परम आत्मीय स्वजन,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 57 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह मेरे पसंदीदा शायर हज़रत दाग़ देहलवी की ग़ज़ल से लिया गया है|
"मुझ को वो मेरे नाम से पहचान तो गया"
221 2121 1221 212
मफ़ऊलु फाइलातु मुफ़ाईलु फाइलुन
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 मार्च दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 28 मार्च दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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:-))
आदरणीया राजेश कुमारीजी ने अनुमोदित किया .. हार्दिक धन्यवाद.
आ० सौरभ जी
आपकी कड़ी फटकार का असर है जिसके बल पर इस मंच पर पहली बार आया हूँ .अभी इस क्षेत्र में बच्चा हूँ. सादर .
आदरणीय उसे फटकार न कह कर इस मंच की गरिमा के प्रति मेरी संवेदना कहें. अन्यथा मैं प्रताड़ित महसूस करूँगा..
सादर
आदरणीय सौरभ जी
अच्छी सीख को शिष्यगण . गुरु की फटकार ही कहते हैं. सादर
गुरु ???? .. अब आपो बउराये का भइया !!
नखलऊ पहुँचते गोमती बदल जाती है का ????
इतिहास न दुहराये खुद को .. . :-(((
आदरणीय
लखनऊ में कचरा बहुत है . दिमाग में भर जात है . सादर .
हा हा हा हा..
हमके त अनुभव ई रहा अहै जे ..
काम परे त ठकुरसुहाती.. आ नाय परे त रचि के धइ दे दु-लाती.. !
ए बदे हम इतिहास क बात उकरि गये.
;-))))
आप अन्यथा न लेवें साहिब .. करबद्ध कहित अहैं ..
नीलेश जी
गजल पर यह मेरा पहला गंभीर प्रयास है .जो दोष है उसे विस्तार से बताते तो मेरे ज्ञानमे कुछ वृद्धि होती . आपके सामने तो मई वैसा ही हूँ जैसे सिंह के सामने मेमना . सादर .
आ. "पहचान तो गया" में अंतिम स्वर 'आ' है अत: ये प्रयास करें कि सिवाय मतले के कोई अन्य सानी मिसरा (ऊपर वाला) आ स्वर पर समाप्त न हो. ऐसा होने को दोषपूर्ण माना जाता है
यानी मतले या हुस्ने मतला के अलावा उला की अंतिम मात्रा और रदीफ़ की अन्तिम मात्रा समान न हो.
आप ग़ज़ल की कक्षा को ध्यान से पढ़ें तो सब स्पष्ट हो जायेगा..
आ० सौरभ जी
अभी पढ़ रहा हूँ . गति धीमी है . थोडा समय लगेगा . सादर .
समझ गया सादर , अभी मेरा .अध्ययन चल रहा है . वीनस जीने विस्तार से लिखा है. आपका धन्यवाद .
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