For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चरित्रहीनता: विकराल सामाजिक समस्या

एक जोरदार झटका,
और शुरू हो गया विचारो का मंथन,
कई मंचो पर चिल्लाने लगे बुद्धिजीवी,
सियार की तरह,
कैसे हुआ ये ?
क्यों हुआ ?
अरे पकड़ो,
कौन है जिम्मेदार ?
लटका दो फांसी पर,
बना दो नपुंसक उन पिशाचो को,
जिन्होंने नरेन्द्र, गाँधी, बुद्ध की भूमि को,
कलंकित किया है |
पर कोई नहीं बात करता,
और न करना चाहता,
इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मानवीय विकृति को,
जिसको हराया था गाँधी ने, नरेन्द्र ने और बुद्ध ने,
अपने चरित्र के बल पर,
हाँ हाँ चरित्र निर्माण ...
चरित्र निर्माण ही है समाधान,
यही तो है जो कमजोर हो गया है,
आधुनिकता, वैश्वीकरण,
धन लोलुपता की चाह में |

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on December 31, 2012 at 8:42pm

भारतीय योग विज्ञान की वैज्ञानिकता और सार्थकता पूरी तरह से प्रतिस्थापित हो जाती है जब कोई  इस प्रकार की मानसिक बीमारी और उसका इतना भयंकर परिणाम सामने आता है जिसका मूल ही चरित्र निर्माण ,नियम और संयम पर आधारित है 

एक अच्छी रचना के लिए बधाई 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 31, 2012 at 4:20pm

verma ji system par teekha prahar kiya he badhai

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 31, 2012 at 8:40am

भाई रवि वर्मा जी हाँ जरूरी है अब इस विषय पर बात चले और समाज में अन्य क्षेत्रों में तरक्की के साथ ही नैतिकता के पतन को रोकने के लिए भी बात हो. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 30, 2012 at 4:34pm

इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मानवीय विकृति को,
जिसको हराया था गाँधी ने, नरेन्द्र ने और बुद्ध ने,
अपने चरित्र के बल पर,..................................बिलकुल सही बात पर कलम राखी है आपने रवि वर्मा जी, 

चरित्र निर्माण ही है समाधान,
यही तो है जो कमजोर हो गया है,
आधुनिकता, वैश्वीकरण, 
धन लोलुपता की चाह में |...................हार्दिक बधाई आक्रोश को सकारात्मक अभिव्यक्ति देने के लिए.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह .. वाह वाह ...  आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रयास और प्रस्तुति पर मन वस्तुतः झूम जाता…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है.  प्रदत्त चित्र…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service