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राज़ नवादवी's Discussions (490)

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"आदरणीय अजय तिवारी जी, आदाब. इस बेहतरीन अनुसंधान परक कार्य के लिए आपको हार्दिक बधाई ए…"

राज़ नवादवी replied Nov 8, 2018 to उर्दू शायरी में इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण - I

6 Jul 12, 2020
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"ये बह्र है उर्दू में समंदर का दूजा नाम  जिसको किया है पेश पियाले में आपने  ख़ुशबू के…"

राज़ नवादवी replied Oct 28, 2018 to बह्रें और उनके अरकान

9 Feb 20, 2021
Reply by Aazi Tamaam

"जो तश्नगी थी दिल में मेरे मुद्दतों से राज़  उसको अजय तिवारी जी ने सेर कर दिया  इक खौ…"

राज़ नवादवी replied Oct 28, 2018 to मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण

6 Oct 30, 2018
Reply by Ajay Tiwari

"इस ज्ञानवर्धक चर्चा के लिए आदरणीय अजय तिवारी जी, आदरणीय नीलेश जी, आदरणीय समर कबीर सा…"

राज़ नवादवी replied Oct 26, 2018 to दुष्यंत द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण

35 Oct 30, 2018
Reply by Ajay Tiwari

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
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"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
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ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
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ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
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"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
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Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
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