For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बुंदेलखंड के लोक मानस में प्रतिष्ठित आल्हा या वीर छंद -संजीव 'सलिल'


बुंदेलखंड के लोक मानस में प्रतिष्ठित आल्हा या वीर छंद

संजीव 'सलिल'

*

                     आल्हा या वीर छन्द अर्ध सम मात्रिक छंद है जिसके हर पद (पंक्ति) में क्रमशः १६-१६  मात्राएँ, चरणान्त क्रमशः दीर्घ-लघु होता है. यह छंद वीर रस से ओत-प्रोत होता है. इस छंद में अतिशयोक्ति अलंकार का प्रचुरता से प्रयोग होता है.                                                                                  

छंद विधान:

    आल्हा मात्रिक छंद सवैया, सोलह-पन्द्रह यति अनिवार्य.    

गुरु-लघु चरण अंत में रखिये, सिर्फ वीरता हो स्वीकार्य..
    अलंकार अतिशयताकारक, करे राई को तुरत पहाड़.
   

ज्यों मिमयाती बकरी सोचे, गुँजा रही वन लगा दहाड़..

.                         

                    महाकवि जगनिक रचित आल्हा-खण्ड इस छंद का कालजयी ग्रन्थ है जिसका गायन समूचे बुंदेलखंड, बघेलखंड, रूहेलखंड में वर्ष काल में गाँव-गाँव में चौपालों पर होता है. प्राचीन समय में युद्धादि के समय इस छंद का नगाड़ों के साथ गायन होता था जिसे सुनकर योद्धा जोश में भरकर जान हथेली पर रखकर प्राण-प्रण से जूझ जाते थे. महाकाव्य आल्हा-खण्ड में दो महावीर बुन्देल युवाओं आल्हा-ऊदल के पराक्रम की गाथा है. विविध प्रसंगों में विविध रसों की कुछ पंक्तियाँ देखें:

    पहिल बचनियां है माता की, बेटा बाघ मारि घर लाउ.

    आजु बाघ कल बैरी मारउ, मोर छतिया कै डाह बुझाउ.. 

    ('मोर' का उच्चारण 'मुर' की तरह)

    बिन अहेर के हम ना जावैं, चाहे कोटिन करो उपाय.

    जिसका बेटा कायर निकले, माता बैठि-बैठि मर जाय..

                          

        *

       टँगी खुपड़िया बाप-चचा की, मांडौगढ़ बरगद की डार.

    आधी रतिया की बेला में, खोपड़ी कहे पुकार-पुकार.. 

   ('खोपड़ी' का उच्चारण 'खुपड़ी')

    कहवाँ आल्हा कहवाँ मलखे, कहवाँ ऊदल लडैते लाल.

    ('ऊदल' का उच्चारण 'उदल')

    बचि कै आना मांडौगढ़ में, राज बघेल जिए कै काल..

*

    अभी उमर है बारी भोरी, बेटा खाउ दूध औ भात.

    चढ़ै जवानी जब बाँहन पै, तब के दैहै तोके मात..

*

    एक तो सूघर लड़कैंयां कै, दूसर देवी कै वरदान. ('सूघर' का उच्चारण 'सुघर')

    नैन सनीचर है ऊदल के, औ बेह्फैया बसे लिलार..

    महुवरि बाजि रही आँगन मां, जुबती देखि-देखि ठगि जाँय.

    राग-रागिनी ऊदल गावैं, पक्के महल दरारा खाँय..

*

                                                                           

*********

   

Views: 1402

Replies to This Discussion

कहते हैं कि ऊदल यानि उदय सिंह राय तो पथ्वी राज के साथ हुई युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो चुके थे. आल्हा का चिरंजीव होना अवश्य जनश्रुतियों में है. मैहर के शारदा मन्दिर में मुझे भी कई बार सपरिवार पूजन-अर्चन का पूण्य अवसर मिला है. यह कथा वस्तुतः वहाँ प्रचलित है कि पास के तालाब से जल भर कर आल्हा आज भी माता का प्रतिदिन प्रथम पूजन करते हैं. जन-मान्यता के सार के प्रति सादर नमन.

आदरणीय  /  आदरणीया

आल्हा छंद पर कोई भी जानकारी " भारतीय छंद विधान " में मुझे नहीं मिली ।  मात्रा  16 - 15 के अतिरिक्त भी अन्य कोई आवश्यक  नियम  हो तो कृपया आल्हा छंद के  2  - 4  उदाहरण सहित शब्द / मात्रा के संयोजन आदि पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने की कृपा करें ॥ धन्यवाद 

सादर  ....   अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव 

आदरणीय अखिलेशभाईजी, आप शायद हमेशा शीघ्रता में होते हैं या आपकी तरफ स्लो नेट-कनेक्शन की समस्या है. यदि भारतीय छंद विधान समूह में कायदे से सर्फ़िंग करें तो आप अवश्य लाभान्वित होंगे.


इस लिंक को देखें --

http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service