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OBO की प्रकाशन सम्बन्धी नियमावली ( ०१-१०-२०१० से प्रभावी )

आदरणीय सदस्यगण !

हर रोज़ भारी संख्या में प्रकाशन हेतु रचनाएँ प्राप्त होने की वजह से OBO की रचना प्रकाशन सम्बन्धी नीति में कुछ निम्नलिखित परिवर्तन किए गए हैं ! माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि साईट की उन्नति हेतु बनाये इन नियमो का कड़ाई से पालन कर इन्हें लागू करने में हमारा सहयोग करें !

(१). लेखक केवल वही रचना प्रकाशन हेतु पोस्ट करें जो कि पूर्णतय: अप्रकाशित हो ! ध्यान रहे कि अनुमोदन से पूर्व सम्पादकीय मण्डल सभी रचनायो की पूरी तरह जांच करता है ! इन्टरनेट पर पूर्व में प्रकाशित किसी भी रचना को यदि कोई वेब-साईट पुन: प्रकाशित करती है तो उसकी रेंकिंग में गिरावट आती है ! अत: किसी भी ऐसी रचना को स्थान नहीं दिया जायेगा जो किसी वेबसाईट, ब्लॉग अथवा किसी सोशल नेटवर्किंग साईट पर प्रकाशित हो चुकी हो ! रचनाकार यदि कोई रचना अपनी पूर्व प्रकाशित पुस्तक में से पोस्ट करे तो कृपया उसका ब्यौरा अवश्य दें !

(२). हालाकि OBO पर केवल मौलिक रचनाओं का ही स्वागत है, लेकिन यदि कोई सदस्य किसी अन्य रचनाकार की रचना प्रकाशन हेतु पोस्ट करता है तो उसके साथ मूल लेखक का नाम अवश्य लिखे ! यदि संभव हो तो सम्बंधित रचनाकार की अनुमति भी प्राप्त करे ! बाद में यदि इस संबंधी कोई विवाद उठता है तो उसकी जवाबदेही का दायित्व रचना पोस्ट करने वाले सदस्य का ही होगा !

(३). OBO किसी भी प्रेषित रचना को प्रकाशित करने हेतु बाध्य नहीं, यदि कोई रचना अस्तरीय पाई जाती है तो वह रचना प्रकाशित नहीं की जाएगी !

(४). कोई भी ऐसी रचना जिसमे किसी व्यक्ति, जाति, समुदाय, भाषा, या धर्म पर आक्षेप किया गया हो - प्रकाशित नहीं की जाएगी !

(५) . OBO की गरिमा और मौलिकता कायम रखने के लिए रचनाकारों से अनुरोध है कि बेहतर होगा यदि वे अपनी रचनायों में अपनी निजी वेबसाईट अथवा ब्लॉग का पता न दें !

(६). OBO को सभी रचनाकारों से एक सम्पूर्ण रचना आपेक्षित रहती है, अत: लेखक कोई 2-4 पंक्तियों की रचना पोस्ट करने से गुरेज़ करें !

(७). गलत सेक्शन में पोस्ट होने वाली रचनायों को बिना किसी पूर्व सूचना के डिलीट कर दिया जायेगा, अत: रचनाकारों से अनुरोध है कि वे अपनी रचनाएँ सम्बंधित सेक्शन में ही पोस्ट करें !

(८). लेखकगण कृपया अपनी रचना की एक प्रति आपने पास अवश्य सुरक्षित रखें, क्योंकि अस्वीकृत होने की स्थिति में रचना को बिना किसी पूर्व सूचना सम्पादकीय मण्डल द्वारा डिलीट कर दिया जाएगा !

(९). किसी विशेष अवसर या पर्व के विषय पर लिखी रचना के प्रकाशन हेतु उसे कम से कम २ दिन पहले अनुमोदन हेतु पोस्ट करें !

(१०). OBO एक परिवार की तरह है, अत: अगर कोई भी सदस्य किसी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करता हुआ पाया जाता है, तो बिना किसी पूर्व चेतावनी के उसे बैन कर दिया जायेगा !


उपरोक्त नियमावली नियम दिनांक १ अक्टूबर २०१० से प्रभावी मानी जाएगी !

सादर
योगराज प्रभाकर
प्रधान संपादक

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Replies to This Discussion

Bahut achchhi suchna hai. Ise pura obo pariwar swikar karega mujhe purn wishwash h.
देर से लिया गया बिल्कुल सही निर्णय, इस कदम से हम लोगो को नई और मौलिक रचनाओं को पढ़ने मे मदद मिलेगा, प्रधान संपादक जी को धन्यवाद ,
achhi pahal hai...ummed hai sabhi sadasyo ka sahyog milega....
ओपन बुक्स ऑनलाइन की पूरी टीम को बधाई, जो आप सभी नित्य परिवर्तन करते हुये इस साइट को उचाई प्रदान करते रहते है, यह प्रयास भी सराहनीय है |
भाई नवीन चतुर्वेदी जी, आपके वचनों के लिए बहुत बहुत आभार ! OBO के विकास हेतु यह निर्णय संपादक मंडल के द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया है ! और सदस्यों का कर्तव्य बनता है कि वे इन्हें लागू करने में अपना भरपूर सहयोग दें!
आज एक एतिहासिक फैसले के साथ ये भी एक बहुत ही अच्छा फैसला लिया गया है... इसका पालन करुँगी... शुक्रिया OBO टीम और 'योगराज जी'...!!

-जूली मुलानी
आदरणीय आजर साहिब,
आपके प्रेरणादायी शब्दों और आशीर्वाद के लिए दिल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ !
ओह ! तो ज़रा ये भी बताइये कि यहां पोस्ट होने के बाद क्या उस रचना को अन्यत्र प्रकाशित करने हेतु हम स्वतन्त्र रहेंगे या उस पर आपका स्वामित्व हो जाएगा?
जनाब मोईन साहब, यहाँ प्रकाशित रचनायों पर स्वामित्व उनके रचनाकारों का ही रहेगा ! और रचनाकार उन रचनाओं को कहीं भी प्रकाशित/प्रसारित करने के लिए पूर्णत स्वतंत्र रहेंगे ! :
@ योगी भईया ,,,

अच्छे से अधिक अच्छे की ओर गमन का संकेत हैं ये नियमावली ...
कुछ नियमों पर और भी विचार करके परिशोधित किया जा सकता है ...
परन्तु अब भी यह अपने सही रूप में है ... नए क़दम का स्वागत है ... :)
जोगेन्द्र सिंह ( मेरी लेखनी.. मेरे विचार.. )
भाई जोगेंद्र सिंह जी, OBO एक खुला मंच है ! यदि किसी नियम/बात पर साथियों को आपत्ति हो तो उस पर विचार किया जा सकता है !
आत्मीय!
वन्दे मातरम.
किसी भी चिट्ठे के संचालकों को उससे सम्बंधित नियम बनाने का अधिकार होता है. पाठक / रचनाकार को मान्य हो तो जुड़े अथवा न जुड़े. पाठक का अपनी बात रखन एका अधिकार मान्य हो तो कुछ कहना चाहता हूँ.
रचना पर प्रतिलिप्याधिकार रचनाकार का होता है. रचना प्रकाशित होने पर पारिश्रमिक देय हो तो प्रकाशक को रचना के तुरंत अन्यत्र प्रकाशन को रोकने का अधिकार होता है. अंतरजाल पर हिंदी में पारिश्रमिक की कोई व्यवस्था नहीं है. रचनाकार सौजन्यता के नाते रचनाएँ चिट्ठों को भेजते हैं. पूर्व प्रकाशित रचनाओं को न छपने के निर्णय से आप तुलसी, सूर, कबीर, मीरा, महादेवी आदि को नहीं छप सकेंगे. क्या यह ठीक होगा? जिन रचनाकारों के अपने चिट्ठे हैं वे अपनी ताज़ा रचनाएँ अपने चिट्ठे पर लगाने के साथ ही अन्य चिट्ठों को उपलब्ध कराते हैं ताकि वे चिट्ठे अधिक लोकप्रिय हों. इस नियम से ऐसे रचनाकार अलग होने को बाध्य होंगे. प्राप्त हुई हर रचना छपने की कोई बाध्यता तो होती नहीं है. यह नियम बनाये बिना भी संचालक जिस किसी रचना को न छापना चाहें अलग करने के लिये स्वतंत्र होते हैं. अस्तु, पुनर्विचार कर लें...

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