For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बूंद बना फिर गिरा धरा पर 
जल बन कर इतराता 
भरता ताल, तलैया, पोखर 
सर, सरवर भर जाता 
..........................
और नदी की गति बढ़ाता 
सरिता वेगवती कहलाता 
बाग, वाटिका, उपवन सारे   
सिंचित करता जाता 
जल बन कर इतराता 
...........................
निर्झर झरते इसी से सारे 
झरने कितने प्यारे प्यारे 
सरि की राह समुंदर कर 
फिर समुद्र में मिल जाता 
जल बन कर इतराता 
............................
बहता जाता कभी न रुकता 
सदा प्रवाह कभी न थकता 
गिरता किन्तु प्रपात कहाता 
 इन्द्रधनुष  संग लाता 
जल बन कर इतराता 
............................
जल जीवन में अमूल्य है 
जल बिन सब निर्मूल्य है 
कुछ जल बनता वाष्प और 
कुछ भूमिगत हो जाता 
जल बन कर इतराता 
...............................
मौलिक व् अप्रकाशित ...२७-१०-०९ ...१:३९ पूर्वान्ह  

Views: 1713

Replies to This Discussion

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

आदरनीय श्याम जी! आपकी बधाई से लेखनी को उत्साह मिला 

असीम आभार आपका 

bahut sundar geetika ji ,sundar geet badhai aapko

आपका आभार आदरणीया शशि जी 

आपकी बधाई ने तो एक नई उर्जा भर दी!
ये गीत वाकई में मुझे भी पसंद है ...! 
"जल अनमोल...आदरणीया गीतिका जी, अति सुंदर गीत की प्रस्तुति की आपने " बाल साहित्य " में.....हार्दिक बधाई व शुभकामनाऐं

आपका आभार आदरणीय जितेन्द्र जी! 

'जल बन के इतराता' रचना आपको लुभा गयी। आपका सदैव धन्यवाद  

एक अभिलाषा सुन्दर ढंग से साझा हुई है, आदरणीया गीतिकाजी.  अब गेयता पर कोशिश करें

सादर

आदरनीय सौरभ जी! 

कोशिश करती हूँ। मार्ग दर्शन बनाये रखिये। 
आपकी प्रतिक्रिया से बहुत सकारात्मकता मिली।   

आदरणीया गीतिका जी .. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति .. कई बार पढ़ गयी /

आपको महीने के  सक्रीय सदस्य सम्मान के लिए भी बहुत -२ बधाई

आपका बहुत बहुत शुक्रिया महिमा श्री जी! 
आपने रचना को कई बार पढ़ा ...इससे तो लगता है की रचना रोचक है ...सकारात्मकता हेतु आभार।   
सक्रिय -सदस्य बधाई हेतु धन्यवाद 

सुन्दर सन्देश देती हुई रचना 

सादर बधाई 

आदरणीया वेदिका जी 

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय प्रदीप जी!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service