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मेरे कहे को मान देने के लिए आभार सर. आपकी प्रस्तुतियां सदैव गहन चिंतन का परिणाम हुआ करती है पुनः बधाई
हाँ ,शायद मुझे भी कुछ याद आया आदरणीय विजय शंकर जी। चंद पंक्ति और गज़ब का सार। सादर नमन आपको।
आदरणीय विजय शंकर जी आप के "मैं" ने लघुकथा में गजब का प्रदर्शन किया है. भावों के रूप में जोरदार लघुकथा हुई है. भाषा प्रवाह उत्तम रहा है. आप को इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई.
कई सारे अर्थों को समेटे आपकी यह गूढ़ लघुकथा कई प्रश्न भी छोड़ जाती है| सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी सर|
प्रदत्त विषय को बेहद अनूठे ढंग से परिभाषित करती हुई लघुकथा कही है आ० डॉ विजय शंकर जी. मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें.
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