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Discussions Replied To (3) | Replies | Latest Activity |
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सदस्य टीम प्रबंधन "आदरणीय सौरभ जी बहुतइ नीक लागल ...भोजपुरी की मिठास मन में घर कर गयी ..देशज भाषा ऐसे ह…"SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR replied Oct 2, 2013 to दशहरा : भोजपुरी दोहे // -- सौरभ |
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Feb 2, 2014 Reply by Dr. Anil Mishra |
"हर चेहरा मे उनके दिदार हो जाईहँस मत पगली ना त प्यार हो जाई भाई विश्वजीत जी बहुत प्या…"SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR replied Jul 3, 2012 to हँस मत पगली ना त प्यार हो जाई |
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Oct 20, 2012 Reply by Bishwajit yadav |
"साम होते तू पागल पागल , कईसन रोग इ लागल लागल , आच्छा रहित की पिअते घी , काहे रे जी…"SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR replied Apr 18, 2012 to काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी , |
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Jun 4, 2012 Reply by Deepak Sharma Kuluvi |
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