For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बर्फ से ढकी ऊँची ऊँची पहाड़ियां और उनके शीर्ष पर आच्छादित बादलों के गोले इधर उधर  मंडराते  देखने में इतने मुग्धकारी होते हैं की देखने वाला खुद को भूल जाए अचानक एक भारी  भरकम बादल के बीच से जैसे ही प्लेन गुजरा मेरी पिछली सीट पर बैठे हुए बच्चे ख़ुशी से चिल्ला पड़े की उसी वक़्त अचानक प्लेन में अजीब सी आवाज आई थोड़ा झटका लगा ,इतनी बार सफ़र करने से इतना अनुभव तो हो ही गया की स्पीड और उसका संतुलन कैसा होता है अतः अनहोनी की आशंका से रोंगटे खड़े हो गए आस पास के बच्चे फिर भी बेफिक्र थे बड़ों की बोलती  बंद थी सबकी नजरें एक दूसरे  से कुछ पूछ रही थी की दुबारा वही झटका लगा मेरा दिमाग इस बीच ना जाने कहाँ कहाँ घूम आया और कुछ विचारो की गांठों को खोलने में लग गया इतने में एयर होस्टेस ने आकर बताया अब सब कुछ सामान्य है घबराने की जरूरत नहीं ,वो हमें बाद में पता चला था की एक इंजन खराब हो गया था इस लिए इमरजेंसी इंजन से काम चलाया गया था ।सब कुछ सामान्य होने पर अचानक मैंने अपने पति से पूछा आप इस वक़्त में सबसे ज्यादा किस को याद कर रहे थे सच बताना !! पति ने कहा एक सेकिंड में सबसे पहले बेटी का चेहरा सामने आया उसके तुरंत बाद बेटे का और सब बच्चों का ,उत्तर मेरी आशा के अनुसार ही निकला ,फिर मैंने पूछा मुझे मालूम है आप बेटी को बहुत ज्यादा प्यार करते हो पर एक बात बताओ आज हमे कुछ हो जाता तो आपकी प्रोपर्टी,आपका घर आपकी जमा पूँजी किसे  मिलती बेटी को क्या मिलता ?मेरे प्रश्न से जैसे उन्होंने अन्दर की सब बात भांप ली हो बोले सही कह रही हो ऐसे में हमारे समाज में सब बेटे के पास चला जाता है क्यूंकि शादी के बाद कोई बेटी मांगती भी नहीं चाहे नियम भी हो  कोई देता भी नहीं मैं इससे अधिक कुछ नहीं कह पाई किन्तु मेरे पति के दिमाग में वो उथल पुथल चलती रही कश्मीर से आकर उन्होंने सबसे पहला काम किया अपने सर्विस के फाइनेंशियल रिकार्ड  में बेटी और बेटे दोनों का नाम कानूनी तौर पर बराबर  लिख दिया पेरेंटल प्रापर्टी तो फिर भी बेटे को ही मिलनी है किन्तु पति की जमा बचत का फिफ्टी परसेंट बेटी को मिलेगा उनके इस फेंसले से मेरे दिल में उनका सम्मान दुगुना हो गया और विशवास हो गया की वो वैसे ही नहीं कहते थे की मेरी बेटी बेटे के बराबर है इस बात का अभी ना बेटी को पता है न बेटे को हो सकता है किसी तरह इस आलेख को पढ़कर जान लें इस आलेख को लिखने का मेरा मकसद यही है की बेटी आप से कभी नहीं मांगेगी अतः यदि बेटे के बराबर मानते हो तो उसे सब तरह से बराबर मानो वो भी आपके जिगर का टुकड़ा है जो उसे देना है अपना वक़्त रहते दीजिये वर्ना कल का क्या भरोसा !!आज सुबह डॉ .प्राची से चैट करते हुए ये बातें निकली तो उन्होंने सलाह दी की एक आलेख लिख दो बस सोचा आप सब से साझा करती हूँ ।आप सब लोगों की  प्रतिक्रिया का इन्तजार है । 

Views: 3267

Replies to This Discussion

जबतक आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर नहीं होंगी स्वाभिमान को कहा ओढेगी और बिछायेगी ?आ.डॉ प्राची सिंह जी आज भी स्त्री का कोई घर नहीं होता!!! होता हैं तो पिता का या पीटीआई का रिश्तों को सामान्य रखने के लिए बेटी के अधिकार की बात जड़ों में ही डालनी होगी ना की परिपक्व पेड़ होने पर ।

बहुत सार्थक पोस्ट है यह. हम किस दुनिया में रह रहे हैं ! शक्ति का उपयोग करते हैं,  पूजा तक करते हैं, किन्तु समाज शक्ति को अपने बीच का नहीं मानता.

आदरणीया राजेशकुमारी जी और डॉ.प्राची दोनों विदुषियों को मेरा सादर प्रणाम कि सार्थक बहस प्रारम्भ कर भावना को आपने एक बेहतर आयाम दिया है.

सादर

आदरणीय सौरभ जी आपके अनुमोदन से बहस को सार्थकता मिली । सही कह रहे हैं एक तरफ तो हम शक्ति की पूजा करते हैं दूसरी तरफ नारी अपने आप को नेगलेक्ट फील करती है क्यूंकि उसका दरजा बेटे की अपेक्षा कम माना  जाता रहा है भ्रूण हत्याओं को देखकर तो लगता है वो दर्जा भी ख़त्म हो गया अर्थात अनवांटेड बन गई है इसे देखकर दिल दुखता है कहाँ जा रही है हमारी सभ्यता हमारी सोच कुछ लोग कहने लगे हैं की हाँ हम बेटी को भी बराबर मानते हैं परन्तु उनके दिल में झाँक  कर देखो क्या सचमुच ??कह देने भर से बराबर नहीं हो जाती अगर हम आर्थिक रूप से समर्थ हैं और बेटा  भी समर्थ है तो बेटी को बराबर क्यूँ नहीं दे सकते बेटी कभी नहीं मांगती और उसके दिल में शादी के बाद तो माता पिता का प्यार और बढ़ जाता है तो हमारा भी फर्ज तो बनता है न !!

आपकी बातों से पूरी तरह से सहमत हूँ, आदरणीया. बेटी को संपत्ति का भाग देना निकृष्ट दहेज दिये जाने के रूप से एकदम अलग है. वस्तुतः बेटियों के प्रति आज के समाज में बन गयी कलुषित भावना का मूल कारण दहेज है जिसका अपना मूल रूप अत्यधिक विरूप कर चुका है. इस दहेज को यथासंभव बंद किया जाय.

इस चर्चा की सार्थकता को आपके अनुमोदन से संबल मिला है आदरणीय सौरभ जी , इस हेतु ह्रदय से आभार.

जब समाज सामुहिक तौर पर जान जाय कि शक्ति का महत्त्व वस्तुतः है क्या, हमारे मूल और मुख्य वाङ्गमय वस्तुतः शक्ति को कैसे देखते हैं तो आज मनस में व्याप गये कई भ्रम निराधार दिखेंगे. हम शिक्षित चाहे जैसे हों विद्या से इतने दूर होते चले जारहे हैं कि पेट के आगे दृष्टि जाती ही नहीं. हमें मानना होगा कि पेट स्वार्थजन्य भावनाओं की अग्नि का कुण्ड है. इसी कुण्ड से लोभ, मोह, मद, मत्सर तथा प्रचण्ड भेदभाव की लपटें निकलती हैं.

अपना मूल विकास पुत्री कह कर जीव को अलग नहीं करता बल्कि मूल मान्यता है कि हम सभी अमृत पुत्र हैं. सामाजिक और फिर पारिवारिक रूप से दीखता सारा घटियापन हमारे निरंतर विद्यारहित होते जाने का प्रतिफल है.

सादर

सामाज की अज्ञानता की कई परतों में हमारी मूल मान्यता "अमृतस्य पुत्रः" तो कही दब कर ही रह गयी है.

सबसे दुखद यह है कि जिन पंडितों ब्राह्मणों पर धर्म के मूल भावों के प्रचार व रक्षा का दायित्व रहा है, वह भी अपने निजी स्वार्थ व अज्ञान के कारण, बेटे को ही श्रेष्ठ मानते रहे हैं. और सदियों से यह विकृत होता गया ज्ञान समाज के मन मस्तिष्क में  गहरी पैठ  बना चुका है.

हमारे मूल और मुख्य वाङ्गमय में शक्ति की अवधारणा क्या है, उसे सही स्वरुप में समझने की पात्रता आज लुप्तप्राय ही है. 

आशा रानी व्होरा लिखित पुस्तक "औरत : कल आज और कल" के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ....

[पौराणिक या प्रागैतिहासिक काल की सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा जैसी देवियों को एक ओर पूजा स्थल पर ही रख कर देखें तो भारत के इतिहास में वैदिक काल की अपाला, घोषा, वाक्, सूर्या, सावित्री जैसी मंत्रदृष्टा ऋषिकाएं, उपनिषद् काल की गार्गी, मैत्रेयी जासी विदुषियां, मध्यकाल व पूर्व-आधुनिक काल की अहिल्याबाई होल्कर, रजिया बेगम जैसी शासक और चांदबीबी, लक्ष्मीबाई जैसी वीर स्त्रियां अपना गौरवपूर्ण स्थान रखती हैं। पर सामान्य स्त्री का इतिहास इससे अलग रहा है। प्राचीनकाल की अधिकार-संपन्न भारतीय नारी मध्यकाल के बाद 19वीं शताब्दी तक आते-आते लगभग पूरी तरह अधिकारविहीन व पर निर्भर हो चुकी थी।]

आज के समाज को इतिहास पुनः याद दिलाने की ज़रुरत है, एक खुली सोच व समझ की ज़रुरत है, बिना पूर्वाग्रहों के सत्य को स्वीकार करने की ज़रुरत है, ताकि यह भेद क्यों व कैसे शुरू हुआ, यह समझ में आ सके और समाज में सकारात्मक परिवर्तनों के प्रति स्वीकार्यता बने.

सादर.

बहुत अच्छा लिखा प्रिय प्राची सही कह रही हो पंडितों ब्राह्मणों जो बच्चा होने के वक़्त पूजा हवन  करते हैं वो ही कहते हैं कि  वंश बेटे से ही चलता है यह बात मुझे आज तक समझ नहीं आई ,जब तक किसी की बेटी घर में नहीं आएगी वो वंश कैसे चलेगा इसका अर्थ है नारी ही वंश बनाती है नारी ही वंश बढ़ाती है फिर भी उसी को मिटाने पर तुले हैं और बेटी से वंश नहीं चलता ये कैसे मान लें |

यकीन मानिए मैं भी ऐसा ही सोचती हूँ, पर पंडित जी बुरा ना मान जाएं इसलिए उनकी संकीर्ण सोच की परिधि में ही उनसे विमर्श करती हूँ, 

मुझे तो यह भी लगता है, कि अंधविश्वासों को फैलानें में पंडितों से बड़ा योगदान किसी का नहीं....:)

सादर.

हुम्म्म .. . पंडी जी सुन रहे हैं..

यह पोंगा पंडितों के किये कहा गया है आदरणीय :)). 

हुम्म .. पोंगा पंडित?? .... 

पोंगा ’पुंगव’ से बना है जिसका अर्थ है ’अपने क्षेत्र में श्रेष्ठ’, जैसे, नर-पुंगव यानि नरों में श्रेष्ठ, युद्ध-पुंगव यानि युद्ध क्षेत्र में श्रेष्ठ आदि. और, पंडित का अर्थ है विद्वान..

अब बताइये किसकी बात हो रही है ??  ... हा हा हा हा हा हा...............

बहरहाल, उच्च भाव-विचारों से भरे इस आलेख को डाइवर्सन पर न जाने दें हम.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service