नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश "OBO लाइव तरही मुशायरा" के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर 23 फरवरी से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही "OBO लाइव तरही मुशायरा" प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |
फिलहाल Reply बॉक्स बंद रहेगा, मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
Tags:
Replies are closed for this discussion.
सभी श्रद्धेय जन को प्रणाम
इस बार तो चूक गए
व्यस्तता की मार और वीनस लाचार
सोचा था इस बार मजाहिया गज़ल लिखूंगा (मगर एक शेर जो परसों लिखा था) के बाद कुछ नहीं लिख सका
सो नाम मात्र के लिए वही चेप देता हूँ
मगर उसके पहले बता दूं की हमारे शह्र इलाहाबाद में कुछ साल पहले एक मजनू पिंजडा चला था जो एक जाली नुमा ट्रक होता था जिसमे पुलिस मनचलों को पकड़ कर शह्र भर में घुमाती थी
उन दिनों मनचलों की नानी मर गई थी
तो शेर अर्ज है
मजनूं पिंजरा में बैठा कर शह्र घुमाया फिर
थानेदार ने मुझसे पूछा,,,,, "कैसा लगाता है ?"
वाह वाह vinus जी क्या खूब चेपाई की है ,
यह शे'र सुनने के बाद आपकी उत्तर का प्रत्याशा बढ़ गया है ....जय हो ! मजनू पिजड़ा की
काहे इज्ज़त उतारें पर तुले हुए हैं भाई
एक तो जानवर की तरह खड़ा किये थे ऊपर से सारा शह्र देख रहा था,,, मन कर रहा था की गाड़ी का फर्श फटे और मैं बोनट में समा जाऊं,,,,,, अगर आपको यह लगता है की आपके पूछने भर से मैं यह सब सच सच आपको बता दूंगा तो मैं भी आपको पता दूं की मैं बहुत चालाक हूँ
ये बात मैं कभी नहीं बताऊंगा
हाँ नहीं तो ....
बहुत खूब शेष धर सर , अच्छी ग़ज़ल कही है , खास कर "धोखा खा कर जो बेजार हुआ" और "अपना अंत समीप लगे" वाले शे'र बड़ी कारीगरी और अनुभव में तपे हुए है |
बधाई हो !
अपना अंत समीप लगे तो ऐसा लगता है
अपने सब हों पास बहुत ही अच्छा लगता है
जो दुनिया से जीते जी कुछ पा न सके उनको
दुनिया छोड़ चले जाना सुख जैसा लगता है
निःशब्द हूँ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |