For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manoshi Chatterjee
  • Canada
Share on Facebook MySpace

Manoshi Chatterjee's Friends

  • शिज्जु "शकूर"
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • sharadindu mukerji
  • बृजेश नीरज
  • vijay nikore

Manoshi Chatterjee's Groups

 

Manoshi Chatterjee's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Toronto
Native Place
India
Profession
Educator/Writer

Manoshi Chatterjee's Blog

तुम्हारे संग कुछ पल चाहता हूँ - गीत

जानता हूँ जगत मुझसे दूर होगा 

पर तुम्हारे संग कुछ पल चाहता हूँ।

कठिन होगी यात्रा, राहें कँटीली,

व्यंजनायें मिलेंगी चुभती नुकीली,

कौन समझेगा हमारी वेदना को

नहीं देखेगा जगत ये आँख गीली,

प्यार अपना हम दुलारेंगे अकेले

बस तुम्हारे साथ का बल चाहता हूँ।

स्वप्न देखूँ कब रहा अधिकार मेरा

रीतियों में था बँधा संसार मेरा,

आज मन जब खोलना पर चाहता है

गगन को उड़ना नहीं स्वीकार मेरा,

भर चुके अपनी उड़ानें अभी सब…

Continue

Posted on October 20, 2013 at 11:19am — 17 Comments

आज फिर...वही...

आज फिर एक सफ़र में हूँ...

आज फिर किसी मंज़िल की तलाश में,

किसी का पता ढूँढने,

किसी का पता लेने निकला हूँ,

आज फिर...

सब कुछ वही है...

वही सुस्त रास्ते जो

भोर की लालिमा के साथ रंग बदलते हैं,

वही भीड़

जो धीरे-धीरे व्यस्त होते रास्तों के साथ

व्यस्त हो जाती है,

वही लाल बत्तियाँ

जो घंटों इंतज़ार करवाती हैं,

वही पीली गाड़ियाँ

जो रुक-रुक कर चलती हैं,

कभी हवा से बात करती हैं,

तो कभी साथ चलती अपनी सहेलियों से…

Continue

Posted on October 16, 2013 at 8:33am — 14 Comments

श्रांत मन का एक कोना शांत मधुवन छाँव माँगे...

श्रांत मन का एक कोना शांत मधुवन-छाँव मांगे।



सरल मन की देहरी पर

हुये पाहुन सजल सपने,

प्रीति सुंदर रूप धरती,

दोस्त-दुश्मन सभी अपने,

भ्रमित है मन, झूठ-जग में सहज पथ के गाँव माँगे।



कई मौसम, रंग देखे

घटा, सावन, धूप, छाया,

कड़ी दुपहर, कृष्ण-रातें,

दुख-घनेरे, भोग, माया।

क्लांत है जीवन-पथिक यह, राह तरुवर-छाँव मांगे।



भोर का यह आस-पंछी

सांझ होते खो न जाये,

किलकता जीवन कहीं फिर

रैन-शैया सो न जाये।

घेर…

Continue

Posted on September 5, 2013 at 6:53am — 21 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:59am on September 8, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 मानोशी जी, सादर प्रणाम! आपकी उन्मुक्त धारा की प्रथम बूंद ’उन्मेष’ की सरलता, तरलता, गहनता, गंभीरता और उच्छश्रृंखलता के साथ ही साथ नम्रता, सहजता, भावुकता और एक तीक्ष्ण प्रहारक दृष्टि भी पढ़ने को मिला। जो एक कवि व लेखक के रूप में समाज उध्दारक और देश हितार्थ में स्वयं का जीवन समर्पित करने को तत्पर व लालायित है। आपको बहुत बहुत साधूवाद...। आपकी सहजता...’’लोग मुझको कहें खराब तो क्या। मैं जो अच्छा हुआ जनाब तो क्या।।’’....कोई खुशुबू कहीं से आती है। मेरे घर की जमीं बुलाती है।।...’’बड़े नाम हो, तुच्छ काम से, मान तुम्हारा कम होता है।’’....’जब मांगा था संग सभी का, तब कोई भी साथ नही था।’...’कोने मे है मां पड़ी, जैसे इक सामान...।’ ’घना कुहासा सा, छट जाता है।’ ..वाह!...वाह!..बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति......ढेरों शुभकामनाओं सहित हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

At 6:50am on September 5, 2013, बृजेश नीरज said…

इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीया मानोशी जी!

At 9:02am on August 26, 2013, Admin said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपका स्वागत है, कृपया दिए गए लिंक को क्लिक कर ओ बी ओ नियमों से अवगत हो लें ।
http://www.openbooksonline.com/page/5170231:Page:12658

सादर ।

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
3 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service