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Usha Choudhary Sawhney
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Usha Choudhary Sawhney 's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Meerut
Native Place
Firozabad
Profession
Assistant Professor - English Literature
About me
I am a self made person. Wish to express my thoughts and listen to others too.

Usha Choudhary Sawhney 's Blog

हमको हमीं से छुपाता कौन है -- डॉ o उषा चौधरी साहनी

सुनते आये हैं, सारी नज़ाकत 

कायनात को हम नारियों से मिली है ,

बीर बहूटी को मखमल ,

गुलाब को लाली, हमीं से मिली है ,

कायनात खुद कहीं-कहीं बेइंतहा सख्त है ,

चट्टान है, आंधी है , धूल है , तूफ़ान है,

फिर भी गुलाब हैं, तितलियाँ हैं, चाँद है,

चाँदनी है, ठंडी हवाएँ हैं , नदियों में चढ़ाव है.

ये कठोर कायनात की ही करामात है ,

हमारी मासूमियत पर रोज़ ये ग्रहण लगाता कौन है.

हमारी मासूमियत हमसे चुराता कौन है,

बचपन से हमको हरदम डराता कौन है,

ये चेहरे पे…

Continue

Posted on February 24, 2015 at 10:45am — 18 Comments

कौन कब किसको रोक पाता है -- डॉo उषा चौधरी साहनी

 
न जाने ऐसा क्यों लगता है , 
किसी एक पल कि सबकुछ 
अपना है, अपने हाथों में है, 
बस , हाथ उठाऊं और ले लूँ , 
समेट लूँ , अपनी बाँहों  में ,
रख लूँ ,सहेज कर अपने पास । 
कितनी खुशियाँ हैं दुनियाँ में , 
सब मेरे लिए , कितनी अपनी हैं ,
पर, दूसरे ही क्षण लगता है…
Continue

Posted on February 22, 2015 at 9:35am — 9 Comments

कह गए थे तुम वापस आओगे-- डॉ o उषा चौधरी साहनी

कह कर गए थे तुम

आओगे वापस ,

जरूर आओगे ।

आस में तुम्हारी ,

लगे युग बीत गए जैसे ,

पर न आये तुम ,

न आये तुम्हारे खत ,

ना ही कोई संदेश ,

कहाँ खो गए तुम ,

भटक गए किस देश ?

जिन राहों पर दूर ,

बहुत दूर तक , चले थे ,

खोये , इक दूसरे में हम,

उन्हें, अब ये आँखें तकती हैं,

ढूंढती हैं तुम्हें , शायद कभी

लौटों तुम उन पर ढूंढते हुये

कि तुम्हारा भी

कुछ रह गया वहां पर ,

कुछ खो गया वहां पर ,

और मैं पा लूँ तुम्हें… Continue

Posted on February 8, 2015 at 7:30pm — 14 Comments

एक सपनों की दुनियाँ में ---- डॉ ० उषा चौधरी साहनी

यूँ ही बस यूँ ही लगता है , 
कभी इस दुनियाँ से निकल जाऊं , 
दूर  बहुत दूर चली जाऊं , 
किसी और दूसरी दुनियाँ में खो जाऊं, 
सपनों  दुनियाँ में चली जाऊं , 
आँखें मूँद लूँ ,  सपने देखूं , 
खूब ढेर  से  सपने देखूं , 
वो चाहे झूठे  ही क्यों न हों , 
कितने ही झूठे , पर देखूं , 
हँसू , खुद पर हँसू , इतराऊँ , 
मुस्कुराऊँ , धीरे से मुस्कुराऊँ, 
अपने में ही  खो जाऊं…
Continue

Posted on February 5, 2015 at 10:30pm — 14 Comments

Comment Wall (11 comments)

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At 12:30pm on February 12, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय राजेश कुमारी जी, आपके प्रोत्साहन के लिए सादर धन्यवाद।

At 12:29pm on February 12, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी सादर धन्यवाद। 

At 6:37pm on February 11, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , मेरी रचना को सराहने के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद।

At 6:33pm on February 11, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय गोपाल नारायन सर , मेरी रचना पर अत्यंत सकारात्मक टिप्पणी के लिए आपका सादर धन्यवाद।

At 8:00pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  जीतेन्द्र पस्टारिया जी सादर धन्यवाद

At 7:45pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  जीतेन्द्र पस्टारिया जी सादर धन्यवाद, 

At 7:44pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  सोमेश कुमार जी सादर धन्यवाद, 

At 7:40pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  श्याम नारायण वर्मा जी रचना को सराहने के  लिए सादर धन्यवाद

At 7:37pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी,आपकी प्रतिक्रिया के लिए सादर धन्यवाद, बात सिर्फ इतनी है कि इस भागम भाग की दुनिया से दूर कही कभी कभी एक अवकाश लिया जाये,बस 

At 7:32pm on February 6, 2015, Usha Choudhary Sawhney said…

आदरणीय  विजय शंकर जी आपके प्रोत्साहन के लिए सादर धन्यवाद

 
 
 

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"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
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