नेह के आंसू को सरजू कहता हूँ
अपनेपन से तुझको मैं तू कहता हूं।
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रात छत पे जब निकल आता है तू
इन सितारों को मैं जुगनू कहता हूँ। **
ये जो तन से मेरे आती है महक़..
मैं इसे भी तेरी खुशबू कहता हूँ।
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ये अदब,शोख़ी, नज़ाकत, लहज़े में..
मैं इसी लहज़े को उर्दू कहता हूँ।
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सब थकन मेरी पी जाती है ये धूप
मैं सदा को तेरी…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 19, 2021 at 7:00pm — 26 Comments
2122 1212 22 (112)
मुझको तू गर मिला नहीं होता
इश्क़ है क्या पता नहीं होता।
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एक पल को जुदा नहीं होता.
ग़म तेरा बेवफ़ा नहीं होता।
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रोज इक ख़त मैं लिखता हूँ तुझको
और तेरा 'पता' नहीं होता।
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दो जहाँ हमने एक कर डाले
दर्द बढ़कर दवा नहीं होता।
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इश्क़ है गर तो सोचता है क्या?
इश्क़ होता है या नहीं होता।
…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 15, 2021 at 3:00pm — 9 Comments
2122 1122 2(11)2
ये अलग बात है इनकार मुझे
तेरे साये से भी है प्यार मुझे।
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सामने सबके बयाँ करता नहीं
रोज दिल कहता है, सौ बार मुझे।
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लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं बिक जाऊं अगर
तू खरीदे सरे बाजार मुझे।
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था हर इक दिन कभी त्यौहार की तर्ह
भूल अब जाता है इतवार मुझे।
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चाहकर मैं तुझे, मुजरिम हूँ तेरा
क्यूँ नहीं करता गिरफ़्तार मुझे
…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 6, 2021 at 11:30pm — 10 Comments
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