निर्गुण भोजपुरी गीत : पिया अईले बोलावे
छोडे के नईहर तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
मनवा होखेला बेकरार हो ,
पिया से मिले के बावे ,
छोडे के नईहर..............
काँच ही बास के डोलिया बनल बा ,
उपरा से लाली रंग चुनरी लॅगल बा ,
मोलायम बिछावन गुलगुल सिरहानि,
गुलगुल सिरहानि, रामा, गुलगुल सिरहानि,
दुवारे कहार बाड़े तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
छोडे के नैहर..............
बाबू रोवे ले माई रोवेली,
भाई रोवे ले भौजी रोवेली ,
गऊवां के सभे सखिया रोवेली,
सखिया रोवेली,रामा,सखिया रोवेली,
बिलखि रोवे लईकाई के यार हो ,
पिया अईले बोलावे,
छोडे के नैहर..................
पाप के कमाईल इहे रह जाई,
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,
पियवा एक दिन सबके ले जाई,
सबके ले जाई, रामा,सबके ले जाई,
इहे बा सचाई, रामा, इहे बा सचाई,
जनि कर "बागी" हाय हाय हो ,
पिया अईले बोलावे
छोडे के नैहर..................
छोडे के नईहर तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
मनवा होखेला बेकरार हो,
पिया से मिले के बावे,
छोडे के नैहर..................
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पाप के कमाईल इहे रह जाई,...........पाप की कमाई यहाँ (मायके में )रह जाए
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,..........पुण्य की खाइल ??
पियवा एक दिन सबके ले जाई, ..................पति एक दिन सब ले जाए
..................
आदरणीया राजेश कुमारी जी मैं आपके कहे अनुसार भवार्थ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ |
//पाप के कमाईल इहे रह जाई//
आत्मा को पत्नी और परमात्मा को पति के रूप में माना जाता है उसी प्रकार इस लोक को नईहर/मायके/पीहर तथा स्वर्गलोक को ससुराल समझा गया है, इस पक्ति का आशय है कि पाप/ कुकर्म से एकत्र किया हुआ धन तो इसी लोक में रह जाता है,
//पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,//
साथ जाता है तो पुण्य प्रताप |
//पियवा एक दिन सबके ले जाई,//
ईश्वर सभी को एक दिन अपने पास ले जाता है अर्थात सभी जीवों को एक दिन मृत्यु को प्राप्त होना है |
गणेश जी बहुत बहुत आभार आपका अब सारी पिक्चर साफ़ हो गई बहुत दार्शनिक भावान्तिका गीत है बहुत सुंदर बधाई |
धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी |
आभार आदरणीया महिमा श्री,
बहुत बढ़िया रचना बा. वास्तव में जीवन के सच्चाई ईहे बा कि नईहर छोड़े के परबे करेला बाकिर मनुष्य अपना मोह माया के जाल में इतना ना लिप्त रहेला कि भुला जला कि ओकरा पिया के संगे जाये के बा......ओही में जे पिया के संगे जाये के तैयार बा आ पिया के इंतजार करत बा ऊ इहाँ के दुनियादारी से ऊपर उठ गईल बा.....ऊहे सच्चा अर्थ में संत कहला...... इतना बढ़िया रचना खातिर हमर हार्दिक बढ़ायी स्वीकार करीं. ई पढ़ के कबीर दास जी के एगो निर्गुण याद पर गईल ह .....
नईहरवा हमका न भावे
साईं की नगरी परम अति सुंदर
जहाँ कोई जाये न आवे
चाँद सूरज जहाँ पवन ना पानी
को संदेसा पहुँचावे
दरद यह सांई को बतावे
नईहरवा हमका ना भावे.....
बीर सतगुरु आपनो नहीं कोई
जो यह रह बतावे
कहत कबीर सुनो भाई साधो
सपने में प्रीतम आवे
तपन यह जिया कि बुझावे
नईहरवा हमका ना भावे
आदरणीया नीलम बहिन, राउर टिप्पणी बहुत नीक लागल, इ निर्गुण गीत बहुत दिन से अधपका अवस्था में रखल रहल हा, पन्ना उलाटत में नजर पडल त वोकरा के पका के रौरा लोगन के सेवा में प्रस्तुत कईनी ह , रउआ के नीक लागल , श्रम सार्थक भईल, आभार राउर |
आदरणीय बागी जी, सादर अभिवादन.
आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, निर्गुण सराहे खातिर आभार,
भाई गणेशजी ! जिनिगी के सचाई ठाढ़ क दिहलऽ, ए भाई. कतनो फहरई में उड़त मन पढ़ि-सुनि के भुइयाँ भहरा जाई. एह सत्य के चकचकइला का सोझा मन के अन्हार ना रहि सके. निर्गुन अपना देस के गंग-जमुनी संस्कृति के पताका हऽ, सउँसे विश्व खातिर उपहार बा अपना देस से.
एह पंक्तियन खातिर विशेष बधाई स्वीकार कइल जाओ -
पाप के कमाईल इहे रह जाई,
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,
पियवा एक दिन सबके ले जाई,
सबके ले जाई, रामा,सबके ले जाई,
इहे बा सचाई, रामा, इहे बा सचाई,
जनि कर "बागी" हाय हाय हो ,
पिया अईले बोलावे
हम विलम्ब से एह पन्ना प आ सकनीं हँ, एकर अपार अफ़सोस बा.
मेहनत सुकलान हो गईल सौरभ भईया, राउर सराहना पुरस्कार से तनिको कम ना लागे, माता जी के भी पढ़ के सूना देब , हम जानत बानी उहा के बहुत पसन् करब | आभार राउर |
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