For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

DRx Ravi Verma
  • Male
  • Biswan
  • India
Share on Facebook MySpace

DRx Ravi Verma's Groups

 

DRx Ravi Verma's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Sitapur
Native Place
Biswan
Profession
Teaching (Pharmacy College)

DRx Ravi Verma's Blog

“ गुनाहों से सुकून है मुझे “

तन्हा क्यूँ हूँ मैं

तेरे होने के बाद भी,

प्यासी क्यूँ है सांस

इतना पीने के बाद भी..

 

दर दर की शराब

उतारी है हलक से,

तर…

Continue

Posted on February 15, 2014 at 4:00pm — 6 Comments

लघु कथा - सस्ता घी

लैब से स्टूडेंट जा चुके थे . मनोज वर्मा प्रैक्टिकल रिकॉर्ड चेक कर रहा था . 

‘अरे जयराम , यार तुम्हारे यहाँ गाय-भैस तो होगी ही , बढ़िया शुद्ध घी का इंतजान करो यार’ (मनोज मुस्कुराता हुआ अपने लैब सहायक से बोला)

‘है तो साहब , लेकिन घरही में पूर नाय पड़त’ .

‘अरे जुगाड़ करो यार कही से , पैसे की कोई बात नहीं है’ (जोर देते हुए मनोज बोला )

‘उ तो ठीक है साहब , देखित है’.

(कुछ सेकंड के मौन के बाद)…

Continue

Posted on June 3, 2013 at 2:30pm — 3 Comments

माँ चुप रही (लघु कथा )

मेरे वास्तविक भारतीय मध्यम वर्गीय परिवार में माता पिता और पांच भाई हैं . छोटे तीन भाई जो तिडुआ हैं, मुझसे ५ साल छोटे .

रौशन और जलज बी. टेक कर रहे है और पवन बी. ए. अंतिम वर्ष में है ..

होली के बहाने सब इकट्ठा हैं.

माँ (पवन से) – कल तुम फिर खा पी कर आये थे . खाना ख़राब हुआ . पहले बता नहीं पाते हो की ढूस के आओगे ?

पवन कुछ नहीं बोला ..

माँ (लगभग मुझे सुनाते हुए )- कल गेट नहीं खोल पा रहा था . पता नहीं ये लड़के क्या करेंगे ? रोज पार्टी , रोज दारू .

पवन कुछ…

Continue

Posted on June 2, 2013 at 11:00am — 6 Comments

केंचुल

आशंकित सशंकित इंसान

लगा है निज आवरण बचाने में

जो बनाता रहा जीवन पर्यंत

कभी चाहे , कभी अनचाहे

जुटा है अपनी केंचुल बचाने में…

Continue

Posted on June 1, 2013 at 11:55am — 13 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service