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भोजपुरी साहित्य Discussions (247)

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अषाढ़ सावन के अंजोरिया

हम २८ तारीख के बाहर सुतल रहनी, कुछ देर के बाद खूब चटकार अंजोरिया निकलल, पाहिले त मन बड़ा खुश भईल लेकिन उ ख़ुशी थोड़े देर में गायब हो गईल. ह…

Started by आशीष यादव

2 Aug 28, 2010
Reply by आशीष यादव

मय मय में चल गइल ,

मय मय में चल गइल , जब बुधी भइल , मय हाथ से निकाल गइल , मय मय में चल गइल , बाबूजी समझवाले , भईया खुबे मनवाले , बाकिर मय खातिर , इ मन बहक गइल…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

एगो सितारा नाम भिखारी, रहले भोजपुरिया ,

एगो सितारा नाम भिखारी, रहले भोजपुरिया , भोजपुरी साहित्य के उठवले जाने सारा दुनिया , १८ दिसम्बर १८८७ कुतुबपुर में लेले जनमिया , रहले इ हजाम…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

राखी आइल चल गईल ,

राखी आइल चल गईल , कही मस्ती छा गईल , चलल खूब मिठाई , बहिन भाईयन के , कलाई पर बांधली !! कहीं इ ख़ुशी दे गईल , आउर कही गम के गुबार, देकर चल…

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

neta ho gail bate

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 18, 2010
Reply by आशीष यादव

सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा ,

सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा , हरिहर चुरी हरिहर साडी बलम इहो सावन बा , नहीं बोलब हम साडी ला द बलम बड कारन बा , चुरी का पहिनी हमू बलम…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

हम चाही ले करे के प्यार

हम चाही ले करे के प्यार गोरी हमरो जगहिया बता द , बता द हमारो जगहिया बता द , कहा से करी सुरु कहवा ख़तम एतना त हमके बता द , बता द हमारो जगहिय…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

अंचरवा ओढ़ा देहीं

आजा- आजा राजा करेजा से लगा लेहीं. आव पंजरवा अंचरवा ओढ़ा देहीं. आजा-आजा --------------------------------- चोरवा बनल आज सगरी नगरिया. कईसे बचा…

Started by satish mapatpuri

1 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

आइल कवन ज़माना

केसे पूछीं के बतलाई आइल कवन ज़माना, हौले-हौले मरदा बोले डांट के बोले जनाना. बाल कटाके लट बिखराके झट से गोरी पैंट चढ़ावे, काला चश्मा नाक के ऊ…

Started by satish mapatpuri

2 Aug 5, 2010
Reply by Neelam Upadhyaya

ननदी के भईया ना आइल

केसिया सँवरलि - हम रुपवा सजवलीं . गजरा लगवलीं - हाथे मेंहदी रचवलीं. धानी चुनर लहराइल- बाकिर, ननदी के भईया ना आइल. अंखिया से दूर भागे रतिया…

Started by satish mapatpuri

3 Jul 31, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

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Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
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