हर फूल खुश्बू नहीं देता,हर कली फूल नहीं बनती
हर चमकता रात में तारा नहीं होता ,हर चमकता पत्थर हीरा नहीं होता
जरा संभल के मेरे दोस्त हर बात सच्ची नहीं होती
हर मीठा स्वर अच्छा नहीं होता, हर खड़ी जीज सहारा नहीं होती,
हर खून का रिश्ता अपना नहीं होता ,हर दोस्त सच्चा नहीं होता .
जरा सभंल........
हर रात काली नहीं होती,हर दिन उजाला नहीं होता,
हर रात दिवाली नहीं होती, हर रोज होली नहीं होती.
जरा संभल......
हर लाल कपड़ा कफ़न नहीं…
ContinueAdded by Shyam Mathpal on March 26, 2015 at 8:44pm — 14 Comments
मन के कमरे में कैद हमारे भाव विचार
बने वाणी के मोती ,कलम की बहती धार
सुवासित हो फ़िज़ा ,पढ़े सुने संसार
बुने सतरंगी सपने,बरसे प्यार की फुहार
डूबे खुश्बुओं में ,सुगन्धित हो बहार
खुशिओं के फूटे झरने ,भीगें बार -बार
मिले जीने की उमंग,सपना हो साकार
भूल सारे गम ,नव अंकुर का आधार
चाहतों की संतुष्टि ,आशीष से सरोबार
खुले परिचय के द्वार ,जुड़ा नया परिवार
धन्य हो गए हम ,दिलों के जुड़े तार
भूल जोड़ बाकी का गणित ,मिला जीने का…
ContinueAdded by Shyam Mathpal on March 18, 2015 at 11:50am — 12 Comments
प्रणाम
देश के वीरों को प्रणाम
उन शहीदों को सलाम
हमारे कल के लिए नव कोपलों का बलिदान
माताओं ने किये बेटे कुर्बान
बहिनों ने दिया सुहाग का दान
सदियों सदा याद रखेगा हिंदुस्तान
संतान
देश के लिए जान दे
देश भक्ति का ज्ञान दे
राष्ट्र भाषा को मान दे
माँ ऐसे संतान दे.
आंसू
आंसुओं को यों ही पीते रहे
होंठों…
ContinueAdded by Shyam Mathpal on March 16, 2015 at 4:00pm — 18 Comments
सपनो को बेच रहा वादों की मंडी में
शोर बहुत है बस्ती में सुनता नहीं कोई
वो वहीँ खड़ा चल चित्र दिखा रहा
रंगीन चश्मे की दुनियां समझता नहीं कोई
बाहँ थाम कर जिसे उसने आगे बढ़ाया
कन्धों पर चढ़ गया वो देखता नहीं कोई
मशाल लेकर भीड़ में आगे चला था जो
वो अब बदल गया टोकता नहीं कोई
चार दीवारें खड़ी कर बन गया मकां
आपस में लड़ते रहे,मोहब्बत जगाता नहीं कोई
झंडे किताब के चर्चे यों ही होते…
ContinueAdded by Shyam Mathpal on March 13, 2015 at 9:07am — 10 Comments
कुंठाओं के झरे पात,
आशाओं का हो सुप्रभात
दफ़न हो घात प्रतिघात
खुशिओं के सदा बहें प्रपात
चैन की आए रात
बची रहे इंसानियत की जात
चलती रहे गीत गजलों की बात
हम समझें सबके जज्बात
खुश्बू भरे मौसम से हो मुलाकात
जख्मी रिश्तों के बदले हालात
जहरीली हवाएँ न करे आघात
कलुषित न हो मन आँगन
सुगन्धित हो यह बरसात
भावनाओं को लग पंख
मिलन की मिले सौगात
बौराए पंछी को मिले मीत
बिछुड़न से मिले राहत
मौलिक व…
ContinueAdded by Shyam Mathpal on March 11, 2015 at 2:16pm — 14 Comments
हर जिंदगी मे एक गीत है प्रीति है
पीड़ा है प्यार है
विरह है साथ है
संगीत है साज है
आक्रोश है संतोष है
संतुष्टि है विरोध है
तूफान है स्रोत है
संयम है क्रोध है
पहाड़ है पौंध है
कविता है कहानी है
पर हर जिंदगी सामने कहाँ आ पाती है
कही भाषा नहीं कहीं कलम नहीं है
कहीं हाथ नहीं कही पावँ नहीं हैं
कहीं आँखें नहीं कहीं कान नहीं हैं
कहीं बेबशी मे जबान नहीं है.
मौलिक व अप्रकाशित
श्याम…
Added by Shyam Mathpal on March 9, 2015 at 4:00pm — 6 Comments
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