Posted on October 10, 2024 at 2:37pm
तीन दिन पहले से ही
सच कहूँ तो एक हफ्ते पहले से ही
पच्चईयाँ (नाग पंचमी) का
इंतजार रहता था ....
एक एक दिन किसी तरह
से काटते हुये
आखिर, पच्चईयाँ आ ही जाती थी
पच्चईयाँ वाले दिन
सुबह ही सुबह
अम्मा पूरा घर
धोती थी, हम सब को कपड़े
पहनाती थी
सुबह सुबह ही
गली मे
छोटे गुरु का बड़े गुरु का नाग लो भाई नाग लो
कहते हुये बच्चे नाग बाबा
की फोटो बेचते थे
हम वो…
ContinuePosted on June 27, 2015 at 7:00am — 6 Comments
सुनो,
गर्मी बहुत है
अपने अहसासों की हवा
को जरा और बहने दो
यादों के पसीनों को
और सूखने दो
सुनो,
गर्मी बहुत है
गुलमोहर के फूलों
से सड़कें पटी पड़ी हैं
ये लाल रंग
फूल का
सूरज का
अच्छा लगता है
अपने प्यार की बरसात को
बरसने दो
बहुत प्यासी है धरती
बहुत प्यासा है मन
भीग जाने दो
डूब जाने दो
सुनो,
गर्मी बहुत है ....
Posted on June 25, 2015 at 7:20am — 5 Comments
शाम हो रही है
सूरज का तेज अब
मध्यम होता जा रहा है
शाम और खेल
का बड़ा अनूठा
सायोंग है
अब बस याद ही है
खेल और उसका खेला की
एक खेल था
ऊंच-नीच
समान्यतः यह खेल घर
के आँगन मे ही
खेलते थे, चबूतरे पर
नाली की पगडंडियों पर
हम सब ऊपर रहते थे
और चोर नीचे
हमे अपनी जगह बदलनी होती थी
और चोर को हमे छूना होता था
अगर छु लिया तो
चोर हमे बनना होता था
बड़ा…
ContinuePosted on June 19, 2015 at 8:43pm — 4 Comments
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