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प्रेरक रचना।बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय अतुल सरजी।
"दौड़, समय से"
अभी तो परीक्षा के पाँच महीने हैं, मुझे आप केवल चार माह दे दीजिए, आपकी बेटी शत- प्रतिशत नहीं पिचानवे प्रतिशत अंकों से अंग्रेजी विषय की परीक्षा ज़रूर पास कर लेगी। लेकिन न तो माँ और न, ही उसकी बेटी, मेरी बात सुनने को तैयार थे। और, आज कृति अपने पापा जी को भी ले आई थी।
अजीब बात थी, ...पैंतालीस साल के शिक्षण काल में जो जद्दोजहद माँ बाप में लड़कियों की शिक्षा के प्रति आज देख रहा था, अभूतपूर्व थी.... ! पिछले कई वर्षों में न देखी और सुनी थी! शायद "लड़कियाँ पढ़ाएं, देश बचाओ " का संकल्प फिर चढ़ कर बोल रहा था.......!
मौलिक व अप्रकाशित
सकारात्मक भाव लिये रचना के लिये बधाई आदरणीय
आ. भाई चेतन जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।
बेहतरीन रचना। बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय चेतन सरजी।
वाह हर रोज नये मानको के आधार पर अपनी सहूलियतों के अनुसार उत्पादों को गिराया उठाया जा रहा है मीडिया द्वारा। प्रदत्त विषय पर शानदार रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया अर्चना राय जी
आ. अर्चना जी, अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
बहुत बढ़िया रचना। बहुत-बहुत बधाई, आदरणीया अर्चना जी।
वो दो
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मुझे नहीं पता मेरी उम्र क्या है। बरसों से यहीं हूँ।इतना याद है कि मेरे आसपास ये पार्क और बिल्डिंगें पिछले कुछ सालों में ही बनी हैं। इन्सानों के साथ रहते हुए उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी 'लगाव' मेरे अन्दर भी आ गई है। इन दोनो से बहुत लगाव हो गया है मुझे। छोटी निक्करें पहनें मेरे इर्द गिर्द दौड़ते थे, तब से देख रहा हूँ इन्हें।
" चल लगी रेस! कौन बरगद को पहले छुए"
मुझे छूने में हर बार की तरह छोटू फिर पीछे रह गया, लंबू जीत गया।
"तेरे हिन्दी में कितने आये? मेरे नौ दस में से।"
"छः, पर गणित में आठ आये।"
" मेरे गणित में पूरे दस "
जब दोनो पैंट में आये तो लगा शायद छोटू यहाँ आगे निकल जायगा पर यहाँ भी लंबू ने बाजी मार ली।
" पागल! कल जब उसने किताब माँगी थी, तो चुपके से किताब में रखकर दे देता चिट्ठी"
" नहीं हो पाया यार! वैसे तूने क्या तीर मार लिये?"
लो! दो महीने पहले दे दी चिट्ठी। तूने नोटिस नहीं किया मुझे देखकर शर्मा जाती है आजकल।"
मुझे उन दोनो की बातें गुदगुदाती भी थीं और छोटू की सुस्ती पर गुस्सा भी आता था।
बुढ़ापा आ गया दोनो का पर छोटू फिर भी पीछे
" आज कितने राउँड किये पार्क के?
" पाँच, आज ज्यादा दर्द है घुटनों में"
" मुझे देख! रोज हर हाल में बीस पूरे करता हूँ। कल शाम को क्यों नहीं आया?"
" बेटे ने गाड़ी ली है। घुमाने ले गया था"
" अब जाकर ली है गाड़ी! मेरे विभु ने पिछले महिने दूसरी ली है अपनी वाइफ के लिये।"
आज बस लंबू आया है और उदास है। फोन में किसी से बात कर रहा है "वो नालायक हर बात में मुझसे पीछे था और आज आगे निकल गया। मुझसे पहले दौड़ कर दुनिया से गोल हो गया।"
वो सुबक रहा है। मैं भी उदास हूँ। लगाव की बीमारी जो लगा ली है।
मौलिक व अप्रकाशित
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