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गुड़ खूब खाले ख़ाली, गुल्गुल्ला से परहेज बा,
आपने म्यान काटे, राउर तलवार बड़ी तेज बा ,

गाय के रखवारी देखी ,करत बा कसाई,
पाई मोका करी हलाल,वोके कहा गुरेज बा,

हम हम के खेल मे, मकसद भुलाय गइल ,
झूठ से मोहब्बत ख़ाली, साच से परहेज बा,

बुद्धि कईलस भ्रष्ट, भरल चाटुकारन के सेना,
लउके ना चुवत पलानी, खबर सनसनीखेज बा,

नफरत से भरल दुनिया ,नफरत के बोलबाला,
प्यार के "बागी" राह चलल कांट भरल सेज बा,

*********************************************

हमार पिछुलका पोस्ट => भोजपुरिया रिति रिवाज - माई के पूजईया ( चिकेन पाक्स )

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Replies to This Discussion

प्यार के "बागी" राह चलल कांट भरल सेज बा,..............एकदम सत्य अउर सामयिक। गागर में सागर। एकदम सार्थक चित्रण।। सादर आभार।।
बहुत बहुत धन्यवाद प्रभाकर भईया सब रौवा लोगन के आशीर्वाद बा जी ईट्टा, गिट्टी, बालू ,छड़ के बीच रहे वाला व्यक्ति भी कुछ लिख पावत बा,
बुद्धि कईलस भ्रष्ट, भरल चाटुकारन के सेना,
लउके ना चुवत पलानी, खबर सनसनीखेज बा,

प्रधान मंत्री के हाथ में नइखे मंत्री पद देना ,
भ्रस्ट नेता मंत्री बनी साफ सुथरा से परहेज बा ,
रहनुमा बनल हाय रे किस्मत गुंडा बनके नेता ,
सब करत बाटे उहो खाली अच्छी से परहेज बा ,
एतना बढ़िया बनल बा गजल कलम ह बागी के ,
बाह बाह मन करत बा बहुत बढ़िया सन्देश बा ,
बहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी , ई सब राउर संगत के असर बा,
मेराज भाई शुक्रिया हौसलाफजाई ख़ातिर,
bahut bandhiya sir... rauwa etna bandhiya likhne bani ki ekra bare me kahe ke kouno shabda hi naikhe.

ehi tare likhat rahi..
सुनील पाण्डेय जी , धन्यवाद बा ,जे रौवा सब के प्यार मिळत बा ,
"बुद्धि कईलस भ्रष्ट, भरल चाटुकारन के सेना,
लउके ना चुवत पलानी, खबर सनसनीखेज बा ।"

सत्य वचन । बहुत बढ़िया ।
बुद्धि कईलस भ्रष्ट, भरल चाटुकारन के सेना,
लउके ना चुवत पलानी, खबर सनसनीखेज बा,

बहुत सही लिखले बानी ए गनेश भैया.....आज कल हमनी के आसपास ऐसन बहुत लोग भरल बा जे खाली मतलब खातिर सटल बा और मीठा मीठा बात बोलत बा ....काम ख़तम भैइला के बाद ओकरा लात मारत मे भी समय ना लागी...एहसे हमेशा सतर्क रहे के चाही...और जे पहीले से सतर्क रही ओकरा बाद मे कौनो दिक्कत ना होई लेकिन कुछ लोग ऐसन बा जे समझे के कोसिश ही ना करेला...जबकि कई बार उ लोग के संदेश भी मिल जाला की ग़लत हो रहल बा लेकिन वो लोग के आँख पर उ चाटुकारन के प्यार के रंग और पट्टी चढ़ल रहेला...लेकिन जब समझ मे आई तब तक बहुत देर हो चुकल रही.....

वैसे बहुत सही लिखले बानी गनेश भैया....
गणेश भाई बहुत खूब लिखले बनी रौवा समाज मे फहेलाल भरस्टचार के सही रूप रेखा देखएलए बनी रौवा .हमरा ता बहुत अछा लगाल ह भगवान से ई हे दुवा करेम की रौवा आएसही लिखत रही .......
raua hila ke rakh deni ....
aaur pyaar ke raah par chalal kaata na hoyi ...
नफरत से भरल दुनिया ,नफरत के बोलबाला,
प्यार के "बागी" राह चलल कांट भरल सेज बा,
hamni ke raua ke kaanta n gade dev ....thanks
गाय के रखवारी देखी ,करत बा कसाई,
पाई मोका करी हलाल,वोके कहा गुरेज बा,
नफरत से भरल दुनिया ,नफरत के बोलबाला,
प्यार के "बागी" राह चलल कांट भरल सेज बा,

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