For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'रूपमाला रूपसी है, रास करता छंद'. :मदन-छंद या रूपमाला

मदन छन्द या रूपमाला

 

एक अर्द्धसममात्रिक छन्द, जिसके प्रत्येक चरण में 14 और 10 के विश्राम से 24 मात्राएँ और पदान्त गुरु-लघु से होता है. इसको मदन छन्द भी कहते हैं. यह चार पदों का छन्द है, जिसमें दो-दो पदों पर तुकान्तता बनती है.

रूपमाला छंद के माध्यम से ही मैंने भी इसे परिभाषित करने का एक प्रयास किया है ....

है मदन यह छंद इसका, रूपमाला नाम.

पंक्ति प्रति चौबीस मात्रा, गेयता अभिराम.

यति चतुर्दश पंक्ति में हो, शेष दस ही शेष,

अंत गुरु-लघु या पताका, रस रहे अवशेष..   --अम्बरीष श्रीवास्तव

 

यद्यपि रोला  भी २४ मात्रा का छंद हैं तथापि यति व गेयता में वह इससे भिन्न है ........आइये देखते हैं रूप माला छंद की कुछ छटाएं .....

 

*****************************************************

रावरे मुख के बिलोकत ही भए दुख दूरि ।

सुप्रलाप नहीं रहे उर मध्य आनँद पूरि ।

देह पावन हो गयो पदपद्म को पय पाइ ।                                                               

पूजतै भयो वश पूजित आशु हो मनुराइ ।      —केशव

*****************************************************

रत्न दिसि कल रूपमाला, साजिये सानंद|

राम ही के शरण में रह, पाइए आनंद|

जात हौं वन वादिहीं गल, बाँधि के बहुत तंत्र|

धाम ही किन जपत कामद, राम नाम सुमंत्र||--जगन्नाथ प्रसाद ‘भानु’

*****************************************************

झनक-झन झांझर झनकती, छेड़ एक मल्हार.

खन खनन कंगन खनकते, सावनी मनुहार.    

फहर-फर-फर आज आँचल, प्रीत का इज़हार.

बावरा मन थिरक चँचल, साजना अभिसार..

 

धड़कनें मदहोश पागल , नयन छलके प्यार .

बोल कुछ बोलें नहीं लब , मौन सब व्यवहार..

शान्ति, चिर-स्थायित्व, खुशियाँ, प्रीत के उपहार..

झूमता जब प्रेम अँगना , बह चले रसधार..     --डॉ० प्राची सिंह

***************************************************

छम छमा छम छम बरसते, शब्द सजते खूब. 

खिलखिलाते भाव बहते, शब्द के अनुरूप. 

छंद गुनगुन कह रहे हैं, आ मिलो अब मीत. 

झूमते तरुवर मगन सुन, श्रावणी संगीत..      –-सीमा अग्रवाल

*********************************************************

गर बचाना चाहते हम आज यह संसार।

है जरूरी पेड़ पौधों, से करें सब प्यार॥

पेड़ ही तो हैं बनाते, मेघमय आकाश।

पेड़ वर्षा ला बुझाते, इस धरा की प्यास॥          --संजय मिश्र ‘हबीब’

**********************************************************

पड़ रहीं रिम-झिम फुहारें, गा रहे मल्हार |
आम की डाली पे झूला, झूलते नर नार |
प्रीत की चलती हवाएं, बढ़ रहा है प्यार |
है हरी हर ओर वसुधा, झूमता संसार ||    --संदीप कुमार पटेल ‘दीप’

***********************************************************

चाँदनी का चित्त चंचल, चन्द्रमा चितचोर

मुग्ध नयनों से निहारे, मन मुदित मनमोर.

ताकता संसार सारा, देख मन में खोट.  

पास सावन की घटायें, चल छिपें उस ओट..

था कुपित कुंदन दिवाकर, जल रहा संसार .  

विवश वसुधा छेड़ बैठी, राग मेघ-मल्हार.

मस्त अम्बर मुग्ध धरती, मीत से मनुहार. 

घन-घनन घनघोर घुमड़े, तृप्ति दे रसधार..

 

बढ़ रही हैं धड़कनें रह,-रह उठें ये गात. 

कर रहीं सखियाँ ठिठोली, झूमते तरु पात.

झूलते सम्मुख सजन हैं, दे हृदय आवाज़.  

कांपता कोमल कलेजा, आ रही जो लाज.

21  22  11  122,=14  21   2   11 21 =10  कुल 24

दूर होगी हर समस्या, सोंच लें यदि ठीक.

रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, आज की तकनीक.

तैरती जो मछलियाँ तो, हर जलाशय गेह.

कीजिये निर्भय सभी को, हो सभी से स्नेह.      --अम्बरीष श्रीवास्तव

यदि हम उपरोक्त सभी मदन/रूपमाला छंदों की बंदिश पर ध्यान दें तो यह तथ्य उभर कर आता है कि इसकी बंदिश निम्न प्रकार से है ………….

‘राजभा’गा ‘राजभा’गा, ‘राजभा’गा राज

212 2        2122         2122       21

अर्थात रगण+गुरु x ३ + पताका(गुरुलघु)  

 

बह्र-ए-रमल  मुसम्मन महजूफ’ से रूपमाला में साम्य :

यह बंदिश इस प्रकार से भी हो सकती है

फाइलातुन  फाइलातुन  फाइलातुन फाइ

212 2        2122         2122       21

अब बह्र-ए-रमल  मुसम्मन महजूफ की बंदिश देखिये

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन 

212 2        2122       2122       212

यदि अंत के फाइलुन के ‘लुन’ को हटा दिया जाय तो यह बह्र-ए-रमल मुसम्मन महजूफ से लगभग मिलता जुलता छंद है ….

अर्थात .......

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन 

212 2        2122       2122       212                 -- बह्र-ए-रमल मुसम्मन महजूफ

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइ  - लुन 

212 2        2122       2122       21  -   2          --रूपमाला  

*******************************************************************************************************************************      

Views: 7230

Replies to This Discussion

अत्यंत लाभदायक जानकारी प्रस्तुत करती प्रविष्टि हेतु सादर आभार स्वीकारें आदरणीय अम्बरीश भईया...

स्वागत है भ्रात संजय जी ! हार्दिक आभार मित्र !

आदरणीय अम्बरीषजी, 

रूपमाला छंद पर इस लेख के लिये सादर धन्यवाद स्वीकारें.

सादर

रूपमाला पंक्तियों से  दे  रही  है  थाप
थाप से हैं तथ्य उभरे, जान लें हम-आप
गिन सकें ग़र वज़्न इनका, चौंक जायें लोग
पंक्तियों में बह्र सा है, देख लें कर योग.. . 

रोचक तथ्य है या नहीं, आदरणीय अम्बरीष भाईजी !.. है न ? ..  :-))

आपने क्या खूब जाना, यह गज़ब अंदाज़.        

‘राजभा’गा ‘राजभा’गा, ‘राजभा’गा राज.

राज ये जानेगा जो भी, वो कहेगा भाइ.  

फाइलातुन  फाइलातुन,  फाइलातुन  फाइ..  

212 2         2122        2122         21 

आदरणीय सौरभ जी, रूपमाला में प्रतिक्रिया के लिए आपके प्रति आभार व्यक्त कर रहा हूँ ! सादर :

वाह वाह आदरणीय अम्बरीश जी, क्या ही खूबसूरत, रोचक तथ्य उभर कर सामने आया है.
इसकी गेयता तो २१२२..२१२२..२१२२.. २१ ही है...

जी, डा. प्राची. यही मैं ने अपने उपरोक्त प्रतिक्रिया छंद में इंगित किया है. 

ला ल ला ला/ ला ल ला ला/ ला ल ला ला/ ला ल...........  :-)))

जी आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, मैंने आपके द्वारा इसके खोजे जाने, और आपकी GUIDANCE   में अम्बरीश जी के इस तथ्य को पूर्ण गणना के साथ उजागर करने को देखा.. मुझे लगता है ओबीओ पर अब एक 'शोध विभाग' भी बना ही देना चाहिए.

मुझे लगता है, इस तरह का अध्ययन व जानकारी बेशकीमती है.
सादर.

haa haa haa........

I said seriously sir.

//ला ल ला ला/ ला ल ला ला/ ला ल ला ला/ ला ल...........  :-)))//

वाह एक और पद्धति ....

आदरणीय सौरभ जी आपके निर्देशन में बहुत कुछ नया सीखने को मिल रहा है ......:-)

सादर

//

//ला ल ला ला/ ला ल ला ला/ ला ल ला ला/ ला ल...........  :-)))//

वाह एक और पद्धति ....//

वास्तव में, आदरणीय ? ..  सही?

 

का हो गणेश भाई??? .. .  ई का हो ?  ’लाललाला’ कइलका फोन हमरहीं तलुक था का ?? ..   :-)))

हा हा हा हा ..........

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service