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Mukulkumar Limbad
  • Male
  • Danta Banaskantha Gujarat
  • India
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Aug 13, 2022
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 135 in the group चित्र से काव्य तक
"यहाँ मेघ बादल रहें हैं बरस धरा आज प्यासी छिपाती तरस हुई तेज बारिश व भीगी सड़क चलें स्कूल बच्चें अकेले अडग नहीं स्कूल बेगें, कहाँ स्कूल बस सवारी चले रोज पैंदल, न बस नहीं हैं टिफ़िन, संग थेली सहज चले पैर नंगे सभी वे महज़ लिया एक छाता ढकें सिर…"
Jul 23, 2022
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-127 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दिपांजली जी, आपकी अनमोल टिपण्णी के लिए बहूत आभारी हूं"
Nov 21, 2021
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-127 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय छोटेलाल जी आपकी अनमोल टिप्पणी के लिए हदय से आभारी हूं"
Nov 21, 2021
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-127 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरनीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर प्रणाम I चित्रानुरुप आकर्षक रचना के लिए हार्दिक बधाई I"
Nov 21, 2021
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-127 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. डाॅ. छोटेलाल सिंह सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुन्दर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई"
Nov 21, 2021
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-127 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार जी सादर  प्रणाम I चित्रानुरूप सुंदर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई I"
Nov 21, 2021
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-127 in the group चित्र से काव्य तक
"शक्ति छंद सफर कर रही एक नारी कहीं, अरे संग था शिशु, अकेली नहीं, कहाँ जा रही वो पता ही नहीं,  मिली ना सखी वो अकेली वही,  न पूछा किसीने न देखा उसे, मिली ना जगह बैठने की उसे, नजर सामने नार बैठी रहीं,  न देखा किसीने, समय ही…"
Nov 21, 2021
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 118 in the group चित्र से काव्य तक
"छंद - चंद्रकांता(राजभा राजभा मातारा सलगा यमाता = 15 वर्ण)यति = 7, 8 देखती आसमाँ को जो बादल से घिरा हैंअब्द हैं श्वेत देखो नीले नभ से मिला हैंबात क्या हैं कहो ना! बेटी तुम आज बोलोये पढ़ाई लिखाई से ही सब राज खोलो हाथ में तो रखी थी वो एक किताब…"
Feb 21, 2021
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 116 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय छोटेलाल सिंह जी, रचना को सराहने के लिए बहूत बहूत आभारी हूं|"
Dec 20, 2020
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 116 in the group चित्र से काव्य तक
"छंद - गीतिका ******   ******  ****** ****** खूबसूरत वादियाँ ऐसी कहीं देखी नहीं, लूंट लेना ये नजारें फिर मिलेंगें या नहीं, हैं पहाडीयाँ हरी, तीनों दिशाओ से भरी, बीच में ऐसी घरा जो गाँव-खेतों से हरी| दूर घाटी से सडक बहती नदी झरना लगे,…"
Dec 20, 2020
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-113 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पान्डे जी, प्रोत्साहित और सुझाव  देने के लिए हृदय से धन्यवाद"
Sep 20, 2020
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-113 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ताजी,रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार आपका।"
Sep 20, 2020
Mukulkumar Limbad replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-113 in the group चित्र से काव्य तक
"हरिगीतिका मैं बैठ कर घर में थकी भाभी चलो खेले नया, कुछ काम तो बाकी नहीं बैठी रही हो क्यूँ जया, है तो नहीं कोई कहाँ छोडो फिकर आओ यहाँ, मौसी चलो भाभी चलो कोई नहीं बाकी रहा|| वो खेलते हैं खेल कैसे ये नहीं मैं जानती, ये आदमी का खेल है मैं तो नहीं यह…"
Sep 20, 2020
Dimple Sharma commented on Mukulkumar Limbad's blog post मृग-बादल (तोटक छंद)
"आदरणीय मुकुल कुमार जी नमस्ते, खुबसूरत रचना पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।"
Sep 2, 2020
Dimple Sharma commented on Mukulkumar Limbad's blog post चलो सहियर
"आदरणीय मुकुल कुमार जी नमस्ते छंद की जानकारी तो नहीं परन्तु आपकी रचना पढ़कर बहुत आनन्द आया , बधाई स्वीकार करें।"
Sep 2, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Gujarat
Native Place
Khedasan
Profession
Executive Magistrate & Dy. Tahsildar

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At 10:42pm on August 21, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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Mukulkumar Limbad's Blog

चलो सहियर

छंद - मंदाक्रान्ता

(मातारा भानस नसल ताराज ताराज गागा = 17 वर्ण)यति =4,10,17

मेेले में ओ सहियर चलो आज जाए गुमेंगे,

आया है ये दिन लहरका मोज मस्ती करेंगे,

मेले की है रमझट बड़ी आ टहेले वहाँ पे,

खोजे मेरा प्रियतम मुझे ओ सखीरी चलो रे|

भागी भागी गुपचुप सखी मैं, बात कोई न जाने,

पानी का लें घट झपट से, लौटना जल्द माने,

मैंने लाई यह तुज लिए हा नयी ओढनी रे,

देखो कैसी तुम पर झझती ओढ ले ओढनी रे|

देखें मेला सहियर चलो ना रहे…

Continue

Posted on August 27, 2020 at 8:30pm — 3 Comments

मृग-बादल (तोटक छंद)

छंद - तोटक

(सलगा सलगा सलगा सलगा = 12 वर्ण)

नभ बादल बादल आज यहाँ,

चमकार करे सुन वीज यहाँ,

नभ काजल काजल मेश हुआ,

दिलका दव ठार तु यही दुआ|

मृग-बादल आज महेर दया,

दिलसे बरसो अब छोड़ हया,

गजराज जरा गरजे नभमें,

वनराज फिरे फिरसे वनमें|

टपके जलबुंद हजार कहीं,

झमकार सुनो जलधार यही,

जल-चुंबन अंबर से बरसे,

पल ये पल को धरती तरसे|

मधु सोडम जो प्रसरी भुवने,

तन वो मन हाश भरे सुखमें,…

Continue

Posted on August 24, 2020 at 11:30pm — 5 Comments

 
 
 

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"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
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"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
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"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
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