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गणेश जी, नमस्कार ।
बहुत दिनों से चाह कर भी OBO पर अपनी उपस्थिती दर्ज नहीं करा पा रही थी । अब उपस्थित हूँ एवं OBO से सभी संबद्ध लोगों का हार्दिक अभिवादन करती हूँ ।
मैं आप की इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि रचनाकार की रचना को पढ़ने के बाद उस पर टिप्पणी तो अवश्य ही करनी चाहिए । इससे रचनाकार को इस बात का एहसास तो होता ही है कि उसकी रचना को पढ़ा गया है साथ ही उसे फिर से एक रचना करने के लिए encouragment भी मिलता है ।
आदरणीय नीलम दीदी, यह सत्य है कि आप कि कमी OBO पर खलती रही, इस मध्य मुशायरे और महा इवेंट का काफी सफल आयोजन भी संपन्न हुए है |
आपने कहा "रचनाकार की रचना को पढ़ने के बाद उस पर टिप्पणी तो अवश्य ही करनी चाहिए । इससे रचनाकार को इस बात का एहसास तो होता ही है कि उसकी रचना को पढ़ा गया है साथ ही उसे फिर से एक रचना करने के लिए encouragment भी मिलता है ।"
आपकी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ |
गौतम अरोरा जी, आपने मेरे मुह की बात जैसे छीन ली, आज कल कुछ लेखकों मे भी सामान्यतः देखने को मिल रहा है कि वो अपनी रचना पोस्ट करने के बाद उसपर आई टिप्पणियों को नजरअंदाज कर देते है और यह जरूरी भी नहीं समझते कि कम से कम टिप्पणीकार को धन्यवाद तो कर दे, यह तो सामान्य सा परंपरा रहा है कि कोई यदि आपको बधाई दे रहा हो तो आप उसे धन्यवाद बोले , या कोई आपकी कमियों को भी बता रहा हो तो हमारा फर्ज बनता है कि धन्यवाद कहे |
वंदना जी आप का कथन दुरुस्त है, मेरा स्वयम का यह अनुभव है कि मैं जब भी कोई रचना पोस्ट करता हूँ तो मेरी रचना पर सर्वाधिक टिप्पणिया प्राप्त होती है, मैं अच्छी तरह से समझता हूँ कि इसका कारण यह नहीं कि मैं बहुत अच्छा लिखता हूँ , बल्कि इसका यह कारण है कि मैं सभी के रचनाओं पर टिप्पणी करता हूँ इसलिये मेरी रचनाओं पर भी टिप्पणी प्राप्त होती है |
मैं स्पस्ट रूप से यह भी कहना चाहता हूँ कि मेरा यह कतई मतलब नहीं है कि टिप्पणी इस सोच के साथ लिखा जाय कि मैं दूसरों कि रचनाओं पर टिप्पणी दूंगा तो मेरी भी रचनाओं पर टिप्पणी प्राप्त होगी, बल्कि टिप्पणी इस सोच के साथ दिया जाय कि यह तो रचनाकारों का हक है और ये उन्हे मिलना ही चाहिये |
क्या हम सभी रचनाओं पर अपनी टिप्पणी न देकर लेखको का हकमारी नहीं कर रहे है ?
अगर प्रश्न यही है तो मेरा उत्तर है नहीं कोई हकमारी नहीं हो रही है परन्तु अगर प्रश्न होता कि,
क्या हम "अच्छी" रचनाओं पर अपनी टिप्पणी न देकर लेखको का हकमारी नहीं कर रहे है ?
तो मेरा जवाब होता जी हाँ यह लेखक के हक को मारना ही है कि रचना पसंद आने पर भी प्रशंशित और प्रोत्साहित नहीं किया गया या कमेन्ट नहीं किया गया
( यहाँ अच्छी रचना से मेरा तात्पर्य पाठक को पसंद आने से है न कि उस रचना को साहित्य के शिखर पर स्थापित रचनाओं से तुलना करने से )
रचना के पसंद आने के कई कारक हो सकते हैं कोई जरूरी नहीं कि मेरी एक रचना दो व्यक्ति को एक जैसी पसंद आये
किसी को बेकार भी लग सकती है
मंटो कि कहानी "ब्लाउज" या "हतक" बहुतों को अश्लील लगती है तो बहुतों को उसमें आदर्श कहानी के तत्व दिखते है तो क्या दोनों कि प्रतिक्रिया का स्वरूप प्रशंसा और प्रोत्साहन हो सकता है ?
कदापि नहीं
पसंद न आने पर भी कोई पाठक लेखक कि रचना कि तारीफ़ करे उससे बेहतर यह है कि वह चुप रह जाए
ये बात तो आपको भी स्वीकार्य होगी कि नकारात्मक कमेन्ट लिखने से बचना चाहिए
ब्लॉग जगत और असल जिंदगी में एक बड़ा फर्क ये भी होता है कि असल जिंदगी में एक समय में पाठक केवल पाठक होता है और लेखक केवल लेखक परन्तु ब्लॉगजगत में एक पाठक एक ही समय में लेखक भी होता है और एक लेखक एक ही समय में पाठक भी
यह भी एक बड़ा अंतर है
जिस तरह हम किसी पुस्तक के गुण-दोष पर चर्चा कर सकते हैं ब्लॉग पर इस तरह कि चर्चा करने से बचते है
मैंने यह भी देखा है कि अंधा प्रोत्साहन भी नए लेखक को ले डूबता है
मुझे लगता है कि कमेन्ट वहीं करना चाहिए जहाँ कमेन्ट करने के बाद आप कम से कम यह न सोचने लगे कि कमेन्ट कमेन्ट खेल कर बड़ा मज़ा आया
या फिर कि चलो यार दो घंटे हैं तो ३०-४० कमेन्ट ही कर लिया जाये
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