For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनूठा जन्मदिन
***************

पाखी आज बहुत खुश थी । स्कूल से आई और बैग एक ओर पटककर सीधे रसोई में जाकर चिल्लाई - " माँ ... माँ ..."
" क्या हुआ , इतनी क्यों चहक रही है ? माँ ने मुस्कुराते हुए पूछा ।
" माँ , आज मेरी कक्षा के एक मित्र विभु का जन्मदिन है , और उसने हमारी कक्षा के सभी मित्रों को घर पर पार्टी में बुलाया है ।"
" ओह ! तो ये खुशी जन्मदिन की पार्टी की है । " माँ ने गाल पर हलकी सी चपत लगाते हुए कहा ।
" हाँ माँ ..." कहते हुए वह माँ से लिपट गई ।
" अच्छा बाबा अच्छा... चली जाना , पर पहले 'यूनिफार्म' बदलकर हाथ-मुँह तो धोकर आ ... तब तक मैं तेरे लिए खाना लगा देती हूँ । "
" ठीक है माँ ..."
भोजन करने के बाद पाखी बिस्तर पर थोड़ा आराम करने को लेटी तो पार्टी में जाने की खुशी में नींद भी नहीं आ रही थी ।उसकी नज़रें सामने दीवार पर टँगी घड़ी पर ही टिकी हुई थीं कि कब पाँच बजे और वह तैयार होकर अपने मित्र के घर पार्टी में जाये , केक खाये और ख़ूब नाचे । सोचते-सोचते आखिर पाखी को नींद आ ही गई ।
" पाखी... ओ पाखी ... सोती रहेगी क्या ? दोस्त की पार्टी में नहीं जाना तुझे ? " माँ पाखी को हिलाते हुए बोलीं ।
" पार्टी शब्द सुनते ही पाखी जल्दी से उठ बैठी । आँखें मलते हुए बोली , " हाँ माँ , मैं बस अभी तैयार होती हूँ । "
" पाखी माँ के सामने तैयार होकर आई तो माँ ने उसके गाल पर प्यार करते हुए कहा , " बड़ी सुंदर लग रही है मेरी बेटी , नज़र न लगे किसी की । जा बाहर तेरा भाई गाड़ी 'स्टार्ट' कर कब से इंतज़ार कर रहा है । और सुन ... समय से आ जाना । ज़्यादा देर मत करना । "
" ठीक है माँ ..." वह दौड़कर बाहर निकल गई । मित्र का घर उसके घर से बहुत अधिक दूर नहीं था । वे पाँच मिनिट में ही पहुँच गए ।
विभु के सभी मित्र आ चुके थे । पाखी ने एक नज़र पूरे कमरे में दौड़ाई , ये देखने के लिए कि उसके मित्र ने अपना जन्मदिन मनाने वाला कमरा किस तरह सजाया है , परन्तु वह देखकर आश्चर्यचकित हो गई कि किसी भी दीवार पर न तो बैलून टँगे थे और न ही रंगीन झालरें । जैसे कि सभी जन्मदिन पार्टी में होता है । इसकी जगह दीवारों पर हरे-भरे पेड़-पौधों के चित्र लगे हुए थे । जीव-जंतुओं के चित्रों की कटिंग काटकर चिपकाई गई थी । कुछ पोस्टर भी थे जिन पर हाथ से रंगीन अक्षरों में कुछ सन्देश लिखे हुए थे । पाखी ने एक-एक कर संदेशों को पढ़ना शुरू किया -
" हमने अब यह ठाना है , जीवों को बचाना है ।"
" जंतुओं की जब करोगे रक्षा , तभी होगी पर्यावरण की सुरक्षा । "
" प्रकृति की रक्षा है देश की रक्षा । "
" धरती माँ का करो सम्मान , यह है हमारी जान । "
पाखी से रहा न गया तो वह विभु के पास जाकर पूछ बैठी , " आज तो तुम्हारा जन्मदिन है न , फिर तुमने घर को बैलून , सितारों से क्यों नहीं सजाया ? "
" पाखी , पहले ये बताओ , क्या तुम्हें ये सजावट अच्छी नहीं लगी ?"
" हाँ , लगी तो ... परन्तु जन्मदिन पर भी कोई ऐसे घर को सजाता है ? "
" हा हा हा ... तुम्हारे आने से पहले ये सभी दोस्त भी यही प्रश्न कर रहे थे । अच्छा पाखी ये बताओ , परसों हमारी हिन्दी की अध्यापिका ने कक्षा में क्या समझाया था ? "
" क्या समझाया था ? "
" यही न कि पेड़ कटते जा रहे हैं , जिससे बारिश होना कम हो गई है । जंगल न रहने से जीव-जंतुओं जैसे शेर , चीता , हिरण आदि को रहने के लिए घर नहीं मिलता है , इसलिए कभी-कभी वे भटकते हुए शहर में भी आ जाते हैं । "
" हाँ याद आया । ये भी कहा था , अगर हमने अभी भी प्रकृति को बचाना शुरू नहीं किया तो बढ़ते प्रदूषण के कारण मनुष्य का जीवित रहना भी मुश्किल हो जाएगा । "
" हाँ तो अब समझ गई न , मैंने ये सब क्यों किया ? "
" हम्म... बहुत अच्छे से , परन्तु अभी भी एक बात समझ नहीं आई । इस तरह तुम क्या दिखाना चाहते हो ? "
" पाखी , मैं सबको सन्देश देना चाहता हूँ बस और कुछ नहीं। आज मेरी कक्षा के मित्रों के अलावा और भी मित्र आये हैं , रिश्तेदार आये हैं । वे सब इसे देखेंगे , पढ़ेंगे तो उनके भीतर से आवाज़ जरूर आएगी कि एक पेड़ लगाना इतना भी मुश्किल नहीं । यदि सब इससे प्रेरणा लेकर एक-एक पेड़ भी लगायेंगे तो फिर इस धरती को हरा-भरा होने से कोई न रोक पायेगा । "
" हूँ... बिल्कुल सही कहा विभु । अभी बारिश का मौसम है । मेरी माँ कहती है कि पौधे लगाने का यह सही समय है । मैंने सोच लिया है , अब मैं भी एक पेड़ अवश्य लगाऊँगी । "
" हम भी लगायेंगे , हम भी लगायेंगे ... "सभी मित्रों का एक साथ स्वर गूँजा । फिर सबने तालियाँ बजा-बजाकर अपनी सहमति दी ।
" मुझे पता था मेरे सभी मित्र मेरी सोच में मेरा साथ देंगे , इसीलिए मैंने 'रिटर्न गिफ़्ट' के लिए पहले ही ढेर सारे पौधे खरीद लिए हैं ।" विभु ने एक कोने में रखे पौधों की ओर इशारा करते हुए कहा ।
" अरे वाह ! " सबने खुशी से जोरदार तालियाँ बजाई ।
" अरे विभु ! बातें ही करते रहोगे कि केक भी काटोगे ? " माँ ने हँसते हुए कहा ।
" हाँ माँ , क्यों नही । "
विभु केक काट रहा था और उसके मित्र इस अनूठे जन्मदिन पर अपने मित्र और मित्रता पर गर्व करते हुए तालियाँ बजाते हुए गा रहे थे , " बार-बार ये दिन आये ... बार-बार ये दिल गाये ... तुम जियो हज़ारों साल ... ये मेरी है आरज़ू ..."
***************************************
मौलिक , स्वरचित एवम अप्रकाशित

Views: 989

Replies to This Discussion

संदेशपरक बाल कहानी।सच में यदि हम लोग ऐसा सोचें और करें तो हमारी पृथ्वी पुनः हरी भरी हो जाएगी। अनमोल कहानी पर बधाई स्वीकार कीजिए।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
39 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service