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वीनस जी.आप बड़े पेलू हो सकते हैं लेकिन यहाँ भी बड़े बड़े झेलू बैठे हें.
अब तो ये फैसला हो हे जाए की पेलू राम बड़े हैं की झेलू राम
तीन गज़ल पेल चूका हूँ चौथी की तैयारी जोर शोर से चल रही है
आईये मैदान में :)
गर इलाहाबाद की होली तेरे शह्र आ गई,
तू भी कपड़ा फाड़ होली का जिला हो जाएगा |
हा भाई सही बात है, होली बीतने के बाद भी होली इलाहाबाद की ही होती है , अलग अलग दिन तय है हर मोहल्ले का | वो भी कुरता फाड़ होली |
दूसरी ग़ज़ल भी जानदार है , ये तो दूसरी के लिए और तीसरी के लिए ?
तीसरी के लिए आज रात को माल तैयार करते हैं जी
हमारे यहाँ दिन में टुन्न होना मना है :)
अब कल ...
बहुत बढ़िया वीनस भाई -
गर इलाहाबाद की होली तेरे शह्र आ गई,
तू भी कपड़ा फाड़ होली का जिला हो जाएगा |
स्वागत बा काशी के घाट पर ..कबीरा सा रा रा रा
तू मुझे फुसला रहा है रंग की बल्टी लिए,
मैं शराफत छोड़ दूं, तेरा "भला" हो जाएगा |
का बात है का कहना चाह रहे हैं ? धमकी और होली में >>>
मैं ग़ज़ल पढ़ दूं मगर , पब्लिक का जिम्मा आपका,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला हो जाएगा |
ई बात कुछ हजम नहीं हुई ... वैसे मज़ा आगया होली है |
आपको मज़ा आया ?
ई कैसे हो गया !
हम तो झेलाये पड़े हैं आपको मज़ा सूझ रहा है ?
तभी तो पव्वे कि जगह बोतल शुरू कर दी है डेली !
हे भगवान ! सुबह शाम दारू दारू दारू दारू दारू दारू दारू दारू दारू दारू दारू दारू
भगवान आपका भला करे
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