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आदरणीय नयना आरती जी आप ने बहुत ही ज्वलंत विषय को उठाया है. आजकल ऐसा ही चलन हो रहा है. बधाई इस ज्वलंत विषय व रचना के लिए.
धन्यवाद ओमप्रकाश जी आपका
आदरणीया नयना जी, आपने प्रदत्त विषय को सार्थक करता बहुत बढ़िया कथानक बुना है. उसे सधे ढंग से शाब्दिक भी किया है. कथानक के साथ साथ लघुकथा की कसावट इसे विशिष्ट बनाती है इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई
बहूत-हूत धन्यवाद आपका मिथिलेश जी इतनी अच्छी प्रतिक्रिया के लिये
मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका
आदरणिया नीता जी धन्यवाद आपका
जी अर्चना जी वर्तनी की अशुद्धियों को सुधारने की ओर प्रयासरत हूँ
रचना के नीचे "मौलिक और अप्रकाशित" क्यों नहीं लिखा आ० नयना जी ?
ओफ़ मै तो एकदम से भूल गई सर। क्षमा अब ठिक नही किया जा सकता क्या?
आदरणीय नारायन जी लघुकथा में प्रदत विषय को वर्तमान अशोभनीय चलन को साकार कर रही है। हार्दिक बधाई।
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