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सभी साहित्य प्रेमियों को सादर वन्दे !

 

जैसा कि आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "ओबीओ लाईव महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में प्रस्तुत है :

 

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १३

इस बार महा उत्सव का विषय है "मौसम  "  


आयोजन की अवधि :- मंगलवार ८ नवम्बर २०११  से गुरूवार १० नवम्बर २०११  तक


महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: 


  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

 

 अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यों ने यह निर्णय लिया है कि "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १३ जो कि तीन दिनों तक चलेगा उसमे एक सदस्य आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ   ही प्रस्तुत कर सकेंगे | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध और गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकेगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा और जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी |


(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ८ नवम्बर लगते ही खोल दिया जायेगा )


यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |


मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

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Replies to This Discussion

वाह वाह वाह ! आदरणीय प्रधान सम्पादक जी ! बहुत खूबसूरत ! आप ने तो इस छंद का कायकल्प ही कर डाला  ! जय हो !!!

तेरह ग्यारह जोड़िये, मधुर बनेगा छंद 

जगण विषम में त्याज्य है, दोहा दे आनंद,

दोहा दे आनंद, साथ गुम्फित हो रोला,

बहे मधुर रसधार, मगन दिल है यह बोला,

ग्यारह से प्रारंभ, गा रचें रोला ग्यारह,

कुण्डलिया अनमोल, कहे ग्यारह पर तेरह..

आदरणीय अम्बरीश भाई जी, छंद का जो भी थोडा बहुत ज्ञान है वह आचार्य संजीव सलिल जी के नोट्स पढ़कर तथा आपके और नवीन भाई के मार्गदर्शन से ही सीख पाया हूँ  ! 

जय हो !!

आदरणीय गुरुवर ... आपने मेरे प्रयास को साकार कर दिया... यह मेरा पहला प्रयास था छंद रचने का... और आप ही के मार्गदर्शन से टूटा फूटा रच पाया था... १०वीं  क्लास तक सीखा मात्रा ज्ञान अब जाकर रिफ्रेश हो रहा है... आपका हार्दिक आभार .. :)

आपका बहुत बहुत स्वागत है इमरान जी ! एक दूसरे से/को  सीखने/सिखाने  का दूसरा नाम ही तो ओबीओ है !  आप रोशम दिमाग  हैं, इस लिए छंदों पर उबूर हासिल करना आपके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा, बस लगन से लगे रहो मुन्ना भाई !


बहुत सुन्दर और उत्साहवर्धक समीक्षा !

आपका सादर स्वागत है !

आदरणीय योगराज जी, रोले के अंत में गुरु अनिवार्य होता है। इसलिए यहाँ आखिरी दो पंक्तियाँ लय में नहीं आ पा रही हैं जब मैं पढ़ रहा हूँ तो। मार्गदर्शन करें।

 

आपने बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया धर्मेन्द्र भाई, रोले के अंत में गुरु न लेने की भूल हुई है ! दोबारा सुधरने की कोशिश करता हूँ, आपकी पारखी नज़र को कोटिश नमन !


बहुत सुन्दर और उत्साहवर्धक समीक्षा !

इस प्रयास के लिये दिली बधाई, इमरान भाई.   जानता हूँ, आपको अधिक समय न लगेगा सीखने में.. 

 

आपकी दुआ और मार्गदर्शन दोनों ही बहुत जल्द रंग लायेंगी .. इंशा अल्लाह .. :)

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1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
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"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
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