For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anurag Mehta
Share on Facebook MySpace
 

Anurag Mehta's Page

Latest Activity

Rachna Bhatia commented on Anurag Mehta's blog post चंद अशआर
"आदरणिय अनुराग मेहता जी लाजवाब ग़ज़ल हुई। हार्दिक बधाई। सिसकियाँ चंद्र बिंदु शायद रह गया।"
Jul 3, 2019
Anurag Mehta commented on Anurag Mehta's blog post चंद अशआर
"@rachna bhatia irma"
Jul 3, 2019
Anurag Mehta commented on Anurag Mehta's blog post चंद अशआर
"Aadarniya samar kabeer ji , kripya keemti waqt se kuch pal is ghazal ko dekar islah farma dijiye. Bahut shukriya"
Jul 3, 2019
Anurag Mehta posted a blog post

चंद अशआर

पायलों की खनक में दबा रह गया दर्द आँखों में तन्हाई का रह गया वो गया या नहीं, फ़र्क़ क्या रह गया जहन में एक बस हादसा रह गया रोकने की बहुत कोशिशें कीं मगर वो गया और मैं देखता रह गया अब के बिछड़ो तो दिल तोड़ जाना सनम फिर न कहना कि इक आसरा रह गया रात की सिसकिया थक के सोने चली रौशनी से मेरा राब्ता रह गया जाम छलके हैं कैसे करूँ इब्तेदा कुछ मज़ा कुछ नशा यार का रह गया मौलिक एवं अप्रकाशित See More
Jun 12, 2019
Anurag Mehta is now a member of Open Books Online
May 24, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Moradabad
Native Place
India
Profession
Businessman

Anurag Mehta's Blog

चंद अशआर

पायलों की खनक में दबा रह गया
दर्द आँखों में तन्हाई का रह गया

वो गया या नहीं, फ़र्क़ क्या रह गया
जहन में एक बस हादसा रह गया

रोकने की बहुत कोशिशें कीं मगर
वो गया और मैं देखता रह गया

अब के बिछड़ो तो दिल तोड़ जाना सनम
फिर न कहना कि इक आसरा रह गया

रात की सिसकिया थक के सोने चली
रौशनी से मेरा राब्ता रह गया

जाम छलके हैं कैसे करूँ इब्तेदा
कुछ मज़ा कुछ नशा यार का रह गया

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Posted on June 12, 2019 at 2:00pm — 3 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service