आदरणीय परिवारजन,
सादर अभिनन्दन.
आज हमारा प्यारा ओबीओ एक और मील का पत्थर पीछे छोड़कर, अपने आठवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इस परिवार का मुखिया होने की हैसियत से यह मेरे लिए गर्व की बात है कि सात बरस पूर्व भाई गणेश बागी जी ने जो बीज बोया था, आप सबके सहयोग से आज वह छायादार वृक्ष बनने की तरफ अग्रसर है. तीन साल पहले मैंने इसी मंच से कहा था कि अपने शैशवकाल ही से ओबीओ का चेहरा-मोहरा आश्वस्त कर रहा था कि यह नन्हा बालक अपने पाँव पर खड़ा होने में अधिक समय नहीं लेगा. और हुआ भी वैसा ही.
कहना न होगा कि आज ओबीओ हर गम्भीर नवोदित रचनाकार का मनपसंद ठिकाना बन चुका है. क्योंकि बिना किसी पक्षपात के नव लेखन को प्रोत्साहित करने में इस परिवार का कोई सानी नहीं है. रचनाएं प्रकाशित करने वाले तो अनेक मंच मौजूद हैं, लेकिन रचनाओं पर इतनी उच्च- स्तरीय समालोचना शायद ही कहीं और देखने को मिलती हो. हमारे सभी आयोजन एक वर्कशॉप की तरह होते हैं जहाँ रचना के गुण-दोषों पर खुल कर चर्चा की जाती है. उसी का परिणाम है कि कुछ अरसा पहले बेहद अनगढ़ साहित्य रचने वाले भी आज लगभग सम्पूर्ण रचनाएं रच रहे हैं. हमारे बहुत से गज़लकार, छंदकार, एवं लघुकथाकार साहित्यिक क्षेत्र में अपनी पहचान भी स्थापित कर चुके हैं.
हमारे सुप्रसिद्ध “ओबीओ लाइव तरही मुशायरा” तथा “ओबीओ लाइव महा-उत्सव” अपनी हीरक जयंती मना चुके हैं, “ओबीओ लाइव चित्र से काव्य तक छंदोत्सव” जिसके आज तक 71 आयोजन हो चुके हैं, इसकी हीरक जयंती भी इसी वर्ष मनाई जाएगी. इस श्रृंखला में सबसे युवा “ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी” भी अगले महीने अपनी रजत जयंती मनाने जा रही है. iइन सभी आयोजनों से बहुत सी प्रतिभाएँ उभरकर सामने आई है, और आ भी रही हैं. मेरी हार्दिक इच्छा है कि iइन आयोजनों की चुनिन्दा रचनाओं के संकलन निकाले जाएँ ताकि पटल पर मौजूद सर्वश्रेष्ठ साहित्य किताब का रूप लेकर आलोचकों तथा शोधकर्ताओं तक पहुँच सके. इसके इलावा हमारे वर्तमान लाइव आयोजनों की तर्ज़ पर ही इस वर्ष एक और महाना आयोजन प्रारंभ करने का भी विचार है, यह महाना गोष्ठी किसी ऐसी विधा पर होगी जिस विधा में काम बहुत कम हो रहा है. इस आशय का प्रस्ताव जल्द ही प्रबन्धन समिति के विचाराधीन लाया जाएगा.
ओबीओ परिवार केवल अंतर्जाल के माध्यम ही से सक्रिय नहीं है बल्कि ज़मीनी तौर पर भी अपना काम कर रहा है. इस उद्देश्य से लखनऊ के बाद कानपुर एवं भोपाल में भी ओबीओ चैप्टर की स्थापना हुई. iइन तीनो इकाईओं को सम्पूर्ण स्वायत्ता दी गई है ताकि वे बिना किसी हस्तक्षेप से अपना काम कर सकें. मुझे यह बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि ये तीनो चैप्टर मासिक गोष्ठियों के माध्यम से साहित्य के प्रचार प्रसार में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इस अवसर पर मैं इनin तीनो इकाईओं से जुड़े पदाधिकारियों व सदस्यों का हार्दिक शुक्रिया अदा करता हूँ.
इस मंच पर छंद के बीज के बीज बोने वाले आ० आचार्य संजीव सलिल जी व श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी, भाई राणा प्रताप सिंह जी के साथ तरही मुशायरे की शुरुआत करने वाले श्री नवीन चतुर्वेदी जी, ओबीओ के संस्थापक दल के आ० रवि “गुरु” जी तथा प्रीतम तिवारी जी का ज़िक्र किया जाना भी बनता है. आज भले ही ये महानुभाव मंच पर सक्रिय नहीं हैं, लेकिन इस अवसर पर उनके योगदान को याद न करना कृतघ्नता होगी. इनके इलावा इस मंच पर ग़ज़ल की बाकायदा शिक्षा देने वाले आ० तिलकराज कपूर जी तथा भाई वीनस केसरी की मेहनत को भी यह मंच सलाम पेश करता है.
7 वर्ष पूर्व हम एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चल पड़े थे, कहाँ जाना है इसका पता तो था. लेकिन वहाँ तक कैसे पहुंचना है यह नहीं मालूम था. तब रास्ते में नए साथी मिले, कुछ बुज़ुर्गों ने सही रास्ता बताया. धीरे-धीरे हम ऊबड़-खाबड़ रास्तों के काँटों को हटाते हुए आगे बढ़ते रहे. सात वर्ष के लम्बे सफ़र में कई पड़ाव पार करने के बाद भी हमे किसी तरह की कोई खुशफहमी नहीं होनी चाहिए. हमें सदैव याद रखना होगा कि दिल्ली अभी बहुत दूर है. इसलिए आवश्यक है कि हम सब एक दूसरे का हाथ मज़बूती से थामें रहें और अपना सफ़र जारी रखें.
मैं इस शुभ अवसर पर ओबीओ संस्थापक भाई गणेश बागी जी को हार्दिक बधाई देता हूँ जिन्होंने यह मंच हम सब को प्रदान किया. मैं उन्हें दिल से धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझ अकिंचन को इस विशाल परिवार की बागडोर सम्हालने के योग्य समझा.
आदरणीय साथियो! भले ही मैं इस टीम का कप्तान हूँ लेकिन सच तो यह है कि अपनी टीम के बगैर मैं शून्य हूँ. इसलिए इस अवसर पर मैं अपनी प्रबंधन समिति के सभी विद्वान साथियों आ० सौरभ पाण्डेय जी, श्री राणा प्रताप सिंह जी एवं डॉ प्राची सिंह जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने क़दम क़दम पर मेरा साथ दिया और मंच की बेहतरी हेतु उचित निर्णय लेने में सदैव मेरा मार्गदर्शन किया. मंच की कार्यकारिणी के सभी सदस्यों का भी दिल से शुक्रिया जिनकी अनथक मेहनत ने मंच को नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं. मैं मंच से जुड़े हुए हर सदस्य को भी धन्यवाद कहता हूँ जिनके स्नेह की बदलैत आज यह मंच अपने आठवें वर्ष में पहला कदम रखने जा रहा है.
जय ओबीओ.
जय हिन्द.
सादर
योगराज प्रभाकर
(प्रधान सम्पादक)
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ह्रदयतल से आभार आ० वासुदेव अग्रवाल नमन जी! वर्ष 2010 में ओबीओ की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि “तू मेरी पीठ खुजा–मैं मेरी खुजाता हूँ” वाली प्रवृत्ति से दूर गंभीर रचनाकारों को ऐसा ठीहा उपलब्ध कराया जाए जहाँ बिना किसी पक्षपात के उनका मार्गदर्शन किया जा सके. यह भी व्यवस्था की गई कि इस मंच को “सीखने-सिखाने” की जगह बनाया जाए. जहाँ सभी को वरिष्ठ-कनिष्ठ से ऊपर उठ कर अपनी बात कहने का अवसर व अधिकार हो. आपने इस मंच को सर्वश्रेष्ठ माना, इसलिए दिल से आपका शुक्रिया.
आदरणीय योगराज जी ओबीओ की सातवीं वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर बधाई .... परमेश्वर से प्रार्थना है कि हमारा ओबीओ दीर्घायु और यशस्वी हो ओबीओ का अन्तर्जाल के माध्यम से हिंदी – साहित्य के विकास और विस्तार में गौरवपूर्ण योगदान रहा है इस गौरवशाली मंच ने हिंदी - भाषा में सृजन और वहन का जो दायित्व उठाया है वह अत्यंत सराहनीय है. इस मंच ने मुझ जैसे अनेक रचनाकारों को अभिव्यक्ति का धरातल प्रदान कर के उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहन के साथ साथ मार्गदर्शन भी प्रदान किया है..यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इस परिवार का सदस्य हूँ. मुझे पूर्ण विश्वास है कि ओबीओ प्रगति - पथ पर यूं ही अग्रसर रहेगा.
ओबीओ के सफलतापूर्ण सात साल पूरा कर आठवें वर्ष में पदार्पण करने हेतु ओबीओ प्रबंधन समिति तथा परिवार के समस्त सदस्यों को हार्दिक बधाइयां इस शुभ अवसर पर मैं यही कामना व्यक्त करता हूँ की हमारा ओबीओ इसी तरह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता रहे
शुभ शुभ
हार्दिक आभार आ० सत्यनारायण सिंह जी. अंतर्जाल पर हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं पर इस मंच से उच्च-स्तरीय कार्य हुआ है, इसमें कोई सन्देह नहीं, किन्तु हमे रुकना नहीं है, बल्कि हमे इस दिशा में पहले से भी अधिक परिश्रम करना होगा.
आपकी शुभकामनाओं के लिए ह्रदयतल से आभार प्रकट करता हूँ आ० डॉ शरदिंदु मुकर्जी साहिब. जिन विभूतियों का खून पसीना ओबीओ की नींवों में है उन्हें ऐसे अवसर पर याद न करना तो कृतघ्नता ही होगी न? आपके सफल नेतृत्व से ओबीओ का लखनऊ चैप्टर अपना काम बहुत ही कुशलता से कर रहा है, जिसे देखकर हम फूले नहीं समाते हैं. कानपुर और भोपाल चैप्टर हालाकि अपेक्षाकृत नए हैं, लेकिन वहां भी लखनऊ जैसा ही काम होगा, मुझे इसकी पूरी आशा है.
हार्दिक आभार आ० मदनलाल श्रीमाली जी.
आदरणीय योगराज सर,
ओ बी ओ के सात वर्षों की यात्रा पूरी कर आठवें वर्ष में प्रवेश करने पर हार्दिक शुभकामनायें | आपके कुशल नेतृत्व में यह आगे का सफर भी सफलतापूर्वक जारी रखेगा, इसमे कोई भी संदेह नहीं है | मैं इससे लगभग एक वर्ष पहले जुड़ा था था | मुझे याद है कि शुरू में मैं अपनी रचना पोस्ट नहीं कर पा रहा था | मैंने आ. योगराज सर को सीधे फोन किया था | मुझे तत्काल उनका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ | इसके बाद तो मैं लगभग हर आयोजन खासकर इसकी कविता, ग़ज़ल और लघु कथा में भाग लेता रहा हूँ | परंतु मुझे ग़ज़ल में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है | मैं इससे जुड़े रहकर अपना सफर जारी रखने का इच्छुक हूँ | मुझे इस मंच पर आ. सौरभ सर की बेवाक और सीधी टिप्पणी याद रहती है | मैं अपनी रचना को सभी गन्यमानों के सुझाव के आलोक में पुनः संशोधित और परिमार्जित करने की कोशिश करता रहता हूँ | यह सब ओ बी ओ से जुड़ने के कारण ही सम्भव हो सका है वरना मैं एक विज्ञान का विद्यार्थी साहित्य सृजन का सफर जारी ही नहीं रख पाता | पूरी ओबोओ टीम को मेरी अशेष शुभकामनाएं !
हार्दिक आभार आ० ब्रजेन्द्र नाथ मिश्रा जीI हमारे आयोजन मात्र आयोज्न्ना होकर एक वर्कशॉप की तरह होते हैं, जहाँ रचनाओं पर न केवल खुलकर चर्चा ही होती है बल्कि हमारा मार्गदर्शन भी किया जाता है. मंच पर आपकी उपस्थिति हम सबके लिए प्रसन्नता का विषय है.
हार्दिक आभार आ० नीता कसार जी, आपको भी ओबीओ वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई.
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