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गुरु के बिना सबके संसार बा अधूरा । जबे मीलिहें गुरुजी हो जाई पूरा ।
अँगूरी पकड़ी लिखे पढ़े सिखावेलन , मीठी बतिया से दिल बहलावेलन ।
सब के मिलाके उपदेश बतावेलन , हर साल ग्यान देके दर्जा बढ़ावेलन ।
कच्चा घड़ा अपना उपदेश से पकाके , निर्मल बनावेलन जो रहल अधूरा ।
कवनो गलती के गुरु माफ करेलन , डाँट के छेनी से दिल साफ करेलन ।
हर बचवन से आपन स्नेह बांटेलन , ग्यान के खजाना दिल में भरेलन ।
सब के आगे बढ़ल देखल चाहेलन , खुश होलन जब लक्छ्य होला पूरा ।
केहू जाला विदेश गुरु के खोज में , पढ़े के चाहत रहेला सब के मन में ।
सारा ग्यान बा गुरु के उपवन में , दूर देश लोग रहेलन गुरु के संगम में ।
छोट बड़ गुरु हमेशा सबके पूज्य होलन , कमी दूर करेलन तब होला पूरा ।
कभी गुरू के अवगुण जनि निहारी , हमेशा रवुवाँ अच्छाई के उन पर वारीं ।
दिल से नमन करीं गुरु के हर बार ,  तबे हरदम खुश रही उनकर दरबार ।
अग्यानता जड़ से मिटवलन तोहार , खुशी से कईलन तोहार ग्यान पूरा । 
गुरु के नईया में हो जाईं सवार , भवसागर से रवुवाँ हो जाइबी पार ।
वाणी रुपी अमृत करिहं संचार , जग में गुरु के महिमा हवे अपरंपार ।
वर्मा उपदेश देलन दिल बहलाके , सबके खुश करेलन  जो रहल अधूरा ।

श्याम नारायण वर्मा 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Replies to This Discussion

बिना गुरु ज्ञान कहवाँ , गुरु के महिमा अपरम्पार बा, गुरु माई , बाबू, भाई, बहिन कोई हो सकेला, गुरु के प्रति आदर भाव देखावत नीमन रचना भईल बिया, बहुते बधाई एह प्रस्तुति प । 

हार्दिक आभार आदरणीय

गुरु के महिमा बखानत एह रचना खातिर बड़हन बधाई, भाईजी

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