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कह गए थे तुम वापस आओगे-- डॉ o उषा चौधरी साहनी

कह कर गए थे तुम
आओगे वापस ,
जरूर आओगे ।
आस में तुम्हारी ,
लगे युग बीत गए जैसे ,
पर न आये तुम ,
न आये तुम्हारे खत ,
ना ही कोई संदेश ,
कहाँ खो गए तुम ,
भटक गए किस देश ?
जिन राहों पर दूर ,
बहुत दूर तक , चले थे ,
खोये , इक दूसरे में हम,
उन्हें, अब ये आँखें तकती हैं,
ढूंढती हैं तुम्हें , शायद कभी
लौटों तुम उन पर ढूंढते हुये
कि तुम्हारा भी
कुछ रह गया वहां पर ,
कुछ खो गया वहां पर ,
और मैं पा लूँ तुम्हें ,
खुद खो कर तुमने क्या खोया
तुम्हारे खो जाने से मैंने
क्या क्या खोया ?
काश ! तू समझ पाये।
वादे थे, जनम - जनम के ,
आस है, प्रतीक्षा है , कब आओगे ,
डर लगता है , क्या नहीं आओगे ,
इस जनम बस ऐसे ही सताओगे ।
यूँ ही बस सताओगे ।
कह कर गए थे तुम
वापस आओगे ,
जरूर आओगे ।

// मौलिक एवं अप्रकाशित //

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Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 12, 2015 at 1:08pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 12, 2015 at 1:07pm

आदरणीय गिरी राज भंडारी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 12, 2015 at 1:06pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, हार्दिक धन्यवाद। 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 12, 2015 at 1:05pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, प्रोत्साहन के लिए सादर धन्यवाद। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2015 at 10:48am

विरह की पीड़ा को सुन्दरता से उकेरा है प्रस्तुति में ..हार्दिक बधाई उषा जी 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 11, 2015 at 8:21pm

 

आदरणीया डॉक्टर उषा चौधरी साहनी जी , आपकी ये रचना पढ़कर बरबस ये रचना याद आ जाती है .....चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश...

जहाँ तुम चले गए...इस दिल पे लगाके ठेस...

जाने वो कौन सा देश...जहाँ तुम चले गए......सुन्दर , बधाई आपको !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 11, 2015 at 4:32pm

आदरणीया ऊषा जी , अंतस की पीड़ा हर शब्द में मुखर है , बहुत सुन्दर रचना , बहुत बधाई ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 11, 2015 at 1:55pm

आदरणीया ऊषा जी

मैं भी सादर i विजय सर की बात सी सहमत हूँ i इस रचना में  between the lines  भी बहुत कुछ है I

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 10, 2015 at 8:36am

आदरणीय  विजय शंकर जी , जो कहने का प्रयास किया इन पंक्तियों के माध्यम से ,आपके कमेंट से लगा कि कुछ सफलता प्राप्त हुई है। इस प्रोत्साहन लिए आपका सादर धन्यवाद।

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 10, 2015 at 8:32am

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी , इस प्रोत्साहन लिए आपका सादर धन्यवाद।

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