For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आशंकित सशंकित इंसान

लगा है निज आवरण बचाने में

जो बनाता रहा जीवन पर्यंत

कभी चाहे , कभी अनचाहे

जुटा है अपनी केंचुल बचाने में

जो दरकती जाती है

स्वत: ही समय के साथ

और कभी दूसरों के नोचने से ....................

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 8, 2013 at 9:51pm

आदरणीय रवि वर्मा जी इंसान की फितरत पर सुन्दर रचना की है सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 8, 2013 at 9:51pm

आदरणीय रवि वर्मा जी इंसान की फितरत पर सुन्दर रचना की है सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by aman kumar on June 3, 2013 at 1:46pm

आपके प्रयास पर आपको बधाई!

Comment by विजय मिश्र on June 3, 2013 at 1:34pm
भावभरी मन को तृप्त करती कविता और अपने निहितार्थ में सम्पूर्ण . कभी-कभी तो ज्वालामुखी सा राई-छिया कर देता है बलात ओढा हुआ आवरण .बचना चाहिए .
Comment by coontee mukerji on June 3, 2013 at 1:40am

रवि जी , आप की छोटी सी रचना पर कितनी बड़ी समस्या की पर सोचने पर मजबूर कर देगी .......

जुटा है अपनी केंचुल बचाने में

जो दरकती जाती है

स्वत: ही समय के साथ

और कभी दूसरों के नोचने से ........सादर / कुंती

Comment by ram shiromani pathak on June 2, 2013 at 5:59pm

 सुन्दर भाव रचना////////हार्दिक बधाई 

Comment by DRx Ravi Verma on June 2, 2013 at 2:03pm

आप सभी के प्रोत्साहन एवं सुझाव का मैं आभारी हू ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 2, 2013 at 1:42pm

मन को छूने वाली शसक्त रचना ..ऐसा लग रहा है जैसे बोर में पहले पानी डाला जाता है तो फिर पानी निकलने लगता है ..तुम्हारी रचना  पाठक के पम्प में डाला ऐसा ही पानी है जो पाठक को बहा से कविता शुरू करने के लिए प्रेरित करता है जहाँ से तुम अपनी कविता को अदृश्य करते हो ..बहुत सारी बधाई के साथ 

Comment by aman kumar on June 2, 2013 at 11:33am

.अति सुंदर !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 2, 2013 at 10:31am

संक्षिप्त पर सुन्दर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई और इस मंच पर प्रथम रचना पढने हेतु स्वागत 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service