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हरकीरत हीर जी,
प्रीत का दूसरा रूप नशा ही है इसे आप ना भूले (कहावत एक सिक्के के दो पहलू)
आज घर पे आ रही हैं हाफ दर्जन मौसियाँ,
आज तो बापू भी अपना छोकरा हो जाएगा !
aur ye mattla wakai lajwaab hai
bahut bahut badhaai.
रोज़ पव्वा ना पिया तो हर्निया हो जाएगा !
वाह योगी भैया वाह...क्या बात क्या बात.......मतलब दोनों में नुक्सान ही है.....तो क्यों नहीं पव्वा पीया ही जाये....बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति भैया.....आज शाम तक पूरा समां रंगीन हो जायेगा....और ऐसा रंगीन और मदहोश जल्दी ख़तम नहीं होगा....
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