैदा कर दिया है. अब तक तो उनके लिए पांच सालों तक मौज ही मौज था, चाहे कुछ भी वे करते रहे. जनता उनका कतई कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी, सिवाय रूपम पाठक जैसे अपवादों के. परन्तु ये नई कानून अगर बन गई तो उनका सुख-चैन छिन जायेगा क्योंकि इन जीते हुए तथाकथित जनप्रतिनिधियों को आम जनता से कोई मतलब तो है नहीं. एक तरफ जहां अन्ना हजारे राईट टू रिकॉल की मांग कर रहे हैं वहीं शासक वर्गो के बीच एक नई धारा पैदा हो गई है, यह कहते हुए कि चाहे कुछ भी हो जाये, सरकार अल्पमत में ही क्यों नहीं हो जाये परन्तु चुनाव नहीं करवाये जाने चाहिए, बल्कि उसी में उलट-फेर कर सरकार बनाई जानी चाहिए. इसी से पता चलता है कि शासक वर्ग चुनाव जैसी संवैधानिक संस्था से कितनी ज्यादा डरी हुई रहती है. अन्ना हजारे की इसी मांग के साथ यह भी जुड़ा हुआ है राईट टू रिजेक्ट. शासक वर्ग इसे भी मानने से इंकार कर रही है. शासक वर्ग का कहना है कि यह संभव नहीं है. क्यांेकि वह जानती है कि चुनाव में वैसे लोग ही खड़े होते हैं जनता जिसे पसन्द नहीं करती. यदि यह कानून बन गया तो शासक वर्ग भारी मुश्किल में पड़ जायेगा. तमाम धन्ना सेठों, ठेकेदारों की दुकानदारी बंद हो जायेगी. जनता का राज कायम होने लगेगा. इसलिए शासक वर्ग का कहना है कि जिसे वोट नहीं देना हो नहीं दें, परन्तु जितने ही वोट डाले जायेंगे विजेता का चुना जाना उसी मामूली से वोट से ही किया जायेगा.स्पष्टतः, राईट टू रिकॉल और राईट टू रिजेक्ट जैसी जनवादी मांगों के साथ हम सभी को खड़े होना चाहिए.

 

Views: 823

Reply to This

Replies to This Discussion

सही मायने में लोकतंत्र तभी कायम होगा , जब  अन्ना की मांगें मान ली जायेंगी  ! लेकिन  उस स्थिति की कल्पना से  ही 
समस्त नेता बिरादरी की हवा खिसकने लगती है ,  और वे अपनी धूर्तता  दिखाने से बाज नहीं आते  ! 

अच्छी बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय कि पहल पर राईट टू इग्नोर  हमें नन ऑफ़ दीज  के रूप में मिल  चुका है I एक प्रकार से राईट टू रिजेक्ट तो हमें मिल ही गया  I  यह भी इसलिए संभव हुआ कि आम चुनाव के साथ ही यह किया जा सकता है  I  पर रिजेक्ट के मामले में  हर रिजेक्शन  पर चुनाव करा पाना हार्ड नट  है I  हमें अभी प्रस्तावित पहल के इफ और बट को परखना होगा I  शायद आप  सहमत हो  I  धन्यवाद  I

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service