एक जोरदार झटका,
और शुरू हो गया विचारो का मंथन,
कई मंचो पर चिल्लाने लगे बुद्धिजीवी,
सियार की तरह,
कैसे हुआ ये ?
क्यों हुआ ?
अरे पकड़ो,
कौन है जिम्मेदार ?
लटका दो फांसी पर,
बना दो नपुंसक उन पिशाचो को,
जिन्होंने नरेन्द्र, गाँधी, बुद्ध की भूमि को,
कलंकित किया है |
पर कोई नहीं बात करता,
और न करना चाहता,
इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मानवीय विकृति को,
जिसको हराया था गाँधी ने, नरेन्द्र ने और बुद्ध ने,
अपने चरित्र के बल पर,
हाँ हाँ चरित्र निर्माण ...
चरित्र निर्माण ही है समाधान,
यही तो है जो कमजोर हो गया है,
आधुनिकता, वैश्वीकरण,
धन लोलुपता की चाह में |
Comment
भारतीय योग विज्ञान की वैज्ञानिकता और सार्थकता पूरी तरह से प्रतिस्थापित हो जाती है जब कोई इस प्रकार की मानसिक बीमारी और उसका इतना भयंकर परिणाम सामने आता है जिसका मूल ही चरित्र निर्माण ,नियम और संयम पर आधारित है
एक अच्छी रचना के लिए बधाई
verma ji system par teekha prahar kiya he badhai
भाई रवि वर्मा जी हाँ जरूरी है अब इस विषय पर बात चले और समाज में अन्य क्षेत्रों में तरक्की के साथ ही नैतिकता के पतन को रोकने के लिए भी बात हो. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.
इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मानवीय विकृति को,
जिसको हराया था गाँधी ने, नरेन्द्र ने और बुद्ध ने,
अपने चरित्र के बल पर,..................................बिलकुल सही बात पर कलम राखी है आपने रवि वर्मा जी,
चरित्र निर्माण ही है समाधान,
यही तो है जो कमजोर हो गया है,
आधुनिकता, वैश्वीकरण,
धन लोलुपता की चाह में |...................हार्दिक बधाई आक्रोश को सकारात्मक अभिव्यक्ति देने के लिए.
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