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'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१५ 

नमस्कार दोस्तों !

इस बार की चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-१५ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है | इस बार का चित्र अपने आप में अद्वितीय है जिसे हमारी विद्वान प्रतिभागियों द्वारा अनेक रूप में चित्रित किया जा सकता है |

साथियों! सागर की लहरों से स्पर्श से आ रही ठंडी फुहार युक्त हवा के झोंके की भाँति हृदय को शीतलता प्रदान करने वाली इस प्यारी दुलारी बेटी को जरा देखिये तो सही.........जिसकी ऐसी मुस्कान पर तो सभी कुछ न्यौछावर किया जा सकता है....... इसकी नन्हीं-नन्हीं सी कोमल मुट्ठियों में भरी हुई रेत वैसे तो भरभराकर फिसल सकती है पर इसे यदि हमारे प्यार-दुलार रूपी सीमेंट का साथ मिले तो तो यह दो मुठ्ठी रेत इच्छित आकृति में आवश्यकतानुसार ढलकर ऐसे स्थायित्व को प्राप्त कर सकती है जिसके सहारे हमारी सभी बेटियाँ अपने जीवन पथ पर आने वाली हर मुश्किल से स्वयं को उबार  सकती हैं |  

मुस्काती नन्ही परी, दिल पर उसका राज.

बांह पसारे दौड़ती पुलकित सागर आज.

आइये तो उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. पुनः आपको स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी, कृपया इस प्रतियोगिता में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है | 

पिछली चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता’ अंक-१४ में कई रचनाएँ तत्संबंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्ल्लेख न करने के कारण प्रतियोगिता से बाहर कर दी गयी थीं |   

प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है जिसका विवरण निम्नलिखित है :-

"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १७ से १९ तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१५, दिनांक १७ जून  से १९ जून  की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य   अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

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Replies to This Discussion

आदरणीय महोदय जी सादर 

दोहे आपकी सेवा में प्रस्तुत करने की अनुमति चाहता हूँ. शिल्पगत दोष हैं. सिखाने का भी कष्ट करियेगा  . आभार

दोहे

बालक जनम लेत जबहि घर मा मंगल छाय

बेटी जनमत जानतहि मात काहे लजाय 
नारी तन  का अंश है नारी मन न सुहाय 
बगैर  युगल कस वंश बढे है क्या दूजा उपाय 
नारी कोमल भावना अनन्त ममता छांव
स्वागत कीजे आपका मिले शांति विश्राम 
पुरुष पुरुषार्थ है नारी कुल का  मान
दोनों के  सम मिलन से होत जगत कल्यान
नारी शक्ति मात की नारी है निष्काम 
नारी सदा पूजयति बनते  बिगड़े काम 
बाला दौड़े रेत पे नन्हे पायें उठाय
जल न जाएँ पैर कहीं गिरे न ठोकर खाय 
कोमल भावना युक्त है बाला  का संसार 
आगे उसका भाग्य है फूल मिलें या खार 

आदरणीय प्रदीप जी, दोहे रचने का बहुत ही अच्छा प्रयास किया है आपने.....हमें आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि आपकी यह मेहनत एक दिन अवश्य ही रंग लायेगी ..बहुत बहुत बधाई मित्रवर ...फिर भी आपकी इच्छानुसार दोहों की बेहतरी हेतु मात्र शिल्प सुधरने की दृष्टि से कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं ....... जय ओ बी ओ |

सादर

 

//बालक जनम लेत जबहि घर मा मंगल छाय

बेटी जनमत जानतहि मात काहे लजाय//

जन्म लेत बालक जबहिं, घर मा मंगल छाय  

बेटी जनमत जानतहि, काहे मात लजाय

 

//नारी तन  का अंश है नारी मन न सुहाय 

बगैर युगल कस वंश बढे है क्या दूजा उपाय//

नारी तन  का अंश है, नारी मन न सुहाय.

बिना युगल नहिं वंश हो, दूजा कहाँ उपाय??

 

//नारी कोमल भावना अनन्त ममता छांव

स्वागत कीजे आपका मिले शांति विश्राम//

नारी कोमल भावना, ममता छांव अनन्त.

नारी स्वागत जो करें, शान्तिप्रदायक संत..

 

//पुरुष पुरुषार्थ है नारी कुल का मान

दोनों के सम मिलन से होत जगत कल्यान//

//पुरुष रूप पुरुषार्थी, नारी कुल का मान

दोनों के सम मेल से, होता जग कल्यान//

 

//नारी शक्ति मात की नारी है निष्काम 

नारी सदा पूजयति बनते  बिगड़े काम// 

मातृशक्ति नारी यहाँ, नारी है निष्काम.

पूजें जब-जब नारियाँ, बनते बिगड़े काम..

 

//बाला दौड़े रेत पे नन्हे पायें उठाय

जल न जाएँ पैर कहीं गिरे न ठोकर खाय// 

//बाला दौड़े रेत पे, नन्हे पांव उठाय.

कहीं जलें नहिं पांव ये, गिरे न ठोकर खाय..// 

 

//कोमल भावना युक्त है बाला  का संसार 

आगे उसका भाग्य है फूल मिलें या खार//

कोमल भावों से भरा, बाला का संसार.

आगे उसका भाग्य है, पुष्प मिलें या खार..

वाह वाह वाह आदरणीय अम्बरीष भाई जी, क्या तराशा है कच्चे हीरे को. अब इनकी चमक उभर कर ज़ाहिर हुई है, आपकी दोहावली देख कुछ दोहे कहने का प्रयास किया है.


//जन्म लेत बालक जबहिं, घर मा मंगल छाय
बेटी जनमत जानतहि, काहे मात लजाय //

बेटा पैदा होत ही, बाजें ढोल मंजीर
काहे बेटी आन पै, माथे पड़त लकीर  

//नारी तन का अंश है, नारी मन न सुहाय.
बिना युगल नहिं वंश हो, दूजा कहाँ उपाय?? //

महिमा अपरम्पार है, नारी धरती रूप,
इसने ही पैदा किए, बड़े बड़े सुर भूप  

//नारी कोमल भावना, ममता छांव अनन्त.
नारी स्वागत जो करें, शान्तिप्रदायक संत.. //

हर मज़हब ने है दिया, सीधा सादा ज्ञान   
नारी घर का मान है, नारी घर की शान

//पुरुष रूप पुरुषार्थी, नारी कुल का मान
दोनों के सम मेल से, होता जग कल्यान//

अबला कहकर दोस्तों, मत कीजे उपहास 
चंडी का अवतार हैं, कहता है इतिहास  

//मातृशक्ति नारी यहाँ, नारी है निष्काम.
पूजें जब-जब नारियाँ, बनते बिगड़े काम.. //

जिसकी पावन कोख से, उपजा है संसार 
उस नारी को दीजिये, कोटि कोटि आभार 

//बाला दौड़े रेत पे, नन्हे पांव उठाय.
कहीं जलें नहिं पांव ये, गिरे न ठोकर खाय..//

छोटे छोटे डग भरे, दुनिया मगर विशाल 
रौशन इसका आज हो, कल भी हो खुशहाल 

//कोमल भावों से भरा, बाला का संसार.
आगे उसका भाग्य है, पुष्प मिलें या खार..//

दिल से कोशिश कीजिए, हो न इसकी हार
इसके हाथों दीजिए, शिक्षा का हथियार

आदरणीय भाई योगराज जी, सादर 

बहुत सुन्दर भाव दिए आपने. बधाई. 

अग्रज प्रदीप कुशवाहा जी, यह सारा श्रेय आपके दोहों और आद अम्बरीश जी की नग-तराशी को जाता है.

जय हो जय हो आदरणीय !

आदरणीय अनुज योगराज जी . सादर 

आपका ह्रदय अच्छी तरह जानता है कि जीरो  शिष्य को हीरो बनाने में कितनी मेहनत पड़ती है. गुरुदेव सौरभ जी, भाई अम्बरीश जी का स्नेह सदेव मुझे प्राप्त होता रहता है. मैं आप सब का आभारी हूँ. जो मुझे निभा रहे हैं प्रेम के साथ. आज हिम्मत बढ़ी है. 

सत्य कहा मित्रवर ! जय हो !

आदरणीय प्रधान संपादक जी,

बेटी सबसे प्रिय लगे, करती बेड़ा पार .

दिल से दोहे हैं रचे, स्वीकारें आभार..

सादर | जय  ओ बी ओ |

यह सब आपकी सकारात्मक ऊर्जा का जलवा है आदरणीय जो हम सब से लिए सदैव प्रेरणादाई होती है. जय अम्बरीष जी, जय जय गिरिधारी, जय जय जय ओबीओ. 

जय हो आदरणीय | यह सब ओ बी ओ के कुशल मार्गदर्शन का जलवा है ! वरना यह खाकसार तो कुछ भी नहीं !

कर्पूर गौरं .. . सदा बसंतं.. ..

जय हो.. .

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