For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साथियो
सादर वन्दे !

ओबीओ के मंच पर २८ सितम्बर से ३० सितम्बर २०११ तक आयोजित "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-१५ के संचालन का ज़िम्मा श्री राणा प्रताप सिंह जी ने काम में बेहद व्यस्त होने की वजह से इस बार इस खाकसार को सौंपा गया था ! इस बार "बहरे रमल मुसम्मन महजूफ " पर आधारित श्री मुनव्वर राणा जी की ग़ज़ल से ये मिसरा लिया गया था :

"इश्क है तो इश्क जा इज़हार होना चाहिए"   

(२१२२ २१२२ २१२२ २१२)

  

मुशायरे का सिलसिला जोकि श्री शुभारम्भ श्री शेषधर तिवारी जी के कलाम से हुआ, पूरे दिन तक अपने शबाब पर रहा ! २४ शायरों की ३५ ग़ज़लों समेत १०६३ टिप्पणियाँ इस बात का पुख्ता सबूत है  की मुशायरा पूरे दिन दिन तक रवाँ दवाँ रहा !  इस मुशायरे में जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया, उसकी तफसील कुछ यूँ है:


१. श्री शेषधर तिवारी जी  (३ ग़ज़लें)

२. श्री अम्बरीष श्रीवास्तव जी (२ ग़ज़लें)

३. श्रीमती सिया सचदेव जी (१ ग़ज़ल)

४. श्री इमरान खान जे (२ गज़लें)

५. डॉ. बृजेश त्रिपाठी जी (२ ग़ज़लें)

६. श्री अरविन्द चौधरी जी (१ ग़ज़ल)

७. श्री संजय मिश्र हबीब जी (१ ग़ज़ल)

८. श्री सौरभ पाण्डेय जी (१ ग़ज़ल)

९. श्री अनिल कुमार तिवारी जी (१ ग़ज़ल)

१०.श्री दुष्यंत सेवक जी (२ ग़ज़लें)

११. श्री अश्विनी रमेश जी (३ ग़ज़लें)

१२. श्री राकेश गुप्ता जी (३ ग़ज़लें)

१३. श्री अविनाश बागडे जी (२ ग़ज़लें)

१४. श्री सुरिंदर रत्ती जी (१ ग़ज़ल)

१५. श्रीमती मुमताज़ नाजा जी (१ ग़ज़ल)

१६. श्री वीनस केसरी जी (१ गजल)

१७. श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी (१ ग़ज़ल)

१८. आचार्य संजीव सलिल जी (१ ग़ज़ल)

१९. श्री कविराज बुन्देली जी (१ ग़ज़ल)

२०. श्री आलोक सीतापुरी जी (१ ग़ज़ल)

२१. श्री राजेन्द्र स्वरंकर जी (१ ग़ज़ल)

२२. श्री नवीन चतुर्वेदी जी (१ ग़ज़ल)

२३. श्री दानिश भारती जी (१ ग़ज़ल) 

२४. श्री पल्लव पंचोली मासूम जी (१ ग़जल)

 

हमेशा से ओबीओ के इन आयोजनों की एक सब से ख़ास बात यह रही है कि पाठकवर्ग केवल वाह वाही तक ही सीमित नहीं रहता, अपितु जहाँ कहीं किसी रचना में सुधार की गुंजायश नज़र आए वहाँ उसको इंगित करना भी अपना कर्तव्य समझता है ! इस खूबी की वजह से यह मुशायरा भी एक प्रकार की वर्कशाप की तरह भी रहा, जहाँ रचनायों को शिल्प एवं कहाँ की दृष्टि से और बेहतर बनाने के लिए खुल कर सुझाव पेश किए जाते हैं ! इस मुशायरे में जिस प्रकार हमारे युवा साथी श्री वीनस केसरी ने इस उत्तरदायित्व का निर्वहन किया, वह वन्दनीय है ! मेरा मानना है कि पाठकों की सार्थक टिप्पणियाँ रचनाकारों को उत्साहित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है ! मुझे यह देख कर बहुत हर्ष हुआ कि हमारे सम्माननीय साथियों ने अधिकतर रचनायों पर दिल खोल कर अपना मत व्यक्त किया, यहाँ तक कि ग़ज़ल के एक-एक- शेअर पर अपनी राय दी ! इस सफल आयोजन में अपनी सार्थक टिप्पणियों के साथ साथ चुटीली चुटकियों के साथ आयोजन को गतिमान बनाए रखने वाले आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी एवं भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी का मैं यहाँ विशेष तौर पर उल्लेख करना अपना फ़र्ज़ समझता हूँ ! अगर गौर से देखा जाए तो लगभग एक तिहाई टिप्पणियाँ भी आप दोनों की ही हैं!  

 

आयोजन के दौरान ये बात भी उठाई गई कि मुशायरे को केवल मुशायरा (जैसा कि स्टेज पर होता) ही रहने दिया जाए, और आलोचना, विवेचना अथवा रचना की कमी-बेशी इत्यादि पर बात न की जाए ! यहाँ में उस सब से कहना बड़े अदब-ओ-ख़ुलूस से अर्ज़ करना चाहूँगा कि ओबीओ पर इन आयोजनों का उद्देश्य केवल वाह-वाही कर किनारा कर लेना नहीं है, बल्कि एक वर्कशाप की तरह है जहाँ रचनाकार और पाठक में सीधा संवाद होता है, अत: ओबीओ पर आजोयित होने वाले किसी भी आयोजन के वर्तमान प्रारूप को बदलने का फिलहाल कोई प्रश्न ही नहीं है !   

 

इस बार के मुशायरे में एक बात साफ़ नज़र आई कि शिल्प की दृष्टि से भी रचनायों में पहले की बनिस्बत काफी सुधार आया है, अधिकतर लोग वजन-बहर में कहने की कोशिश करते नज़र आए ! हालाकि कुछ रचनाये इस बार भी वजन से बाहर थी, मगर हर किसी ने जिस तरह ग़ज़ल शिल्प सीखने में दिलचस्पी दिखाई है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि बहुत जल्द ही मुशायरे का स्तर और बुलंद होगा !

 

श्रीमती सिया सचदेव जी, श्री अविनाश बागडे जी एवं श्री अश्विनी रमेश जी को पहली बर इस आयोजन में अपनी ग़ज़लें पेश करते देखना एक बेहद सुखद अनुभव रहा ! हमारे एक युवा साथी पल्लव पंचोली मासूम की परिपक्व रचना से रू-ब-होना भी बायस-ए-मसर्रत रहा !   मैं दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूँगा श्रीमती मुमताज़ नाजा जी, श्री दानिश भारती जी, आचार्य संजीव सलिल जी, एवं श्री राजेन्द्र स्वर्णकार जी का जिन्होंने काफी अंतराल के बाद मेरी गुज़ारिश कबूल कर हमें अपने कलाम से नवाज़ा ! इन सब की आदम मौजूदगी ने  महफ़िल को चार चाँद लगा दिए !  इस मुशायरे के दौरान मैंने लगभग आधा दर्जन रचनायों को जोकि शिल्प के साथ साथ कहन के स्तर पर भी सदृढ़ नहीं थी, उन्हें रचनाकारों से यह कह कर हटा दिया था कि वांछित सुधार करके इन्हें आयोजन में शामिल कर लिया जाएगा ! मैं उन सब साथियों से क्षमा-प्रार्थी हूँ कि समयाभाव की वजह से मैं वो काम न कर सका !   


अंत में इस आयोजन में शामिल सभी रचनाकारों और पाठकों का मैं तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ जिन्होंने पूरे जोश-ओ-खरोश से इस मुशायरे को कामयाब बनाने में अपना सहयोग दिया !  मुझे यह बताते हुए भी अति हर्ष हो रहा है कि यह आज तक का सब से कामयाब मुशायरा रहा है जिसने १०६३ प्रविष्टियाँ प्राप्त की हैं, इससे पहले का कीर्तिमान ७६२ का था जोकि "ओबीओ लाईव तरही मुशायरा" अंक १३ के दौरान बना था !  सो इस रिकार्ड-तोड़ आयोजन के लिए ओबीओ के संस्थापक श्री गणेश जी बागी को भी हार्दिक बधाई देता हूँ ! सादर !


योगराज प्रभाकर

(प्रधान सम्पादक)

Views: 793

Reply to This

Replies to This Discussion

बहुत सुन्दर लेखा जोखा प्रस्तुत किया है बड़े भईया... सादर बधाइयां...

इस बार मुझे इस बेहतरीन मंच पर अपनी नगण्य उपस्थिति का बेहद मलाल है...लेकिन वास्तव में एक से एक बढ़कर गज़लें कहीं गईं... अभी इन ग़ज़लों की एक साथ प्रस्तुति देख/पढ़कर और भी आनंद आ गया...

आपको और ओ बी ओ की पूरी टीम को सादर बधाईयाँ इस बेशकीमती आयोजन के लिए...

सादर.

प्रस्तुतियों  (ग़ज़ल), वैचारिक आदान-प्रदान तथा प्रतिक्रियाओं के लिहाज से अबतक के सफलतम मुशायरे की समाप्ति के उपरांत इस पूरे आयोजन पर आपका सम्पादकीय पढ़ कर सम्पूर्ण आयोजन की गतिविधियाँ और इसकी रूपरेखा पुनः स्पष्ट हो गयी है.

कहना न होगा,आदरणीय, कि जिस दर्शन के अंतर्गत इस तरही मुशायरे का प्रति माह आयोजन तय हुआ है उस दर्शन से मुशायरा लेश मात्र भी नहीं भटका है.  तथा, इस मुशायरे के संचालित होने के सात्विक उद्येश्य का गंभीरता से निर्वहन हो रहा है. इस हेतु आपके संचालन तथा समस्त भागीदारों व पाठकों की उपस्थिति को सादर प्रणाम प्रेषित है.

आपको सादर धन्यवाद आदरणीय योगराजभाई साहब, कि, अपने अतिव्यस्त कार्यक्रम से आपने आवश्यक समय निकाल कर इस रिपोर्ताज़ को साझा किया है.

सादर धन्यवाद.

इस खूबी की वजह से यह मुशायरा भी एक प्रकार की वर्कशाप की तरह भी रहा
वाह,,,
सच एक वर्कशाप ही तो थी
सुन्दर समीक्षात्मक पोस्ट के लिए धन्यवाद

मेरी कारगुजारियों पर नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया    :))))))))))))

Mushaaire ki kaamyaabi ke liye samast prabandhan ko bahot bahot badhaai

 
इस विस्तृत रपट के liye  हार्दिक साधुवाद आदरणीय संपादक जी और संचालक सहित सभी साथियों को आयोजन की रिकार्ड सफलता हेतु हार्दिक बधाई !! 

ओबीओ पर इन आयोजनों का उद्देश्य केवल वाह-वाही कर किनारा कर लेना नहीं है, बल्कि एक वर्कशाप की तरह है 

मुद्दे की बात आदरणीय प्रधान संपादक महोदय 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service