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पूर्वाग्रह
नेहा कॉलेज से घर लौट रही थी.रास्ते में उसकी सहेली रश्मि मिल गई .रश्मि का घर नजदीक ही था .उसने नेहा को थोड़ी देर गप -शप करने और चाय पीकर जाने का आग्रह किया..नेहा ने बात मान ली .बातों ही बातों में नेहा ने कहा .रश्मि आजकल ``मैं बड़ी परेशान हूँ .कुछ दिनों के लिए मेरी सास आने वाली हैं ...वही ताने ..उलाहने ..अपने ज़माने की बातों से हमारी तुलना ..सच
बड़ी आफत है ...क्या करूँ?``रश्मि बोली .".देख नेहा बुरा मत मानना ....मैं भी तेरी तरह हूँ नए ज़माने की ही ..पर शायद…
Posted on October 28, 2013 at 11:00am — 19 Comments
दीवाली -(चोका)
आई दीवाली
जगमगायें दीप
सबके द्वारे
माटी से सुरचित
दीप सुन्दर
रुई की बनी बाती
स्नेह पूरित
तब मिल जलती
बाती सुन्दर
दे अपनी उजास
हरे उदासी
उल्लास भर देती
घर बाहर
सागरसुता आये
स्वर्ण कलश …
Posted on October 19, 2013 at 6:30pm — 9 Comments
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