श्रांत मन का एक कोना शांत मधुवन-छाँव मांगे।
सरल मन की देहरी पर
हुये पाहुन सजल सपने,
प्रीति सुंदर रूप धरती,
दोस्त-दुश्मन सभी अपने,
भ्रमित है मन, झूठ-जग में सहज पथ के गाँव माँगे।
कई मौसम, रंग देखे
घटा, सावन, धूप, छाया,
कड़ी दुपहर, कृष्ण-रातें,
दुख-घनेरे, भोग, माया।
क्लांत है जीवन-पथिक यह, राह तरुवर-छाँव मांगे।
भोर का यह आस-पंछी
सांझ होते खो न जाये,
किलकता जीवन कहीं फिर
रैन-शैया सो न जाये।
घेर लेती जब निराशा हृदय व्याकुल ठाँव माँगे।
श्रांत मन का एक कोना शांत मधुबन-छाँव मांगे।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
धन्यवाद आदरणीय निकोर जी। आशा है आपको उन्मेष पसंद आयेगी। अपनी प्रतिक्रिया से ज़रूर अवगत करायें।
सादर,
मानोशी
//श्रांत मन का एक कोना शांत मधुवन-छाँव मांगे/
... गीत का यह शीर्षक ही बहुत कुछ कह रहा है।
आपकी पुस्तक मंगवाई हुई है, प्रतीक्षा है।
प्रकाशक का कहना है कि शायद २० सितंबर तक यू.एस.ए. पहुँच जाएगी।
सुन्दर रससिक्त भावाभिव्यक्ति से भरपूर इस मनमोहक गीत के लिए बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय रमेश जी, अरुण शर्मा जी, आदरणीया गीतिका जी,
मेरी रचना को मान देने के लिये बहुत आभार। ऐसे ही स्नेह बनायें रखें।
डा. प्राची जी,
आप ने इस रचना को पसंद किया, यह मेरे लिये अत्यंत आनंद का विषय है। ’उन्मेष’ पढ़ कर बतायें कि आपको कैसा लगा। मुझे आपके विचार जानने की उत्सुकता रहेगी।
प्रिय मानोशी जी
आपकी पुस्तक उन्मेष की समीक्षाओं को जबसे पढ़ा है आपकी रचनाएँ पढ़ने की बहुत इच्छा थी, बस उन्मेष भी पहुँचती ही होगी...
जितनी तारीफ़ मैंने आपकी अभिव्यक्तियों की, आपके लेखन की पड़ी थी आपकी रह रचना पढ़ कर लग रहा है समीक्षकों नें क्या खूब समीक्षा की थी... वाह!
प्रस्तुत नवगीत की एक एक पंक्ति एक एक शब्द लालित्यपूर्ण भाव प्रवणता से सीधे हृदय में पैठ बना रहा है..
भोर का यह आस-पंछी
सांझ होते खो न जाये,.....................अद्भुत भाव कथ्य सांद्रता , बहुत सुन्दर
किलकता जीवन कहीं फिर
रैन-शैया सो न जाये।
घेर लेती जब निराशा हृदय व्याकुल ठाँव माँगे।
श्रांत मन का एक कोना शांत मधुबन-छाँव मांगे।
इस मन को तृप्त कर देने वाली अभिव्यक्ति के लिए हृदय तल से बहुत बहुत बधाई
शुभकामनाएँ
आदरणीया मानोशी जी वाह अप्रितम इस सुन्दर सुमधुर गीत रचा है आपने कि बस पढ़ता चला गया गहन भाव लिए ऐसी सुन्दर रचना हेतु हृदयतल से ढेरों बधाई स्वीकारें.
सुखद सुमधुर रचना का पढ़ कर उन्मेष पढ़ने का मन हो आया!
शुभकामनायें !!
आपके इस रचना में प्रत्येक शब्द एवं पद का चयन सागर्भित में सरस लगा । कोटिश बधाई
आदरणीया महिमा जी, मीना जी, आदरणीय जीतेंद्र जी, राम शिरोमणि जी, केवल प्रसाद जी, राजेश कुमार जी एवं बृजेश जी - मेरी इस रचना को इस तरह सम्मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्रांत मन का एक कोना शांत मधुवन-छाँव मांगे।... वाह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीया बधाई स्वीकार करें
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