ऋतुराज के स्वागत में पांच दोहे
स्वागत तव ऋतुराज
चंप पुष्प कटि मेखला, संग सुभग कचनार।
गेंदा बिछुआ सा फबे, गल जूही का हार।१।
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बेला बाजूबंद सा, कंगन हरसिंगार।
गुलमोहर भर मांग में, करे सखी श्रृंगार ।२।
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पहन चमेली मुद्रिका, नथिया सदाबहार।
गुडहल बिंदी भाल दे, मन मोहे गुलनार।३।
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जूही गजरा केवडा, सजे सखिन के बाल।
तन मन को महका रही, मौलश्री की माल।४।
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झुमका लटके कान में, अमलतास का आज।
इस अनुपम श्रृंगार…
Added by Satyanarayan Singh on February 3, 2014 at 5:30pm — 23 Comments
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