For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा चर्चा: सदस्यगण अपने प्रश्न/विचार इस थ्रेड में पोस्ट करें

.

Views: 2220

Replies to This Discussion

आदरणीय सर विधा से सम्बंधित कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर जानना हम सब के लिए ही उपयोगी होगा, सादर।
1- लघुकथा में प्रतीकों एवं बिम्बो का प्रयोग कितना आवश्यक है और क्यों?
2- क्या लघुकथा में हास्य और व्यंग्य का समावेश वर्जित है? यदि हां तो क्यों? यदि नही तो क्या किया जाए जो कथा चुटकुला न बन जाए?
3- ये सकारात्मकता और नकारात्मकता है क्या? क्या लघुकथा लिखने से पूर्व ही या लिखते समय ये विचार करना चाहिए कि कथा कैसा प्रभाव डालेगी ?
4-लघुकथा गम्भीर विधा है। तो क्या हल्के-फुल्के विषयों पर लघुकथा नही लिखनी चाहिए?
5-क्या आलोचनों से बचने के लिए नए लघुकथाकारों को संवेदनशील विषयों पर लिखने से बचना चाहिए?

//लघुकथा में प्रतीकों एवं बिम्बो का प्रयोग कितना आवश्यक है और क्यों?//

 

सवाल यह नहीं है कि लघुकथा में बिम्ब और प्रतीक कितने और क्यों आवश्यक हैंI सवाल ये है कि प्रतीक और बिम्ब लघुकथा में कितने महत्वपूर्ण हैंI मैं यहाँ कहना चाहूँगा कि जहाँ सटीक प्रतीक/बिम्ब लघुकथा को चार चाँद लगा सकते हैं वहीँ बिना सोचे विचारे इनका फैशन की तरह उपयोग रचना को अब्सट्रेक्ट बना कर जटिल और बोझिल भी कर सकता हैI अत: इनके प्रयोग के समय लघुकथाकार को बहुत ही चौकन्ना और सचेत रहना चाहिएI अक्सर इनका प्रयोग इशारे के तौर पर किया जाता हैI मसलन किसी धर्म या या वर्ग विशेष को इंगित करने के लिएI जैसे नेतायों के लिए खादी या पुलिस के लिए खाकी आदिI किसी विवादास्पद अथवा संवेदनशील मुद्दे पर लिखते समय बिम्ब/प्रतीक का प्रयोग करके विवाद से बचा जा सकता हैI जैसे भगवा या हरा रंग हिन्दू और मुस्लिम के लिए या लाल झंडा साम्यवादियों के लिएI       

//क्या लघुकथा में हास्य और व्यंग्य का समावेश वर्जित है? यदि हां तो क्यों? यदि नही तो क्या किया जाए जो कथा चुटकुला न बन जाए?//

हास्य और व्यंग्य के लिए चुटुकुला होता हैं, लघुकथा नहींI हास्य-व्यंग्य महज़ गुदगुदाता है, जबकि लघुकथा झिंझोड़ती हैI हास्य से पाठक “हाहा” करता है जबकि लघुकथा से “वाह वाह”I लघुकथा में व्यंग्य को कटाक्ष बनाकर प्रस्तुत लिया जाता है इसीलिए लघुकथा की आयु भी किसी लतीफे से बहुत ज्यादा होती है और प्रभाव भीI   

 

//ये सकारात्मकता और नकारात्मकता है क्या? क्या लघुकथा लिखने से पूर्व ही या लिखते समय ये विचार करना चाहिए कि कथा कैसा प्रभाव डालेगी ?//

सकारात्मकता और नकारात्मकता दो विचार या मानसिकताएं हैं जिनका अलग अलग परिवेश में अलग अलग अर्थ होता हैI उदाहरण के तौर पर यदि पश्चिमी जगत में कोई लड़की माँ बाप की इजाज़त के बगैर शादी कर ले तो उसे बुरा नहीं माना जाता, बल्कि ये कहा जाता है कि उसे ऐसा करने का अधिकार हैI अधिकार तो हमारे यहाँ भी है, लेकिन हम ऐसी परिस्थिति को सकारात्मक नहीं मान सकतेI इसी को यदि लघुकथा की दृष्टिकोण से देखा जाए तो सकारात्मकता अथवा नकारात्मकता उसके सन्देश पर निर्भर करती हैI एक लघुकथाकार का काम है किसी भी आम परिदृश्य से कोई विशिष्ट बिंदु/क्षण को उभार लानाI क्योंकि रचनाकार होने के नाते वह समाज के प्रति भी जवाबदेह है तो वह कोई भी ऐसा सन्देश देने से गुरेज़ करेगा जो सत्य होते  हुए भी नकारात्मक होI उदाहरण के तौर पर आज भी हमारे देश में नारी की जो दशा है वह किसी से छुपी हुई नहीं हैI इसके बावजूद भी हम नारी को पीड़ित तो दिखा सकते हैं लेकिन कमज़ोर कतई नहीं (दिखाना भी नहीं चाहिए) क्योंकि इससे गलत सन्देश जाएगाI लिव-इन रिलेशन, समलैंगिकता अथवा न्यूकलिअस फेमिलीज़ भले ही आज का सत्य क्यों न हो हम भारतीय उनकी तरफदारी नहीं कर सकतेI    

              

//लघुकथा गम्भीर विधा है। तो क्या हल्के-फुल्के विषयों पर लघुकथा नही लिखनी चाहिए?//

बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न है यहI लेकिन मज़े की बात ये है कि आपने इस प्रश्न में ही इसका उत्तर भी स्वयं ही डे दिया हैI दरअसल, एक रचनाकार को यह ज्ञान होना चाहिए कि कौन से बात किस विधा में और किस तरह कही जा सकती हैI हलके-फुल्के विषय (फेसबुकिया माहौल वाले) लेकर नवोदित रचनाकार लघुकथा का बहुत नुकसान कर चुके हैंI ऐसे विषयों पर आधारित रचनाएँ किसी फ्लॉप फिल्म की तरह होती हैं जो पहले शो से ही औंधे मुँह गिर जाती हैंI लेकिन लघुकथा में बहुत ही जटिल विषय लिए जाएँ, यह भी ज़रूरी नहींI कहा जाता है कि लघुकथा साधारण से असाधारण को उभार ले आने वाली विधा है; तो एक बात तो तय हुई कि लघुकथा का विषय हमारे आस पास की साधारण (किन्तु उल्लेख करने योग्य) बातों या घटनायों पर ही आधारित होता हैI लेकिन हलके-फुल्के, गैर-संजीदा और चलताऊ विषय लघुकथा के मिजाज़ के अनुकूल नहीं हैंI        

        

//क्या आलोचनों से बचने के लिए नए लघुकथाकारों को संवेदनशील विषयों पर लिखने से बचना चाहिए?//

 

किसी भी ऐसे विषय पर जोकि देश अथवा समाज की अवधारणा के विरूद्ध न हो उनपर कलम आजमाई अवश्य करनी चाहिएI कोई रचनाकार यदि आलोचकों से डरकर रचनाकर्म करेगा तो यह सही नहीं होगाI वैसे भी अभी तक लघुकथा में स्वयं लेखक ही आलोचक की भूमिका निभा रहे हैंI आलोचक तो अभी भी उसी 80 के दशक की मानसिकता से ग्रस्त हैं जब लघुकथा को लतीफेबाजी कहा जाता थाI बेशक लघुकथा के नाम पर लतीफेबाजी अभी भी हो रही हैं लेकिन उसका प्रतिशत दिन-ब-दिन घटता जा रहा हैI अत: हमे आज आलोचकों से बचने की नहीं उन्हें असलीयत से वाकिफ करवाने की दरकार ज्यादा हैI      

बहुत बहुत धन्यवाद सर ।आपने समय निकाल कर मेरे प्रश्नो का उत्तर दिया ह्रदय से आभार। मन की बहुत सारी शंकाओं को समाधान मिल गया।

भाई योगराज प्रभाकर जी, माफ़ कीजियेगा मै यहां कुछ बातों मे अपनी असहमति दर्ज कराना चाहता हूं । एक- हास्य और व्यंग को लघुकथा मे वर्जित क्यों करना चाहते हैं ? आप कहते हैं हास्य व्यंग के लिये चुटकुले होते है, लेकिन हर हास्य चुतकुला नही होता । और हास्य सिर्फ़ चुटकुलों से ही उत्पन्न नही होता । हास्य एक रस है, जिसे लेखन मे उपयोग करना बरी महारत का काम है अन्यथा लेखन को कला से फ़ूहड़ता के दर्जे पर आते देर नही लगती । यदि कोई इस रस का कुशलता से उपयोग कर सकता है तो क्या आपत्ति है, और व्यंग तो बिल्कुल अलग ही रस है । इसका स्वाद निश्चित नही होता, यह हसायेगा या रुलायेगा या तीर बनकर जिगर से पार हो जायेगा पता नही होता । लघुकथा को क्यों इन रसों से दूर रखा जाये ?

दूसरी बात- अगर आप सक्षम है तो क्यों हल्के-फ़ुल्के विषयों से परहेज करें । हर कला की तरह लघुकथा मे भी भावना सम्प्रेषण को महत्व दें । चाहे जिस विषय पर लिखें ध्यान रखें कि लेखन कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप मे हो । आपका लेखन एक प्रभाव छोड़े यह महत्वपूर्ण है ।

बहुत सी रूखी वर्जनाओं के चलते और सहित्य के रसों के उपयोग से दूर होने के कारण लघुकथा, समाचार, विज्ञापन या कही कही तो नारे जैसी लगने लगी है ।

मेरा खयाल है- लघुकथा शब्द दो शब्दों के मेल से बना है , लघु और कथा । यहां यहा कथा शब्द प्रधान है जो कि लेखन की विधा को परिभाषित करता है और लघु शब्द सिर्फ़ आकार को निर्धारित करता है । तो मेरा मानना है खुलकर लिखें, कथा तत्व को जीवित रखें । सारगर्भित वाक्यों का इस्तेमाल करके लेखन को कसें । आकार के चक्कर मे लेखन को प्रभाव हीन न करें । अगर आकार बढ़ गया तो कहानी हो गई अन्यथा एक प्रभावशाली लघुकथा हाज़िर है ।   

आपकी असहमति का स्वागत है भाई मिर्ज़ा हाफ़िज़ बेग साहिब। लघुकथा में हास्य का “पुट” होना कोई बुरी बात नहीं लेकिन समझने वाली बात यह है कि हास्य-व्यंग्य का काम होता है पाठक को हँसाना, गुदगुदाना या कुछ हद तक चौंकाना। किन्तु लघुकथा न तो हँसाती है न ही गुदगुदाती है, बल्कि लघुकथा पाठकीय चेतना पर प्रहार कर उसे किसी समस्या पर सोचने के लिए बाध्य करती है। जहाँ हास्य-व्यंग्य क्षणिक शीतलता प्रदान करता है वहीँ लघुकथा में अंकित क्षणों का ताप होता है। विद्वानों के मतानुसार लघुकथा जीवन के किसी प्रभावी क्षण,  मनःस्थिति, विचार, घटना की वह पैनी अभिव्यक्ति है और जो अपने प्रखर ताप से पाठकों को प्रभावित कर उसकी चेतना को उद्दीप्त कर सके तथा उन्हें कोई गम्भीर चिन्तन-बीज सौंप सके।  

आदरणीय सर , 

कुछ  प्रश्न यहाँ मैं पूछना चाहती हूँ , आपने कहा है लघुकथा में स्वयं लेखक ही आलोचक की भूमिका निभा रहे हैं , इसका मतलब हमें अपने कथा की आलोचना स्वयं को करनी होगी | 

१ हमें आलोचक बनकर किन किन बिन्दुओं पर धयान देना होगा ?

२ हम आलोचना किस प्रकार से करेंगे ? 

३ क्या कथा लिखते वक़्त से ही आलोचक की भूमिका भी निभानी होगी ? 

४ क्या पाठक बनकर आलोचना होगी या एक आलोचक का नजरिया कुछ अलग होगा ? 

सादर |

//आपने कहा है लघुकथा में स्वयं लेखक ही आलोचक की भूमिका निभा रहे हैं , //

मेरे कहने के अभिप्राय है कि लघुकथा विधा के स्वतंत्र आलोचक अभी नहीं हुए हैं,  जो लेखक हैं वे ही आलोचक की भूमिका भी निभा रहे हैं. 

//१ हमें आलोचक बनकर किन किन बिन्दुओं पर धयान देना होगा ?

२ हम आलोचना किस प्रकार से करेंगे ? 

३ क्या कथा लिखते वक़्त से ही आलोचक की भूमिका भी निभानी होगी ? 

४ क्या पाठक बनकर आलोचना होगी या एक आलोचक का नजरिया कुछ अलग होगा ? //

जब तक एक लेखक सम्बंधित विधा के मूलभूत नियमों से पारंगत न हो उसे आलोचना से परहेज़ करना चाहिए. केवल अपनी विद्वता दर्शाने हेतु आलोचक बनना किसी भी विधा के लिए हानिकारक होगा. शुरूआती दौर में आलोचना की बजाय परस्पर चर्चा पर ध्यान दिया जाए तो बेहतर होगा. हालाकि अक्सर एक लेखक अपनी रचना के प्रति बायस्ड हो जाता है. लेकिन यदि वह अपनी रचना का आलोचक आप बन सके तो सोने पर सुहागा होगा, लेकिन यह तभी संभव होगा यदि वह विधा की बरीकिओं से भली भांति परिचित हो. 

सादर धन्यवाद सर | 

सम्मान्य मंच संचालक महोदय, लघुकथा के नाम से प्रस्तुत की गई गद्य रचना में -
1- 'कथात्मकता' नहीं है!
2- 'सपाट बयानी' है!
3- 'अव्यावहारिकता' है! अव्यावहारिक विवरण/तथ्य हैं!
4- 'पात्र का सोचने लगना' दरअसल 'लेखकीय उपस्थिति/विचार' है!
5- तथ्य/कथ्य प्रदत्त विषय/शीर्षक के अनुरूप नहीं है।
6- उलझाव या भटकाव है!
7- विराम चिन्हों का ग़लत इस्तेमाल हुआ है!

इन सात बिन्दुओं को सौदाहरण समझाते हुए इनको स्वयं परखने व इनसे बचने के उपाय बताइयेगा। रचना में बताई गई खामी रचनाकार को ही दूर करना चाहिए या वरिष्ठजन/सुधीजन खामी दूर करने का उपाय सांकेतिक रूप में, हिंट देते हुए समझायेंगे ओनलाइन व्यवस्था के तहत?

आ० कल्पना भट्ट जी, बिंदु 1 से 6 तब तक स्पष्ट नहीं हो सकते जब तक कि एक रचनाकार (लघुकथाकार) सतत अध्ययन और अभ्यास न करे . बिंदु नम्बर 7 का सम्बन्ध व्याकरण से है. इस बारे में आचार्य संजीव सलिल जी का मत है कि कक्षा 1 से कक्षा 6 की हिंदी व्याकरण की किताबों का अध्ययन करने से काफी सहायता मिलेगी.  

धन्यवाद सर |

सम्मान्य लघुकथा गोष्ठी संचालक महोदय, गोष्ठी-15 के प्रदत्त विषय पर क्या सदस्यगण यहाँ विचार विनिमय कर सकते हैं, यदि हाँ, तो कृपया बताइयेगा कि किस तरह क्रोध आना/आक्रोश होना/आपा खोना (ग़ुस्से में) भिन्न बातें हैं? देश व समाज की स्थायी सी ज्वलंत समस्याओं या मुद्दों पर ही लघुकथा सृजन होगा या उनसे परे सामान्य परिदृश्य पर भी?

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service