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भाई जी बहुते धारदार बतियौले बानी रउआ. राउर मन के धारा कवनी तर्ज़ पर दुलकी भइल बीया कहे के नइखे.
हर चर्चा के एगो निर्धारित विस्तार होला. ओह विस्तार आ प्रसार के ज़द में कुल्हि विचार के लीहल-दीहल होखो त ओह के ओह विषय के पर बहस भइल कहाला. चित्र से काव्य तक के संदर्भ पर सउँसे बतकही आ चर्चा ओह चित्र पर रहे.
बाकिर, राउर ई बात जरूरे विचारणीय बा कि सम-सामयिक घटना पर चर्चा-परिचर्चा चलत रहे के चाहीं. Current topics पर जवन समाज बात करे से बाँचे लागे त ऊ समाज क्लीव होखे लागेला. बाकिर चित्र से काव्य तक के अबहीं तक के कुल्हि चित्र हमनी के जिनिगी आ समाज से जूड़ल आ ओह के परेसानी आ चिंता पर बसल रहल बा. एह खातिर संचालक मण्डल के मुसाहिब लोग बधाई के पात्र बाड़न.
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