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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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मय मय में चल गइल ,

मय मय में चल गइल , जब बुधी भइल , मय हाथ से निकाल गइल , मय मय में चल गइल , बाबूजी समझवाले , भईया खुबे मनवाले , बाकिर मय खातिर , इ मन बहक गइल…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

एगो सितारा नाम भिखारी, रहले भोजपुरिया ,

एगो सितारा नाम भिखारी, रहले भोजपुरिया , भोजपुरी साहित्य के उठवले जाने सारा दुनिया , १८ दिसम्बर १८८७ कुतुबपुर में लेले जनमिया , रहले इ हजाम…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

राखी आइल चल गईल ,

राखी आइल चल गईल , कही मस्ती छा गईल , चलल खूब मिठाई , बहिन भाईयन के , कलाई पर बांधली !! कहीं इ ख़ुशी दे गईल , आउर कही गम के गुबार, देकर चल…

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 27, 2010
Reply by आशीष यादव

neta ho gail bate

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 18, 2010
Reply by आशीष यादव

सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा ,

सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा , हरिहर चुरी हरिहर साडी बलम इहो सावन बा , नहीं बोलब हम साडी ला द बलम बड कारन बा , चुरी का पहिनी हमू बलम…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

हम चाही ले करे के प्यार

हम चाही ले करे के प्यार गोरी हमरो जगहिया बता द , बता द हमारो जगहिया बता द , कहा से करी सुरु कहवा ख़तम एतना त हमके बता द , बता द हमारो जगहिय…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

अंचरवा ओढ़ा देहीं

आजा- आजा राजा करेजा से लगा लेहीं. आव पंजरवा अंचरवा ओढ़ा देहीं. आजा-आजा --------------------------------- चोरवा बनल आज सगरी नगरिया. कईसे बचा…

Started by satish mapatpuri

1 Aug 17, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

आइल कवन ज़माना

केसे पूछीं के बतलाई आइल कवन ज़माना, हौले-हौले मरदा बोले डांट के बोले जनाना. बाल कटाके लट बिखराके झट से गोरी पैंट चढ़ावे, काला चश्मा नाक के ऊ…

Started by satish mapatpuri

2 Aug 5, 2010
Reply by Neelam Upadhyaya

ननदी के भईया ना आइल

केसिया सँवरलि - हम रुपवा सजवलीं . गजरा लगवलीं - हाथे मेंहदी रचवलीं. धानी चुनर लहराइल- बाकिर, ननदी के भईया ना आइल. अंखिया से दूर भागे रतिया…

Started by satish mapatpuri

3 Jul 31, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

बिहार में

आजा घुमाईं देहीं, तोहके बधार में. लेल s लेल राजा, जवानी उधार में. सोना जस रंग हमार, चानी जस बदनवा. पतरी कमर हम्मर, बरछी जस नयनवा. चार सौ चा…

Started by satish mapatpuri

3 Jul 31, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

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surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
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surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
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"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
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गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
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सदस्य कार्यकारिणी
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