For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sanjeev Kulshreshtha
  • Male
  • Delhi
  • India
Share on Facebook MySpace

Sanjeev Kulshreshtha's Friends

  • Admin

Sanjeev Kulshreshtha's Groups

 

Sanjeev Kulshreshtha's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Ghaziabad, UP
Native Place
Sikandra Rao, Hathras, UP
Profession
Engineer

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:31pm on August 10, 2012, Ranveer Pratap Singh said…

janmdiwas ki hardik shubhkaamnaayein....

At 7:17pm on August 10, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 11:03am on June 22, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…
At 10:23am on June 22, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 7:47pm on June 21, 2011, Admin said…

Sanjeev Kulshreshtha's Blog

बुलंदी

ना कर  खुदी  को  बुलंद  इतना

कि अपनो का साथ छूट  जाएँ

और खुदा  भी  ना  पूछे,

बता  तेरी  रजा  क्या  हे

गर बढ़ना हे आगे 

तो अपनों को साथ 

लेकर चल

मंजिल पर पहुच कर

कही अकेला ना रह जाये

हर ख़ुशी बेमानी हे

गर अपनों से ना बांटी जाये

Posted on April 9, 2012 at 11:55am — 1 Comment

सकून

सच्चाई को खोजने चला था,

झूठ ही झूट मिले,

मोहब्बत खोजने चला,

तो बेवफाई मिली,

जब खोजना छोड़ दिया,

तो तन्हाई मिली,

अब तो खुदी को खोजने चला हूँ ,

जो चाहा था बेवजह था

जो मिला है बेइंतहा है

यूही भटक रहा था

अब सकून ही सकून है |

Posted on March 1, 2012 at 1:00pm — 8 Comments

चाहत

जिनको चाहा था, वो अनजानों की भीढ़ में खो गए

जो चाहते हें, वो अपनो  की भीढ़ में खो गए

हम तनहा थे तनहा ही रह गए

काश भीढ़ में चाहत होती

अपनो का ना सही, अनजानों का साथ तो होता

Posted on October 4, 2011 at 8:49pm — 1 Comment

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service