आदरणीय साथियो,
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आ.चेतन जी,जरा अपनी रचना में वर्तनी, पद संबंधी अन्वय आदि पर धैर्यपूर्वक गौर कर लीजिए। फिर विषय पर आयेंगे।
आदरणीय, मनन कुमार सिंह, नमस्कार, भाई ! मैंने आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब को जो बताया, बंधुवर, वो आपको भी एतद्वारा निवेदित हो, पढ़ लें । हाँ, इतना जरूर कहूँगा , रचना का सम्पादन शेष है जो समारोह की समाप्त हो जाने पर मैं स्वयं निश्चित रूप से करूँगा और आप फिर मुझे बताएं, दोष चिह्नित करे, आपका स्वागत है, जनाब ! सादर
लीपा-पोती - लघुकथा -
राज्य के चुनाव संपन्न हो गये। सत्ता पर आसीन दल भारी बहुमत से विजयी हुआ।
इसी हर्षोल्लास के माहौल में मुख्य मंत्री ने प्रेस वालों को रात्रि भोज पर बुलाया।
इस रात्रि भोज का मुख्य उद्देश्य प्रेस का मुँह बंद करना था। जो कि रात दिन चुनाव के दौरान हुई हिंसा का ढोल पीट रहे थे।
पत्रकारों का कहना था कि आजाद होने के बाद देश में यह पहला चुनाव था जिसमें धन बल और भुज बल का सत्ता पक्ष ने खुल कर दुरुपयोग किया था। सत्ताधारी दल के गुंडों ने अधिकांश जगहों पर विरोधी दलों को नामांकन तक नहीं करने दिया। इस कार्य में सरकारी मशीनरी और पुलिस बल का भरपूर सहयोग लिया गया था।
इसी बात का खंडन कराने हेतु यह भव्य रात्रि भोज का आयोजन किया गया था।
सर्व प्रथम प्रवेश द्वार पर ही सभी पत्रकारों को मुख्यमन्त्री जी ने भेंट स्वरूप एक एक लैपटॉप प्रदान किया।
रात्रि भोज से पहले राज्य के मुख्यमंत्री जी ने पत्रकारों को संबोधित किया और अपनी मंशा स्पष्ट कर दी।
"आप सभी का हार्दिक स्वागत और पधारने के लिये हार्दिक आभार। कल तक जो भी आपने हमारे बारे में लिखा उसे हम भूल गये, अब आप भी भूल जाइये। अब हम सब मिल कर नये युग का आग़ाज़ करेंगे । कल के सभी समाचार पत्रों के मुख पृष्ठ की हैड लाइन क्या होगी, यह हमारे मुख्य सचिव पढ़ कर आपको सुनायेंगे"
तदुपरान्त मुख्य सचिव ने माइक सँभाला,” कल के समाचार पत्रों की मुख्य खबर यह होगी कि इस देश के इतिहास में पहली बार इस राज्य में इतनी शांति पूर्वक, निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराये गये। जिसका संपूर्ण श्रेय इस राज्य के शान्ति प्रिय, गौरवशाली और प्रतिभावान मुख्य मंत्री जी को जाता है।"
सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इस गड़गड़ाहट की प्रतिध्वनि से मुख्य मंत्री के पीछे लगी गाँधी बाबा की तस्वीर जिस पर लिखा था “सत्य मेव जयते " गिर कर चकनाचूर हो गयी।
इस घटना से प्रभावित होकर एक पत्रकार का जमीर जाग उठा,"श्रीमान, इससे तो समाज में हमारी प्रतिष्ठा और ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा।”
"देखिये, आपको समाज रोटी नहीं देगा। फिर भी कोई जोर या दवाब नहीं है। निर्णय आपको करना है।"
मुख्य सचिव की बात सुन कर वह पत्रकार अपनी भेंट मुख्य मंत्री की मेज पर वापस रख कर बिना दावत खाये समारोह से निकल लिया।
उसकी देखा देखी कुछ और स्वाभिमानी पत्रकार भी अपने उपहार तथा भोजन त्याग कर निकलने लगे।
आज सरकारी अमले को पता चला कि हर पत्रकार को ख़रीदा नहीं जा सकता ।
मौलिक , अप्रसारित एवं अप्रकाशित
आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । प्रदत्त विषय पर समसामयिक सुंदर लघुकथा हुई है । हर नजर से यह उत्तम है। हार्दिक बधाई ।
हर्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी "मुसफ़िर" जी। मुझे बहुत खुशी है कि आप लघुकथा के मर्म तक पहुंचे।
आ.तेजवीर भाई जी,लघुकथा के लिए बधाई लीजिए।
हार्दिक आभार आदरणीय मनन कुमार जी।
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