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Sahil verma
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  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • मिथिलेश वामनकर
 

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pihani
Profession
student

''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''चेहरे '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''

'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
गिरगिट का रंग का पहचानना.......
बिलकुल कठिन नहीं.....................
समंदर की गहरे नापना ...............
उसकी हलचल जान पाना ............
बड़ा ही सरल है यह सब................
                           बादलों की रंगत को...........................
                           उठने वाले तूफ़ान को.........................
                           आकलन कर लेना भी सरल है.............
                           पर कठिन है तो ...............................
                           किसी के चेहरे को पहचान पाना...........
   उसे पढ़ पाना...............
   उसे जान पाना.............
   खुद में समां पाना.........
   उसे समझ पाना...........
   सबसे मुश्किल है...........
                                   चेहरे की हकीकत.से रूबरू हो पाना.......
                                   मुमकिन ही नहीं कभी........................
                                   उन पर विश्वास कर पाना...................
                                   जो बयां करते हैं
                                   रेगिस्तानी रेत की तरह
                                   कड़ी धूप में असहाय...........................
                                   खुलती बंद होती आँखों की तरह...........
                                   चेहरे की असलियत जान पाना.............
                                   असम्भव ही लगता है..........................
नव अंकुरित बीजों की तरह.......
कितना कुछ अपने अंदर...........
छिपा कर रखते हैं....................
अपनों से................................
दूसरों से.................................
यंह तक खुद से भी.................
                                      हंस कर बात करना.............
                                      आंसू बहाना........................
                                      सब कुछ बनावटी है.............
                                      मन की बात ......................
                                      भला कब ये सामने लाते हैं....
                                      सब खुद में ही तो रखते हैं.....
   चेहरे पे कभी विश्वास न करो.....
   बातों पे कभी यकीन न करो........
                                  ''साहिल वर्मा''
                             सा॰वि॰ विज्ञान संकाय,
                                   बी॰एच॰यू॰
                                  8009415280
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Sahil verma's Blog

चेहरे

'''''''''''''''''चेहरे '''''''''''''''

गिरगिट का रंग का पहचानना.......

बिलकुल कठिन नहीं.....................

समंदर की गहरे नापना ...............

उसकी हलचल जान पाना ............

बड़ा ही सरल है यह सब................

बादलों की रंगत को...........................

उठने वाले तूफ़ान को.........................

आकलन कर लेना भी सरल है.............

पर कठिन है तो

किसी के चेहरे को पहचान पाना...........

उसे पढ़ पाना...............

उसे जान… Continue

Posted on May 23, 2015 at 11:40pm — 2 Comments

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At 11:57pm on May 23, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

पुनः स्वागत अभिनन्दन के साथ कुछ महत्वपूर्ण 

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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At 9:06pm on May 2, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
आपका ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में हार्दिक स्वागत है।
 
 
 

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