लैब से स्टूडेंट जा चुके थे . मनोज वर्मा प्रैक्टिकल रिकॉर्ड चेक कर रहा था .
‘अरे जयराम , यार तुम्हारे यहाँ गाय-भैस तो होगी ही , बढ़िया शुद्ध घी का इंतजान करो यार’ (मनोज मुस्कुराता हुआ अपने लैब सहायक से बोला)
‘है तो साहब , लेकिन घरही में पूर नाय पड़त’ .
‘अरे जुगाड़ करो यार कही से , पैसे की कोई बात नहीं है’ (जोर देते हुए मनोज बोला )
‘उ तो ठीक है साहब , देखित है’.
(कुछ सेकंड के मौन के बाद) ............................................................................................................
मनोज – वैसे कितने में मिल जाएगा ?
जय राम – साहब अब हम लोग तो चार सौ किलो माँ देयित है , और कुछ जने तीनय सौ में दै देत हैं .
मनोज “कम दाम” की ख़ुशी और रहस्य से चौका .
‘अरे ऐसा क्यों भाई , कुछ मिलावट करते है क्या वो लोग’ ?
जयराम (लैब प्लेटफोर्म साफ़ करते हुए)- अब इ तो पता नाय साहब ....................दरअसल उ सब है नीची जाति के हैं तो गाँव में उनकी घी कोई खरीदते नाय है.........पता नाय कैसे बनावट होइयें ......तबे उ लोग सस्ता दै देत हैं .
मनोज - अच्छा.................... ये बात हैं........................................चलो फिर मैं बताऊंगा .
जयराम – ठीक है साहब .
(दुःख और गुस्से के मिले जुले भाव मनोज चेहरे को छू कर निकल गए).
जयराम अभी भी प्लेटफोर्म साफ़ करने में तल्लीन था.
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
एक अच्छी लघुकथा हुई है, भाई रवि वर्माजी. जिस तथ्य को अभिव्यक्त करना था कथा के कथ्य से वह संप्रेषित हुआ है.
हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ..
जातिबाद एस देश की मुख्या समस्या मे से एक है ,आपने कहानी ही नही सच्चाई बयाँ की है बधाई !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online