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मेरा मन
ढूंढे क्या ....
सुख आनंद
ये तो है छलावा
मन का भ्रम
प्रसन्नता
ये तो आनी जानी
है क्षणिक
संतुष्टि
ये है मोहताज़
अभिलाषाओं की
धैर्य स्थिरता
है ये स्वयं की सोच
मस्तिष्क उपज
शांति
पर किन मूल्यों पर
अंतःकरण या बाह्य:करण
पूर्णता का अहसास
ये तो है एक खामोशी
महसूस करने की
फिर भी
ढूंढता…
ContinuePosted on September 16, 2013 at 10:30pm — 13 Comments
इस नगर में
मेरे कुछ सपने
हुए साकार
और कुछ
बिखरे किरचियाँ बन
पर
इन सपनों की
फ़ेहरिस्त थी लम्बी
इन्हें पूरा करने
जी जान से थी जुटी
कभी
भावुकता में बही
तो कभी
व्यावहारिकता ओढ़ी
कहीं
करना पड़ा संघर्ष
इसके
विद्रोही मोड़ों पर
लेकिन
इस नगर की
एक बात है ख़ास
मुस्कुराहटों में इसने
दिया मेरा साथ
पर एक बात
है इसकी…
ContinuePosted on August 31, 2013 at 10:00pm — 12 Comments
कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
१.
माखन चोर
गिरधर गोपाला
नन्द का लाला
२.
राधा-औ-कृष्णा
गोपियों संग रास
बंसी ले हाथ
३.
सहज जियो
जीवन है उत्सव
कृष्ण सन्देश
४.
हँस के जियो
जिंदगी प्रेम रस
छक के पियो
५.
आनंददायी
कृष्णवृत्ति जो फ़ैले
दुनिया…
ContinuePosted on August 28, 2013 at 12:30pm — 9 Comments
औरत
मैंने
औरत बन जन्म लिया
हाँ मैं हूँ
एक औरत
और औरत ही
बनी रहना चाहती हूँ
क्यूंकि
मैं इक बेटी हूँ
मैं इक बहन हूँ
मैं इक पत्नी हूँ
सर्वोपरि इक माँ हूँ
मैं इक पूरी कौम हूँ
एवं
इनसे जुडे हर रिश्ते
की बिन्दू हूँ मैं
वो सभी घूमते रहते हैं
मेरे चारों ओर
एक वृत्त की तरह
और मैं
चाहे…
ContinuePosted on July 19, 2013 at 10:32pm — 15 Comments
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...
विजयाश्री जी - राधे-राधे ॥ त्योहारो पर .... को आपने पसंद किया और उस पर उत्साह वर्धक टिप्पणी की इसके लिए हार्दिक धन्यवाद ।
विजयाश्री जी आपका साथ मिला यहाँ ........मन प्रसन्न हो गया ...दिल से स्वागत है आपका ........आपकी सुन्दर रचनाओं से यह मंच और समृद्ध होगा ये मानना है मेरा ....शुभकामनाएं