For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 
मेरे पास ही सो रहा पोता रात्रि करीब ३ बजे अचानक उठकर तकिये के निचे देखने लगा,फिर पानी पीकर सो गया | 
सुबह उठकर तकिये के निचे से दस रुपैये का नोट उठाते हुए बोला-" देखो बाबा,  एक दिन दादी ने जो कहानी सुनाई थी, 
वह बात सच निकली | सोने का सिक्का तो नहीं,पर दस रुपये का नौट मेरे तकिये के निचे मिला है, और मेरा टूटा हुआ 
दांत गायब हो गया | मेरा पांच वर्षीय पोता यह कहते हुए खुश हो रहा था | 
बच्चे के स्कूल चले जाने के बाद, जब मेरी पत्नी कहने लगी, यह कैसे हुआ, मैंने कहा "भागवान, मैंने रात्री में 
चीकू को उठकर तकिये के निचे दांत संभालते हुए, देख समझ लिया था, और तुम्हारी कहानी को सच साबित कर,
उसके चेहरे पर ख़ुशी देखने के लिए दांत की जगह दस रुपैये का नोट रख दिया था |  
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

Views: 1046

Replies to This Discussion

छोटी छोटी खुशियाँ बच्चों के लिए कितना खुश करती हैं , अच्छी रचना , बधाई लडीवाला जी |

आपने बहुत सही कहा आदरणीय बागी जी, यह मेरे स्वयं के पोते चीकू के दूध के दांत टूट जाने परहुई वास्तविक घटना पर लिखी गयी है,और दस रुपय पाकर वह बेहद खुश हुआ था उससे प्रेरित होकर ही मैंने लिख कर पोस्ट की थी,देर से ही सही,आप जैसे परखी की नजर में आई, तो मुझे कहानी की सार्थक पर गर्व हुआ है । लगता है, बाल साहित्य और धार्मिक साहित्य पर आप जैसे बिरले ही पढ़कर टिप्पणी करते है । हार्दिक आभार स्वीकारे ।

अनमोल पल 

अनमोल पलों का अहसास,हार्दिक साभार सीमा जी

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडिवला जी, ऐसी नन्ही नहीं घटनाएं यादगार होती हैं और ऐसे पलों की मुस्कान अनमोल भी.. इसे कहानी का रूप दे कर अभिव्यक्त करने के लिए बहुत बहुत बधाई.

जी, डॉ। प्राची जी; सही कहा आपने, कहनी का रूप देकर छोटी 2 घटनाओ को यादगार बनाया जा सकता है ।

आपका हार्दिक आभार  

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
17 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
25 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
25 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
25 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
25 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
25 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. रचना जी "
26 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. तेजवीर सिंह जी "
26 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उन  के बंटे जो  खेत तो  कुनबे बिखर गए
"धन्यवाद आ. आशुतोष जी "
27 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की-जिस्म है मिट्टी इसे पतवार कैसे मैं करूँ
"धन्यवाद आ. समर सर "
47 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आ. सौरभ सर,मोएन जो दारो की ख़ुदाई से एक प्राचीन सभ्यता के मिले अवशेष अभी देख रहा हूँ..यह ग़ज़ल कैसे…"
49 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आदरणीय, सहमति के लिए हार्दिक धन्यवाद"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service