For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुंदरी सवैया - बहादुर मुनिया चुहिया / कुमार गौरव अजीतेन्दु

मुनिया चुहिया सब से मिल के रहती, करती न कभी मनमानी।

वन के पशु भी खुश थे उससे, कहते - "हम बालक हैं, तुम नानी"।
मुनिया इक रोज उठी सुबहे गुझिया व पनीर पुलाव बनाने।
कुछ दोस्त सियार, कँगारु, गधे जुट आय वहाँ पर दावत खाने

चिपु एक बिलाव बड़ा बदमाश, तभी गुजरा मुँह पान चबाते।
पकवान पके समझा जब वो, ठिठका झट लार वहाँ टपकाते।।
मुँह ढाँप घुसा वह पैर दबा छुप के घर में तरमाल चुराने।
मुनिया सहसा पहुँची जब तो चिपु दाँत निकाल लगा डरवाने॥

मुनिया दिखलाकर साहस दौड़ गई, झट बेलन हाथ उठाया।
कस के कुछ बेलन दे चिपु के सिर पे उसको तब मार भगाया।
जब दोस्त जुटे घर में, मुनिया हँस के सबको यह बात बताई।
सुन बात, सभी मिल खूब हँसे कर के उसकी भरपूर बड़ाई॥

Views: 1763

Replies to This Discussion

भाई अजीतेन्दुजी, आपका निर्विवाद रचनारत रहना आपकी विशिष्टता है. सुन्दरी सवैया पर आपने इतनी सुन्दर बाल-कविता लिखी है कि इसे बच्चों ही नहीं हर उसको पढ़ना चाहिये जो रचनाकर्म को मात्र भावुक शब्दों का जमावड़ा बना आपबीती थोपने पर आमादा रहता है. यह सही है कि हार्दिक भावनाओं का संप्रेषण ही रचनाकर्म का उत्स है. परन्तु, यह भी सही है कि लेखनकर्म सामाजिक दायित्व के निर्वहन का ही दूसरा नाम है.

छंद के कथ्य की सरसता तो देखते ही बनती है. भाव निखर कर बाहर आये हैं. हर पद में आपका प्रयास दीखता है. 

बाल-रचनाओं की कसौटियों पर हर तरह से खरी उतरती इस छंदबद्ध रचना पर आपको मेरी अतिशय बधाइयाँ तथा हार्दिक शुभकामनाएँ. 

यह सही है कि सवैया वृत के चारों पद समतुकांत होते हैं. जबकि आपने एक छंद के दो-दो पदों का समतुकांत किया है.  परन्तु, यह प्रयोग मेरी समझ में हर तरह से स्वीकार्य है. यह स्पष्ट है कि इस प्रयोग के कारण सवैया के मूलभूत शिल्पगत नियमों का न तो कहीं उल्लंघन होता है, न ही गणों की अवृतियों के साथ कहीं खिलवाड़ हुआ है.

एक बात :

आपके दो पदों में कथ्य-संप्रेषणीयता और वाक्य-संयोजन के परिप्रेक्ष्य में हमने कुछ सुधार की गुंजाइश देखी है. विश्वास है आप इस ओर ध्यान देंगे.

कुछ दोस्त सियार, कँगारु, गधे जुटते उसके घर दावत खाने  = कुछ दोस्त सियार, कँगारु, गधे जुट आय वहाँ पर दावत खाने

पकवान पके समझा जब वो, ठिठका तब लार बड़ी टपकाते   = पकवान पके समझा जब वो, ठिठका झट लार वहाँ टपकाते

इस बाल-कविता (छंद-रचना) पर आपको हृदय से पुनः धन्यवाद और खूब-खूब बधाइयाँ.

शुभेच्छाएँ.. .

आदरणीय गुरुदेव, शाबासी देता हुआ आपका हाथ अपनी पीठ पर महसूस कर रहा हूँ। आपका कहा एक-एक शब्द पारितोषिक सा प्रतीत हो रहा है।

जो मन में आता है लिख देता हूँ। ये तो आपका मेरे प्रति स्नेह है कि आप उसके विविध रंगों को अपनी प्रतिक्रियाओं के माध्यम से व्यक्त कर मुझे अभिभूत कर देते हैं। मेरी रचनाओं की आपके द्वारा की गई विवेचना हमेशा मुझे गर्व का अनुभव करा जाती है। इस रचना के शिल्प को लेकर जो थोड़े-बहुत संशय मन में थे, आपने उनका सहज ही निराकरण कर दिया। आपने यहाँ जो सुझाव दिए, निश्चित रूप से वो रचना के सौंदर्य में वृद्धि कर रहे हैं। उनका रस बढ़ा रहे हैं।

पिछली बाल रचना जो मैंने "मत्तगयन्द सवैया" के रूप में प्रस्तुत की थी, उसके मुकाबले इस "सुन्दरी सवैया" को लिखना अधिक कठिन रहा। आपने प्रोत्साहन देकर मेरी मेहनत को सार्थक कर दिया। आपका ह्रदय से आभारी हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद.......

वाह वाह कुमार गौरव जी ..... 

टॉम एंड जैरी इन सुन्दरी सवैया ............  :))))

क्या खूब नटखट चूहे बिल्ली का प्यारा सा शब्द चित्र उकेरा है...मज़ा आ गया.

आपके नए नए प्रयोग और बाल साहित्य में निरंतर कुछ नया पेश करना मुझे बहुत पसंद आता है... 

इस बहुत सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएँ 

आदरणीया प्राची दीदी, आपको बाल रचना पर मेरा ये प्रयास पसंद आया...........जानकर बहुत खुशी हुई..........आपका हा्र्दिक आभार.......

स्नेही कुमार जी 

सादर 

आपकी रचना पर मोहर लग चुकी है. बधाई. 

धन्यवाद काकाश्री...............

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service